1 प्रकाश

जो हमें जोड़ता है ,बनाता है ,सिखाता है ,

कुछ करने का हौसला देता है ।

कड़ी सर्दी में ठिठुरते , सपनों को हौसला देता है ,

जैसे गर्मी के अहसास के साथ कोई ,

किसी नंगे शरीर को कपड़ा देता है।

खुद तप कर दुनिया को उजागर करता है ,

सब सह हर पल रोशनी करता है ।

कुछ ऐसा ही वो , ना दिखा आजतक , ना मिला अबतक , ना आंखों से आंखें मिली , ना लफ़्ज़ों से कोई बातें हुई , कभी ना यारों हमारी आंखें चार हुई आवाज सुनी बस और अजनबी सा एहसास हो गया ना जाने क्यूं ?

कुछ ना हो के भी वो मेरे इतने खास हो गया ,

कि वो मेरी पहचान बन शिवानी प्रकाश हो गया ।

लगा था सब खो ही गया हो जैसे मिल उससे फिर वो अपना हो गया ।

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