"तुम ..नहीं आप "
वो हँसते हुये बोली ..सुनो ना मेरे फोन का पासवर्ड है #तुम मेरे हो
नहीं ,इसको चेंज करके कर दो #आप मेरे हो
पर क्यों यार ? ये तुम और आप के बीच बहुत परायापन दिखता है मुझे, इतना कि होंठो पर दबी बात समेट कर हलक में उतार लेती हूँ ।रहने दो यार ..ये जी, और आप ; मुझे तुम्हारे घर के दरवाजे पर खड़ा कर देते हैं जहाँ मैं दस्तक दे रही होती हूँ और तुम पूछ रहे होते हो ..जी आप कौन ?
अच्छा ऐसा क्या ..हम्म्
कुछ देर सोचने के बाद ...मानती हो ना कि हमारा रिश्ता अपनत्व , प्रेम और भावनाओं की मन्द सुगन्धित बयार की तरह है ..लोग बहुत जल्दी "तुम" तक आना चाहते हैं । "तुम" आधिपत्य भाव लिए तुम्हारे सामने अक्सर ही कठोर रूप में आ सकता है जो तुमको अंदर ही अंदर प्रभावित करेगा पर "आप" सदैव सम्मानजनक रूप में ही सामने आएगा और कई बार ये "आप" बेहद खास होता है पगली
प्रेम तुम्हारे लिए हमेशा रहेगा ..चिरस्थायी
हमारे प्रेम में अवहेलना और तिरस्कार के लिए कोई जगह नहीं ।
इसीलिए ...वो है और रहेगा...तो फिर आप खुश रहो ना यार
हम्म् ☺☺☺
#pranjali ....