1 नई सोच जिंदगी की।

समय कभी एक सा नहीं रहता, ये तोह आखिर सब ही जानते है। परन्तु समय के साथ चलना खुद को नई शुरुवात देने की तरह है। और अब वो समय आ गया था। जब हमें यह विचार करना था। की आखिर अब इस समय के बदलाव में हमे समय के साथ कैसे चलना है। यह मुख्य तौर पर जान पाना हमारे लिए बेहद मुश्किल था। क्योंकि हमे इस समय का अभी तक कोई भी अनुभव नहीं था। जीवन कि कार्य शैली को बदलना और उसे जीवन के भागो से जोड़ना, एक कठिन कार्य होता है। क्योंकी जीवन में हर दिन हम कुछ नया अनुभव करते है।

परन्तु जैसे - जैसे समय के साथ जीवन को नई ऊंचाइयां का अनुभव हो रहा था वैसे ही एक नई सोच जन्म ले चुकी थी। अब बस उस सोच को एक नई दिशा में साथ ले जाना था। समय के साथ उस दिशा को भी बदलते रहना था। दिशा का चुनाव समय के अनुरूप था। एक भी गलत अनुभव जीवन की दिशा के मार्ग को बदल सकता है।

सोच अनुभव का मुख्य आधार है। सोच से ही अनुभवता को पहचान मिलती है। यही समय के साथ जीवन की आधार शीला बनती है। जीवन के अनुभव मनुष्य की सोच पर निर्भर है। समय के साथ सोच बदलती है तोह अनुभव भी बदलते है।

एक सोच से एक विचार जन्म लेता है। विचार से कार्य क्षमता उत्पन होती है। जो अंत में अनुभव का रूप धारण कर मनुष्य को नई राह प्रदान करती है। यही है जीवन का मूल स्वरूप जो एक नाई सोच के साथ मिलकर समय के साथ चलने की क्षमता को पारदर्शित करता है।

जय हिन्द।

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