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बाऊआ

   सुबह के ६ बजे रहे थे । मेरी नींद आज जल्दी खुल गई थी । जल्दी क्या खुली , मैं तो ६ बजे उठकर भी घर में सबसे देर से उठा । मम्मी ( मां ) रसोईघर से आवाज दे रही थी - बउआ....बउआ... उठे हों कि नहीं ? मैं "हां मम्मी उठ गया हूं " ।

    मैं विस्तर से उठकर कॉलेज के लिए तैयार होने लगा । आज मेरे कॉलेज का पहला दिन था । तो सभी की तरह मैं भी खुश था । मगर रैगिंग के बारे में सोच कर थोड़ा डरा हुआ था । मैंने कॉलेज में होने वाले रैगिंग के कई डरावनी किस्से सुन रखा था । इसलिए मैंने इसकी तैयारी पहले से ही कर ली थी ।

    सभी लोग कॉलेज के पहले दिन के लिए नए कपड़े पहनते है । मगर मैं तो पहले से ही डरा हुआ था । अब डरा हुआ आदमी भला क्या करता , तो मैंने एक पुरानी जीन्स और एक टी-शर्ट पहन ली । यह मेरी वही टी-शर्ट थी जिसे मैंने पिछले महीने घर में पहनने के लिए आलमारी से निकाली थी ।

    मैं कॉलेज की गेट पर सहमा हुआ सा धीरे-धीरे कॉलेज में प्रवेश करता हूं । ऐसा लग रहा था मानो मैं कोई चोर हूं और मैंने किसी की लाखों की सम्पत्ति चोरी की है । अब डर तो लगता ही है । ज्यादातर सभी अपने दोस्त या रिश्तेदार के साथ कॉलेज के पहले दिन आते हैं । मगर मैं अकेला ही कॉलेज आ गया था ।

    गेट के बाहर तो पता ही नहीं चल पा रहा था कि कौन स्टूडेंट्स है और कौन अभिवावक ? । सबसे अजीब तो यह था कि कई स्टूडेंट् के साथ तो उनका पूरा परिवार ही आया हुआ था । कॉलेज से ज्यादा भीड़ तो कॉलेज के गेट के बाहर थी ।

    अब सभी लोग लड़कियों को घूरने में लगे थे । मगर मैं तो आया था वॉईज़ स्कूल से वहां तो लड़कियां होती नहीं थी ‌।

  

   

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