आज मैंने इन परिंदों से पूछा .. चारो तरफ फैली ये खामोशी आखिर राज क्या है..?
परिंदों ने हँसकर कह दिया ....
कि सुक्रगुज़ार हु मैं उस पतझड़ का भी , मैं तिनके कहा से लाता अगर सदाबहार होती ...
आदित्य :