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प्यार की एक कहानी ऐसी भी: भाग 1

देर रात का वक़्त और एक सुनसान हाईवे पर एक गाड़ी अपनी रफ्तार से दौड़ रही है। गाड़ी के अंदर का माहौल बड़ा शांत है और सभी चुप बैठे किसी खयाल में गुम है कि अचानक कोई इनकी गाड़ी के आगे हाथ देकर रुकने का इशारा करता है। रतन सिंह उस आदमी को देखता है और उसकी आंखों में चमक आ जाती है, और वो ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहता है।

देव(गाड़ी रोकने के लिए हाथ दिखाने वाला): वो हमारी गाड़ी खराब हो गई है

रतन: आप हमारे साथ आ जाइए, बाकी सुबह किसी मैकेनिक को भेज कर गाड़ी मंगवा लीजिएगा

देव: जी शुक्रिया और गाड़ी में आ कर बैठ जाता है।

कुछ देर बाद

रतन फोन कर के किसी को पीछे का दरवाजा खोलने को कहता है और बेहोश हो चुके देव को लेकर अन्दर जाता है और बेहोश हो चुके देव को मंडप में बिठा कर अन्दर जाता है और पंडित शादी की रस्में शुरू करता है।

रतन: चलिए साक्षी

साक्षी: भैया ये ग़लत कर रहे है आप, सब की ज़िन्दगी तबाह हो जाएगी

रतन: हम कुछ नहीं कर सकते साक्षी, हमने कई जगह आपके रिश्ते की बात की पर आप सच्चाई जानते है

साक्षी: पर हमारी वजह से किसी और की ज़िन्दगी तबाह हो जाएगी, ये क्यों नहीं समझ रहे है आप

रतन: हम उनसे माफी मांग लेंगे पर अभी हमें ये ही सही लग रहा है तो ये हो कट रहेगा और आप भी चुपचाप चलिए

साक्षी, ना चाहते हुए भी रतन के साथ जाती है।

वो बुझे हुए मन से मंडप में आ कर बैठ जाती है और इधर देव भी बेहोश सा बैठा है और दो लोग उसे पकड़ कर बैठे है।

चारों तरफ बंदूकधारी लोग तैनात है और शादी की रस्में निभाई जा रही है।

कुछ देर बाद

पंडित: शादी संपन्न हुई

सभी आकर दूल्हा दुल्हन के सिर पर हाथ रखते है और दो लोग दूल्हे को उसके कमरे में ले जाते है,जहां दुल्हन(साक्षी) आंखों में आंसू लिए बैठी है,दूल्हे(देव) को वहीं पर छोड़ दिया जाता है। वो भी वहीं निढाल पड़ा रहता है। साक्षी भी वहीं पास में ही सो जाती है।

कमरे के बाहर,

जब तक रतन के ताऊ को सारी बातें लाता चलती और वो अपने लोगों के साथ आते तब तक शादी संपन्न हो चुकी थी, वो चाह कर भी अब कुछ नहीं कर सकते थे, बस वहां से गुस्से में रतन और उसके परिवार को धमकी से कर चले जाते है। ये सब भी चैन की सांस लेते है पर रतन आने वाले तूफान के बारे में सोच कर परेशान था।

सुबह के समय,

देव के घर पर,

देव की मां (सुमित्रा देवी): आपको तो अपने बेटे की फिक्र ही नहीं है, रात से उसका फोन ऑफ है पता नहीं कहां है मेरा बेटा, कहीं किसी मुसीबत में तो नहीं फंस गया।

देव के पापा(किशोर शर्मा): अरे भाग्यवान कैसी बात करते हो दोस्तों के यहीं रुक गया होगा, हो सकता है उसका फोन ऑफ हो गया हो।

इतने में ही,

अमित(देव के बड़े भाई): मां आप चिंता मत कीजिए आता ही होगा देव

मां: बेटा तू ही देख ना कहीं पता नहीं कहां चला गया है

अमित: मां कई बार पहले भी वो ऐसे ही रात रात भर दोस्तों के साथ रहता है तो आप घबराइए मत

मां: तू भी ना बिल्कुल अपने पापा की तरह है,बिल्कुल भी दया नहीं है तेरे दिल में, मैं खुद जाती हूं उसे ढूंढने

अमित: आप बैठो मैं देख कर आता हूं उसके दोस्तों के घर पर।

वहीं जब सुबह देव उठता है तो उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। साक्षी वहीं बैठी होती है तो देव उसे देख कर चौंक जाता है।

देव: कौन है आप, और मैं यहां कैसे आया,ये कौन सी जगह है और ये कहते हुए वो बेड से उठ जाता है।

साक्षी: वो मैं आपकी पत्नी हूं, कल रात हमारी शादी हुई है

देव: क्या बकवास है ये

देव वहां से बाहर आ जाता है। जहां पर सभी बैठे हुक्का गुड़गुड़ा रहे थे। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। देव वहां से बाहर की तरफ जाने लगता है। पर गेट के पास उसे बंदूकधारी गार्ड रोक कर अन्दर जाने को कह देते है। पर जब देव नहीं मानता तो उसे खींच कर अन्दर ले जाते है। वहां पहुंच कर वो उन लोगों के चेहरे ध्यान से देखने लगता है। फिर एक इंसान की तरफ जा कर

देव: तुम तो वहीं हो ना जिससे कल रात हमने मदद मांगी थी हाईवे पर जब हमारी गाड़ी खराब हो गई थी, फिर हम यहां कैसे पहुंच गए, और ये सब मुझे जाने क्यों नहीं दे रहे है, वो लड़की,वो कह रही है हम उसके पति है, क्या ड्रामा है ये

वो आदमी(रतन सिंह): देख वो लड़की है साक्षी जो हमारी बहन है, और अब तू उसका पति है

देव( जोर से): क्या बकवास कर रहा है तू,दिमाग ठिकाने नहीं है क्या,और रही बात अगर नशे में हमने उसके साथ रात गुजार ली हो तो बोलो कितने पैसे चाहिए

रतन(उसका कॉलर पकड़ कर): अपनी गंदी जुबान बंद कर, अगर तू उसका पति नहीं होता तो अभी तुझे जान से मार देता।

देव: पर मैंने कब की इससे शादी

रतन: तू तो बड़ी जल्दी भूल गया, कल रात तो हुई है तुम दोनों की शादी, अब चल जा तैयार हो जा तेरी विदाई का वक्त आ गया है।

देव जिसके समझ में अभी भी कुछ नहीं आ रहा था,घर जाने की बात सुन कर खुश हो गया और फ्रेश होने चला गया, और अपने कपड़े पहन कर वापिस आया।

देव: चलता हूं रतन फिर

रतन: अपनी दुल्हन को तो साथ ले जा

देव: कौन सी दुल्हन और कौन सी शादी

रतन: तू भूल रहा है कल रात ही शादी हुई है तेरी

देव: मैं ऐसी किसी शादी को नहीं मानता, जो नशे में जबरदस्ती किडनैप करवा कर की गई हो

रतन: देख शादी तो हुई है तेरी, और अगर सलामती चाहता है अपनी तो इस शादी को अपनाना भी पड़ेगा तुझे(और बंदूक उसकी तरफ तान देता है)

देव: अगर ना अपनाएं तो

रतन: सोचना भी मत, अगर तुझे उठा सकते है तो किसी और को उठाना बहुत मुश्किल नहीं होगा,समझ रहा है ना तू

देव(समझ जाता है कि क्या कहने की कोशिश कर रहा है रतन): वो चुपचाप फिर साक्षी को वहां से ले कर चल पड़ता है।

पूरे रास्ते वो चुप रहता है,

घर पहुंचने पर,

साक्षी को दुल्हन के लिबास में देख कर

सुमित्रा जी: देव तुझे शादी करनी थी तो बता देता, हम तेरी शादी वैसे ही करवा देते, उसके लिए यूं गायब रहने की क्या जरूरत थी

देव: मां बात सुनिए आप

अमित: भाई कंग्रॅजुलेशन, अब अंदर ले कर जा इनको

देव: बात तो पूरी सुनो भाई मेरी

सुमित्रा जी: तू चुप कर हमेशा अपनी मर्जी करता रहता है, हमें बता तो देता हम कौन सा मना करते तुझे

देव(गुस्से में): जब सुननी ही नहीं है तो क्या फायदा बता कर और वहां से चला जाता है।

इतने में देव की भाभी(रिया शर्मा) एक लोटे में चावल ले कर और एक बर्तन में पानी में लाल रंग घोल कर लाती है। वो लोटे को दरवाजे पर रख देती है और साक्षी से उसे पैर मार कर अन्दर आने को कहती है। साक्षी भी वैसा ही करती है। फिर भाभी उसे उस बर्तन में हाथ रख कर दीवार पर हाथों के निशान बनाने को कहती है। उसके बाद साक्षी सभी के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है।

सुमित्रा जी: जुग जुग जियो मेरे बेटे, और सदा खुश रहो और कुछ पैसे उसके हाथ में मुंह दिखाई के पकड़ा देती है।

फिर साक्षी किशोर जी के पैर छूती है और वो भी उस आशीर्वाद देते हुए कहते है बड़ी प्यारी बच्ची है, आप हमारी बहू नहीं बेटी है। रिया के जब पैर छूने जाती है तो रिया उसे गले लगा लेती है।देव ये सब कुछ ऊपर से देख रहा था।

देव(मन ही मन, गुस्से में): कैसे हंस हंस कर सब से मिल रही है।

फिर रिया उसे देव के कमरे में ले जाती है। जहां देव पहले से ही गुस्से में बैठा था।

रिया: क्या बात है देव, हमें बताया भी नहीं, इतना पराया कर दिया

देव कुछ नहीं बोलता तो रिया साक्षी को कपड़े चेंज करने को बोल कर नीचे चली जाती है। इतने में ही उनका एक नौकर साक्षी का सामान ले कर रूम में आता है और सामान रख कर बाहर चला जाता है।

देव वहां से गुस्से में  घर से बाहर जाने लगता है, सभी उसे आवाज देते है पर वो बिना सबकी सुने वहां से निकल जाता है।

किशोर जी: इसे क्या हुआ है जब से आया है ऐसे अजीब तरीके से बिहेव कर रहा है

सुमित्रा जी: कोई बात नहीं बच्चा है, थोड़ा परेशान होगा।

कुछ देर बाद साक्षी भी नीचे आती है और सब के साथ बैठ जाती है।

सुमित्रा जी: बेटा आपके परिवार में कौन कौन है

साक्षी: जी मम्मी पापा, बड़े भैया और एक छोटी बहन

सुमित्रा जी: और बेटा आप करते क्या हो

साक्षी: जी मैंने बीएससी किया हुआ है

सुमित्रा जी: आप देव के कब मिले थे

साक्षी: जी वो

सुमित्रा जी: बेटा आप हमें मां बुला सकते है कोई दिक्कत नहीं है

साक्षी: ठीक है मां

इतने में ही एक पड़ोसी आती है और सुमित्रा जी उनसे मिलने चली जाती है। रिया भी साक्षी को ऊपर अपने कमरे में जाने को कहती है।

दोपहर के वक्त सभी साथ में लंच करते है,

किशोर जी: अरे ये देव कहां रह गया

अमित: पता नहीं पापा, फोन भी नहीं उठा रहा है

किशोर जी: पता नहीं इस लड़के को क्या होगा,( साक्षी की तरफ देख कर) बेटा आपकी कोई बात हुई है क्या उससे

साक्षी: नहीं पापा

किशोर जी: कोई इतना इरिपोंसीबल कैसे हो सकता है मुझे तो इसका कुछ समझ नहीं आता

फिर सभी खाना खाते है और सभी अपने कमरे में चले जाते है।

वहीं देव बार में बैठ कर सिर्फ शराब पिए जा रहा था सुबह से।

रिया: अमित मुझे कुछ ग़लत लग रहा है

अमित: मतलब

रिया:देव का बिहेवियर और फिर यूं गायब हो जाना

अमित: अजीब तो मुझे भी लग रहा है पर क्या कर सकते है

रिया फिर फोन निकाल कर राज(देव के बचपन का दोस्त) को फोन लगती है

अमित: किसे फोन कर रही हो

रिया: राज को

राज: हेलो भाभी

रिया: राज एक बात बताओगे

राज: जी कहिए भाभी

रिया: देव की कोई गर्लफ्रेंड थी क्या जिससे वो शादी करना चाहता हो

राज: नहीं तो भाभी क्यों क्या हुआ

रिया, उसे सब बातें बता देती है जिसे सुन कर राज काफी हैरान हो जाता है क्योंकि देव की कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी और होती भी तो शादी वो भी बिना किसी को बताए ये संभव ही नहीं था।

राज: भाभी मै पहले देव से बात करूं फिर करता हूं कॉल आपको

राज फिर देव को फोन करता है,देव उसे एक बार में बुलाता है।कुछ देर बाद राज वहां पहुंच जाता है

राज: कितनी पी ली शक्ल देख अपनी

देव: छोड़ ना यार ये बता पिएगा

राज: नहीं भाई और अब तू भी नहीं पिएगा, चल घर चलते है

देव: नहीं अब उस घर में वो है मैं नहीं जाना चाहता

राज: साले बिना बताए शादी कर ली और अब वो है तो जाना नहीं चाहता

देव: आज के बाद बोल मत दिओ, बात पूरी पता नहीं है और बक बक, किसी को समझना ही नहीं है कुछ

और गुस्से में वेटर को बुला कर ड्रिंक ऑर्डर कर के जल्दी लाने को कहता है।वेटर के ड्रिंक लाते ही एक ही सांस में पी जाता है।

राज: भाई आराम से बताएगा अब क्या बात है

देव: छोड़ यार जा उसके पैर छू ले पहले

राज: अब बोल ना

देव उसे सारी बात बता देता है जिसे सुन कर राज का मुंह खुला का खुला रह जाता है। वो वेटर को दोनों के लिए ड्रिंक लाने को बोलता है और वेटर के ड्रिंक लाते ही उसे एक सांस में ख़तम कर देता है।

देव: क्या हुआ झटका लगा ना

राज: भाई इतनी बड़ी बात हो गई और तूने बताया भी नहीं

देव: अभी कार्ड छपवा कर पूरे शहर को बता देता हूं ना

राज: अब क्या करेगा

देव: वो ही तो समझ नहीं आ रहा है

राज: पहले घर चल वहां पर बात करते है सब से फिर देखते है

देव: कोई सुनने को तैयार ही नहीं है

राज: चल तो सही

और फिर दोनों देव के घर पहुंचते है जहां सभी हॉल में बैठे दोनों का इंतजार कर रहे थे। सभी उस वक्त वहीं थे और साक्षी एक कोने में खड़ी थी।

किशोर जी: देव तू शराब पी कर आया है ( और उसे एक चांटा जड़ देते है)

देव: मारिए और मारिए पापा, और रोते रोते अपने पापा के गले लग जाता है

किशोर जी: क्या हुआ बेटे आप रो क्यों रहे है, कोई परेशानी है, बेटा हमें बिल्कुल बुरा नहीं लगा कि आपने शादी कर ली तो उस बारे में बिल्कुल मत सोचिए

देव: पापा अपने बेटे पर इतना भी विश्वास नहीं की आपसे बिना पूछे हम कोई कदम नहीं उठाएंगे

किशोर जी: तो बेटे बात क्या है

देव उन्हें सारी कहानी बता देता है, गाड़ी खराब होने से ले कर सुबह घर पहुंचने तक की। जिसे सुन कर सभी दंग रह जाते है और साक्षी अपना सिर झुका कर खड़ी थी।

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