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उतर प्रदेश राज्य मे छोटा सा गाव था, गांव का नाम गोरखपुर था, आज सरपंच के घर उनकी पत्नी को बेटा हुआ था पूरे घर में खुशी छाई हुई थी, तीन माली इमारत था उनका घर, उनके पिताजी काफी जमीन और जायदाद छोड़ गये थे, गांव की जमीनों मे आधी जमीन उनकी ही थी, सरपंच जी बहोत खुश थे,उनकी पत्नी नगमा बानो खटिया पर थी, बच्चे को जन्म दे कर वो बेहोश हो गई थी, "क्या हो गया मेरी बहु को, बच्चा ठीक तो हे ना? " बच्चे को जन्म दिला ने आयी दाया से चिल्ला कर पूछा, "तेरा पोता बिल्कुल ठीक हें नूर बानो" दाया ने कहा "वो थकान के कारण बेहोश हुयी हे"
कमरे मे बच्चे के रोने की आवाज गूंज रही थी दाया बच्चे को साफ कर रही थी, सरपंच की अम्मी नूर बानो उसकी मदद कर रही थी.
कमरे के बाहर सरपंच अब्दुल खान चक्कर काट रहे थे, वे बहोत परेशान थे, उनके साथ उनके भाई खड़े थे, "भाईजान को देख रहे थे,उसी वक्त कमरे से बाहर नौकरानी ने बाहर आकर कहा," सरपंच जी आप को बुला रहे है, सरपंच जी दोड़ के अंदर जाते हें, दाया उनके हाथ मे बच्चा देते हुये कहती हे "सरपंच जी बच्चा और और माँ दोनों ही ठीक हें"
सरपंच की खुशी का ठिकाना नहीं था और हो भी क्यु आखिर सादी के 10 साल बाद बेटा हुआ था कितनी दरगाह पर चादर चडाई थी तब जाके बेटा हुआ था, सरपंच के भाईओ की शादी हुए 1 साल हो चुका था, उन्हों ने बेटे की उम्मीद छोर दी थी, सालो बाद खुदा ने रहमद बरसाई थी.
" सारे गाव वालो को कह दो अगले मंगलवार सारे गाव को दावत पे आना हे", सरपंच ने दोनों भाई को आदेश दिया, "अरे भाईजान इनकी औकात नही जो हमारे साथ दावत पे आये" छोटे भाई ने कहा मंजले भाई ने कहा "छोटे चुप भाईजान ने कहा हे तो पूरे गाव मे दावत होगी समजा" सारे गाव वालो को न्योता देने के लिए नोकर को भेजा.
गाव वाले बेहद गरीब थे गाव मे स्कूल और सरकारी अस्पताल सरपंच ने बनाये थे और सबके घर बिजली लगवाई थी उनकी गांव मे बेहद इज्जत थी. सरपंच के घर बेटे का जन्म होने से सब बेहद खुश थे, उनके साथ उनकी खुशी में सरीख होने के लिये गये वहां पे नाच गाना हुआ पूरे दिन रात
जैसन हुआ.
अरमान नाम रखा था सरपंच ने उनके बेटे का सरपंच का एक ही बेटा था, अरमान की दोनों चाची, दोनों चाचा और दादी, अम्मी अबु बेहद प्यार करते थे, दो साल बाद अरमान के छोटी चाची और बडी चाची दोनों को एक एक बेटा हुआ
छोटे चाची के बेटे का नाम अन्वर और बड़े चाची के बेटे के नाम अफजल था. और छोटी चाची को एक साल बाद लड़की हुई उसका नाम सिमरन रखा था.
एक तरफ सरपंच का परिवार बढ़ रहा था, सरपंच गाव के मसलों मे व्यस्त रहने लगे थे और उनके दोनों भाई ने व्यापार मे व्यस्त थे.
उनके बच्चे स्कूल जाने लगे थे स्कूल से शिकायत आयी थी.
सब गाव वाले एक जगा इक्कठे हुये थे सरपंचजी आगे खुर्शी पे बेठे थे उनके साथ आजू बाजू कुछ पंचायत के सदस्य एक गरीब दिखने वाले पिता ने कहा "सरपंच जी आपके बेटे और भतीजे ने मिलके मेरे बेटे को बेहद मारा उसके हाथ तोड़ दिये" "की होगी कुछ बदमाशि तभी तो मारा होगा" सरपंच के भाई ने जवाब दिया " तुम सांत रहो" सरपंच ने कहा, गाव वालो ने कहा "सरपंच जी हा आप के बचे ने दुकान वाले के बेटे को भी मारा था, अभी उनकी उम्र 15 साल हें और गाव मे सबको तंग करते हें धौंस दिखाते हे आप की खातिर हम कुछ उन्हें कह नहीं पाते पर अब तो आपको उनको सजा देनी ही होगी" अरमान अन्वर और अफजल वहां पर ही खड़े थे, अरमान ने कहा" पिताजी उसने सिमरन को छेड़ा था" उसकी आवाज़ से पता चल रहा था वो जूठ बोल रहा था.
सरपंच एक आदमी को भेजते हें वो फ़रियाद करने वाले पिता को कान मे कहता हें" तुम्हें याद तो हेना तुम्हारी जमीन गिरवे रखी हें सरपंच के भाई के पास" वो डर जाता हें और सरपंच के भाई ने जिस आदमी को भेजा था, वो एक एक करके सबके कान में ये बात कहता हें. गांव वालो को जब भी जरूरत होती पैसो की तो सरपंच के भाई के पास जाते और अपनी जमीन रख के पेसे लेते थे इस तरह सभी गाव की ज़मीन सरपंच के भाई के पास गिरवी थी, इधर सरपंच जी कहते हें "सभी गाव वालो ने फ़रियाद की हे तो सजा तीनों को मिलेगी" पंचायत के सदस्य कहते हें "सही बात हे" आखिर सरपंच का बेटा था तो कोई कुछ और कह भी नहीं सकता था, सरपंच के भाई गुस्से मे गाव वालो को देखते हुए अपनी दाड़ी को खुजाते हें, इधर गाव वाले डरे होते हें वो डर से कहते हे, " ये तो बचे हे इनको क्या सजा दे आगे से एसी गलती ना करे," सरपंच जी कहते हें" सजा तो मिलेगी". गाव वाले जानते थे अगर सरपंच जी ने सजा दी तो सरपंच के भाई हमे छोड़े गे नहीं "नहीं बचो को कोई सजा नहीं करनी अपने बच्चे ही है आगेसे ध्यान रखेगे" गरीब पिता भी कहता हें "हा ये तो मेरे बेटे ने गलती की तो उन्हों ने थोड़ा मार दिया आखिर अस्पताल भी तो यही ले गये" उस की आवाज से साफ था कि वो डर कर कह रहा हे और उनको सरपंच जी कोई सजा तो नहीं करते पर गाव वालो से माफ़ी मागने को कहते हें," हमे माफ करना" कह कर अरमान और उसके दोनों भाई घर चले जाते हें, और सरपंच जी दूसरा केस क्या हे पूछते हें. उनको सजा नहीं मिलने से उनकी हिम्मत बढ़ गई थी और गाव वालों से माफी मांगनी पडी इस लिये वो गाव वालो पर बेहद गुस्सा भी था.
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