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Heartless king

न्यूयोर्क शहर एक उँची ईमारत से, एक शख्स शीशे क़ी खिड़की के पास खड़ा  निचे आते -जाते हुए गाड़ीयों और लोगों को देख रहा होता हैँ..... उतनी ऊंचाई लोग और गड़िया उसे कीड़े माकोड़े क़ी तरह दिख रही होती हैं। वो निचे देखते हुए कुछ सोचे जा रहा था। तभी दो लोग अंदर आते हैँ, चलो हमें निकलना हैँ, काका हुजूर का बार बार फ़ोन आ रहा हैँ .... राजस्थान के लिए.... जैट तैयार हैँ......... वो शख्स, "हम्म्म " कहते हुए फिर से खिड़की क़ी तरफ देखते हुए और कहता हैं........... क्या उसके बारे कुछ मालूम हुआ, कहते हुए उसके आखों में एक दर्द उभर आया। दूसरा शख्स, "तुम आज तक नहीं भूले हो उसे..... सात साल हो गए.... कौन थी, कहाँ से आयी थी, केसी दिखती हैं,अब तक हमें मालूम नहीं हुआ,जैसे उसे जमीन खा गयी या आसमान निगल गया। जिन्दा भी हैं या मर गयी। तभी वो गुस्से में, उसका गला पकड़.... जस्ट शटअप दुबरा ये कहने की हिम्मत मत करना ये कहते हुए उसके आँखो में खून उतर आया। फिर झटके से उसे छोड़ दिया। वो खाँसते हुए अपने गले को सहलाता हैं। तभी वो मुड़ता हैँ और कहता हैँ..... उसकी पहली मुलकात के बाद यही कहूँगा क़ी उसके बगैर दिल कही लगता नहीं ज़ब तक जियूँगा उसे आखिरी सांस तक ढूढ़गा..... आगे महादेव क़ी मर्जी। तभी तीसरा शख्स छोड़ ना तू इसे जानता तो हैँ। तीनों निकल जाते हैं इंडिया के लिए.....

Dhaara_shree · Urban
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32 Chs

Ch-31

दीक्षा की बात सुनकर सौम्या  कहती है, "  नहीं भाभी सा मैंने इसे नहीं पढ़ा !! मैं इसे सीधे आपके पास ले आई। दीक्षा कहती है, "ठीक है !! हम सब साथ में इसे पढ़ेंगे।  ऐसा करो तुम सबको बोल दो की, सब तैयार हो जायेगा और निकलने का प्रोग्राम बनाओ। हम सब देवी मां के मंदिर  चलते है। रास्ते मे तूलिका और रितिका कों भी साथ ले लेगे। सौम्या कहती है,"  ठीक है भाभी सा!! मैं सबको बोल देती हूं। आप दादीसा से इज्जाजत ले लीजिये । दीक्षा कहती है, " ठीक है !! तुम सब उधर सब कुछ तैयार करो हम तुरंत तैयार होकर निकलते है ।

कुछ देर बाद घर के बड़ों से इज्जाजत चले कि घर की सारी लड़कियां एक साथ निकल जाती है जिसमें दीक्षा, सौम्या, तूलिका कनक एक साथ निकलती है और रितिका, अनामिका, शुभ और अंकिता एक साथ ,देवी मां के मंदिर की तरफ निकलती है ।  एक गाड़ी रितिका चला रही थी और एक दूसरी गाड़ी तूलिका चला रही थी। तूलिका और रितिका कों सभी ने उनकी उनकी कामों की जगह से पिक कर लिया था।

तूलिका चिढ़ती हुई  दीक्षा से कहती ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी, तुम्हें जो ये दोपहर कों रोड पर परेड करवा रही हो ? दीक्षा ने अभी तक किसी कों डायरी के बारे मे नहीं बताया था। तूलिका की बात सुनकर दीक्षा कहती है, "  पहले देवी मां के मंदिर चले!! दोनों एक दूसरे से बहस करती हैं कि आगे एक लड़की गाड़ी के नीचे आ जाती। तूलिका जोर से ब्रेक लगा कर  गाड़ी रोकते हुए कहती है, ये कौन गाड़ी के निचे मरने आं गया है। दीक्षा कहती है, चलो निचे चल कर देखते है। उनके पीछे आं रही रितिका भी गाड़ी रोक लेती है। सभी तेजी से गाड़ी से बाहर निकलती है।  तूलिका निचे बेहोश परी लड़की को घुमा कर देखती है तो सभी एक साथ कहती है, " लावण्या" । फिर कनक कहती कि लावण्या इतनी धूप में पैदल कहां जा रही थी और इसकी ऐसी हालत क्यों हो गई है इतनी पीली क्यों लग रही है? तूलिका चिढ़ती हुई कहती है, ये सवाल तुम बेहोश लावण्या से क्यों पूछ रही हो! होश मे आने दो फिर पूछना !!

शुभ कहती है, पहले इसे हॉस्पिटल ले चलो, डॉक्टर कों दिखाना है । उसकी बात सुनकर तूलिका शुभ कों. घूरती हुई कहती है, "क्या यार जीजी !! डॉक्टर आपके पास है। पता नहीं आप सब कों हो क्या गया है !! फिर दीक्षा कहती है," अच्छा तु कुड़ कुड़ बाद मे करना,पहले इसे गाड़ी मे ले चलो। फिर जरा तू चेक कर इसे हुआ क्या है? सभी उसे उठा कर गाड़ी मे बिठा देते है।

तूलिका, रितिका से कहती है पीछे मेरा मेडिकल बॉक्स है लेती आं जरा। रितिका उसे बॉक्स लाकर देती है। तूलिका बहुत आराम से लावण्या कों चेक रही होती है, गाड़ी के अंदर। सभी बाहर खड़े होते है। अंकिता कहती है, भाभी सा पता होता की राजस्थान की इतनी धुप मे हम सभी एसि वाली गाड़ी से निकल कर विटामिन डी लेने वाले है तो मै सन्सक्रीम लेती आती यार !! ऐसे तो पूरी काली हो जाउंगी !!

अंकिता की बातें सुनकर अनामिका कहती है, " कोई बात नहीं भाई को काली बीबी भी चलेगी !! तुम परेशान नहीं हो!!" वो तीनों उधर खुद से उलझें हुए थे। इधर शुभ दीक्षा कों पानी का बोतल देती हुई कहती है, " क्या बात है दीक्षा ! कुछ परेशान लग रही हो।"

दीक्षा पानी पीती हुई कहती है, कुछ नहीं लावण्या की फ़िक्र हो रही है। समझ मे नहीं आं रहा है की वो पैदल इतनी धुप मे कहाँ ज़ब रही थी। शुभ कहती है, ये तो उनके होश मे आने के बाद ही मालूम होगा।

कुछ देर बाद तूलिका बाहर आती है लेकिन चुप रहती है। सब उसका चेहरा देखती है। दीक्षा तूलिका के कंधे पर हाथ रख कर पूछती है, क्या बात है तुली ?

तूलिका बहुत गंभीरता से कहती है, " लावण्या ढाई मंथ प्रेग्नेंट है !!" ये सुनकर सबके होश उड़ गए। दीक्षा घबराती हुई कहती है, "तुली एक बार और चेक कर ना !! हो सकता है तुझे कोई गलतफहमी हुई हो !!"

तूलिका उसका हाथ पकड़ कर कहती है, नहीं दिक्षु !! यही सच है। अब तो किसी के समझ मे कुछ नहीं आं रहा था। शुभ कहती है, पिछले ढाई महीने से, पार्टी मे आने के बाद लावण्या कभी भी हमसे मिलने नहीं आयी!!हमे तो ये भी नहीं पता की इसके दोस्त कितने है। क्योंकि ये तो हम सभी से कभी अटैच हुई ही नहीं।

कनक कहती है, पता नहीं बुआ सा कों कुछ मालूम है भी या नहीं !! तूलिका मजाक उड़ाती हुई कहती है, जिस औरत कों साजिश करने से फुरसत नहीं है वो अपनी बेटी पर क्या ध्यान देगी। दीक्षा जो बहुत देर से शांत थी।

तभी सौम्या कहती है, भाभी सा !! लावण्या कों होश आं गया। सभी गाड़ी के पास आते है। लावण्या अपने सर पर हाथ रखे उठने की कोशिश करती है तो कनक उसे आराम से उठा देती है।

लावण्या जब अपने सामने सबको देखती है तो डर के मारे उसके चेहरे पर पसीना आने लगता है। ये देख शुभ जल्दी से बैग से जूस निकाल कर उसे देती है और कहती है, " डरो नहीं पहले ये पी लो !!"

अचानक लावण्या उसके हाथ से जूस की बोतल झटक देती है। जिससे बोतल बाहर गिर जाती है। सबको उसके इस व्यवहार पर गुस्सा आता है लेकिन उससे कोई कुछ कहता नहीं है।

लावण्या गाड़ी से निकलती हुई गुस्से से कहती है, मुझे आप सबकी हमदर्दी नहीं चाहिए। दोबारा हमारे पीछे आने की कोशिश नहीं कीजियेगा। ये कहती हुई वो वहाँ से आगे बढ़ने लगती है। तभी दीक्षा उसकी बाजु पकड़ कर अपनी तरफ घुमाती है और खींच कर एक थप्पड़ मारती है।

ऐसे उसके एक थप्पड़ मारने से, सभी उसे गौर से देखने लगते है और लावण्या अपने गालों पर हाथ रख कर उसकी तरफ देखती है।

ऑफिस मे दक्ष कों एक फोन आता है। उधर की बातें सुनकर दक्ष कहता है ध्यान रखना !! फिर अतुल कों फोन करके कहता है, " अंदर आं  "!! कुछ देर बाद अतुल अंदर आता है। दक्ष कहता है न्यूयोर्क वाले ऑफिस मे कुछ प्रॉब्लम आं गयी है।तो मुझे आज ही निकलना होगा। अतुल कहता है लेकिन यज्ञ होने वाला है पंद्रह दिन मे फिर यहाँ से ऐसे छोड़ कर कैसे जा सकते हो।

दक्ष कहता है लेकिन !! तभी रौनक अंदर आता है और कहता है, आप कहे तो मै चला जाऊ भाई सा !! दक्ष कहता है नहीं रौनक आपको वहाँ की कोई जानकारी नहीं है इसलिए आप मत जाये। फिर अतुल कहता है, मै चला जाता हूँ, तु फ़िक्र मत कर,!! तेरा यहाँ रहना जरूरी है। फिर भी मुझे लगा की बिना तेरे वहाँ काम नहीं होगा तो मै तुम्हें बुला लूँगा।

दक्ष कहता है,"हम्म्म्म!! फिर उसका फोन बजता है, उधर से कहा जाता है," खम्भाघणी राजा सा !! रानी सा सबके साथ देवी माँ की मंदिर ज़ब रही है। रास्ते मे उन्हें लावण्या बाई सा मिली है। तो सभी अभी एक जगह रुकी हुई है। "

दक्ष ये सुनकर कहता है, " ठीक है !! तुम सब उन पर नजर रखो और देखना कोई चूक ना हो!!"फिर अतुल से कहता है, नहीं मेरा जाना जरूरी है और वहाँ मुझे अनीश की जरूरत पड़ेगी क्योंकि कुछ लीगल इश्यू आं गए है। " तुम सब यहाँ संभाल लेना।

फिर वो फोन करके पृथ्वी और अनीश कों बुलाता है। दोनों कुछ देर बाद अंदर आते है। फिर दक्ष कहता है मुझे कुल गुरु ने बुलाया है। मुझे उनसे मिलने जाना है। उनसे मिलने के बाद मै न्यूयोर्क के लिए निकलूंगा। अनीश तु भी मेरे साथ चल रहा है।

पृथ्वी कहता है, अचनक कुल गुरु ने क्यों बुलाया है तुम्हें !! दक्ष कहता है, ये तो उनसे मिलने के बाद ही मालूम होगा।

मुझे कुल गुरु से मिलने जाना है वो ग्यारह नदियों का जल और मिट्टी लेकर आं गए है। आज मुझे उन्होंने अपने आश्रम बुलाया है।

उनसे मिलने के बाद हम न्यूयोर्क के लिए निकलेंगे। हमारे नहीं रहने पर आप सबकी जिम्मेदारी है पुरे परिवार कों संभालना और उनको सुरक्षित रखना।

अतुल कहता है, मै फिर कहता है, अगर अभी जाना टाल सके तो टाल ले। पता नहीं क्यों कुछ अच्छा नहीं महसूस हो रहा है।

दक्ष उसके कंधे पर हाथ रख कर कहता है, ऐसा कुछ नहीं होगा। तु परेशान मत हो। अब निकलता हूँ। ये कह कर दक्ष निकल जाता है।

इधर भुजंग और अलंकार मिलकर फिर से गहरी साजिश रच रहे थे। उनके साथ शामिल दाता हुकुम और अधिराज उनकी साजिश कों सुनकर मुस्कुराते हुए कहते है, इस जाल मे तो हमारी मछली जरूर फंसेगी देखते है फिर वो दक्ष क्या कर लेता है। वो हमारा पहले भी कुछ नहीं उखाड़ पाया था और आज भी नहीं उखाड़ पायेगा।

इस बार ऐसी चाल चली है की सब एक साथ फंसेगी। तभी दाता हुकुम कहता है, " लेकिन ये सब तो हमने राज्यभिषेक के बाद सोचा था ना !!

भुंजग कहता है, उससे पहले करने पर हमे जो हासिल होगा वो किसी ने सपने मे नहीं सोचा होगा। रही बात उस प्रजापति खानदान की धरोहर की वो तो हम कभी भी उस गुरु जी से ले लेगे। पहले ये काम तो कर ले। ये कहते हुए उसकी कुटिलता साफ दिख रही थी। अलंकार कहता है, एक बार फिर तेरी वजह से हमारे अंदर की प्यास जग गयी है। अधीराज़ कहता है, हाँ !! बहुत घमंड है उस दक्ष कों !! तो उसे सबक सीखना ही पड़ेगा। भुंजग कहता है, फिर से प्रजापति के साथ हम साजिशों का खेल खेलेंगे। तैयार हो. जाओ दक्ष प्रजापति...। ये कहते हुए उसके चेहरे पर अलग ही घमंड झलक रहा था

इधर दीक्षा थप्पड़ मारने के बाद लावण्या की बाजु कों फिर से पकड़ती है। लावण्या जो दीक्षा कों लगातार देखती है और गुस्से मे कहती है, आपकी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की !! छोड़िये मुझे !! ये कहती हुई खुद से उसको छुड़ाने लगती है।सभी लावण्या की हरकत कों देख नाराज हो रहे थे।

दीक्षा उसे जोर से पकड़ती हुई कहती है, तुम्हारे इस तरह से चीखने चिल्लाने से क्या लगता है तुम्हें की हम तुम्हें छोड़ देंगे !! तो कान खोल कर सुन लो ऐसा कभी नहीं होगा !!हम जानते है की तुम परेशान हो और अपनी परेशानी मे ऐसे झुंझुला रही हो। लेकिन क्या तुम्हारे भागने से ये सच बदल जायेगा की तुम ढाई मंथ प्रेग्नेंट हो। क्या हम लोगों कों रोष दिखा कर, तुम अपनी परेशानी कों छिपा लोगी। नहीं लावण्या बिल्कुल नहीं !! हम कोई गैर नहीं है तुम्हारा परिवार है। भागने से अच्छा है, परेशानी से  लड़ो। तुम अकेली नहीं हो हम सब तुम्हारे साथ है।

ये सुनकर जैसे लावण्या टूट गयी और दीक्षा के गले लग कर रोने लगी। उसे ऐसे रोते देख दीक्षा उसके पीठ पर हाथ से सहलाती हुई कहती है, " शांत हो जाओ !! सब परेशानी का हल है। हम शांति से बात करते है। "

लावण्या कहती है, मैंने आप सभी के साथ कितनी बार बद सुलुकी की फिर भी आप मुझे संभाल रही है। मै तो. इस लायक भी नहीं हूँ।

तभी शुभ के साथ सभी आती है और कहती है, ये बातें हम बाद मे करेंगे। पहले हमे ये बताओं की बात क्या है !! तूलिका कहती है, उससे पहले जूस पी लो। फिर लावण्या जूस पी कर सबको खुद के और अक्षय के बारे मे बताती है।

उसकी बातें सुनकर दीक्षा कहती है अक्षय रायचंद !! लावण्या कहती है, हाँ!! दीक्षा उसकी बातें सुनकर कहती है, अगर उसने कहा है की वो आएगा तो जरूर आएगा। लेकिन क्या तुमने उसे अपनी इस हालत के बारे मे बताया है.

नहीं भाभी सा !! वो जीतनी बार फोन करते है, मै नहीं उठाती हूँ। सभी अपने सर ना मे हिलाती है। फिर शुभ कहती है, अब आप प्रजापति महल मे हमारे बीच रहेगी।

शुभ की बात सुनकर लावण्या कहती है, नहीं नहीं भाभी सा !! ऐसी हालत मे तो बिल्कुल नहीं !! मै क्या जबाब दूँगी सभी कों !!

उसकी बात सुनकर सभी चुप हो जाते है।

दक्ष इधर आश्रम पहुंच चुका था। वो जबाब गुरु जी के पास पहुँचता है। जहाँ गुरु जी ध्यान मे बैठे हुए थे। बिना आँख खोले वो दक्ष से कहते है, अंदर आओ दक्ष !! दक्ष उनके चरण कों स्पर्श करके उनके सामने बैठ जाता है।

कुछ देर बाद गुरु जी अपने ध्यान से आँख कों खोलते है और सामने बैठे दक्ष कों देख हल्का मुस्कान लिए कहते है, " दक्ष !! आप बहुत प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक है!!" ये सुनकर दक्ष कहता है, मै कुछ समझा नहीं गुरु जी!!

गुरु जी कहते है, आईये चलिए हमारा साथ!! घूमते घूमते बात करते है। ये सुनकर दक्ष उनके साथ च देता है। फिर गुरु जी गंभीर मुद्रा मे आकर कहते है, " हम जानते है की आप मे हर क्षमता है और आप हमेशा अपने दुश्मनो पर भारी पड़ेगें। लेकिन दक्ष कभी कभी हम अपनी भावनो के आगे कमजोर पड़ जाते है। आने वाले समय मे ऐसा बहुत कुछ आने वाला है आपके सामने जो आपको, अपने दायित्व और भावनाओं के बीच उलझा कर रख देगा। उसमें आपको अपने भवनाओ कों संयमित करना होगा।

ये सुनकर दक्ष कहता है, ऐसा क्या होने वाला गुरु जी। ये तो हमे भी मालूम है की सबकी नजर राजभिषेक से पहले उस यज्ञ पड़ है। जिसके पूरा होते ही हमे हमारे खानदान की धरोहर मिलने वाली। इसके लिए तो हम तैयार है।

गुरु जी कहते है, हम भविष्य जानते जरूर है दक्ष और आने वाले समय के लिए हम आपको आगाह कर सकते है, रास्ता दिखा सकते है लेकिन बता नहीं सकते क्योंकि भविष्य तो भोलेनाथ कों भी मालूम था की जबाब सती अपने पिता के यज्ञ मे शामिल होगी तो कभी लौट कर उनके पास नहीं आएगी। वो खुद त्रिकालदर्शी थे, फिर उन्होंने अपनी प्राण से प्यारी पत्नी कों समझाया। उन्हें भविष्य नहीं बताया। तो फिर हम तो उनके आगे मामूली इंसान है, दक्ष !! हम बस आपसे इतना कहेंगे, जब आपकी भावना आपको कमजोर करने लगे और आपका गुस्सा आप कों असंतुलित करने लगे। तब इतना ही याद रखियेगा की जो बीत चुका है, वो अतीत है, जिसे आप बदल नहीं सकते। और जो सामने है वो वर्तमान है आपको निर्णय आगे चल कर अपने अतीत देख कर नहीं अपना वर्तमान देख कर करना होगा।

दक्ष कहता है, मै आपकी बातों कों ध्यान मे रखूँगा गुरु जी। कल्याण हो राजा साहब !! आपका व्यक्तित्व हमेशा वक़्त के साथ निखरता रहे। आप हमेशा मजबूती के साथ आगे बढे। अब कुछ दिन बचे है, यज्ञ के लिए, बस उसकी तैयारी कीजिये। दक्ष उनको अच्छा कह कर प्रणाम करके निकल जाता है।

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इधर लावण्या की बात सुनकर सभी चुप हो जाते है। तभी दीक्षा कहती है, चलिए हमे एक जगह जाना है फिर किसी कों मेसेज कर देती है। लावण्या कों लेकर सभी निकल जाते है।

कुछ देर बाद सभी रायचंद विला के मुख्य दरवाजे के सामने खड़ा होते है। तूलिका कहती है, हम यहाँ क्यों आये है। दीक्षा कहती है, अंदर चलो सारे जबाब मिल जायेगे। तब तक अंदर से भागती हुई कृतिका आती है और दीक्षा के गले लग कर कहती है, "थैंक यू दीदी !! मेरे घर आने के लिए, अब मेरा घर भी पवित्र हो जायेगा।"

दीक्षा कहती है, ऐसी बातें नहीं करते है। आज मुझे तुम्हारी जरूरत आन परी है, इसलिये आयी हूँ। कृतिका सभी कों देखती हुई कहती है, अंदर चलो आप सभी,!! अंदर बात करते है।

सभी कृतिका के साथ अंदर चले आते है। कृतिका सभी के लिए चाय पानी की व्यवस्था करती है। फिर सभी एक साथ बैठ जाते है।

दीक्षा फिर लावण्या के पास आकर बैठ जाती है। फिर कृतिका की तरफ देखती हुई कहती है, " कृतिका तुम्हारे पास अक्षय की कोई तस्वीर है!!"

अचानक दीक्षा का सवाल सुनकर लावण्या के साथ साथ सभी हैरानी से उसे देखने लगते है। कृतिका कहती है, हाँ !! हे ना, मै अभी लाती हूँ फिर जल्दी से अक्षय के कमरे मे जा कर उसकी तस्वीर ले आती है और दीक्षा कों देती है। तस्वीर लेकर दीक्षा लावण्या कों दिखाती हुई कहती है, बच्चे देखो तो क्या तुम इनकी बात कर रही हो?

लावण्या तस्वीर देखते ही अपने सर जोड़ से हिलाने लगती है। ये देख दीक्षा उसे अपने बाहों मे भर कर कहती है,'अक्षय बहुत अच्छा इंसान है। हालांकि मै उसे ज्यादा नहीं जानती लेकिन ओमकार जी अब जा कर अच्छे बने है, शायद उन पड़ मेरी बहन कृतिका का असर हो गया है। ये सुनकर कृतिका शर्मा जाती है। फिर दीक्षा कहती है लेकिन अक्षय बहुत अच्छे इंसान है ये मै शुरू से जानती हूँ।

कृतिका, दीक्षा की बातें सुनकर कहती है, दीदी सहीं कह रही है!अक्षय जी बहुत अच्छे इंसान है, वो तो उनकी किस्मत कुछ पल के लिए खराब थी की उनकी शादी मेरी बड़ी बहन कम्या से हो गयी। लेकिन अब सब ठीक है। अब तो मै यही प्रार्थना करती हूँ की कोई अच्छी सी लड़की उनके जीवन मे आं जाये और उनके उदास जीवन कों प्यार के रंग से भर दे।

उसकी बातें सुनकर रितिका कहती है, तुम्हारी दिल से मांगी हुई ये दुआ कबूल हो गयी कृतिका,!! तुम्हारे देवर की जिंदगी मे एक ऐसी लड़की आं चुकी है।

कृतिका, हैरान होती हुई कहती है, मै कुछ समझी नहीं। शुभ कहती है, वो हम समझा देंगे। उससे पहले ये बताईये की अक्षय है कहाँ?

शुभ की बात सुनकर कृतिका बताती है, की कैसे कुछ दिन पहले उसकी बड़ी बहन कम्या ने क्या क्या किया था। उसके बाद ओमकार और अक्षय जी ने उससे सारे रिश्ते तोड़ लिए, लेकिन कम्या ने कैसे भी सबकुछ मेरे और इनके माता पिता कों बता दिया।

जिसे सुनकर काफ़ी हंगामा किया मेरे माता पिता ने। लेकिन जबाब ओमकार जी उन्हें पैसे का ऑफर दिया तो वो एक झटके मे मान गए। फिर अफसोस के साथ कहती है, उन्हें बस कम्या दी की चिंता थी। उन्होंने मेरे बारे कुछ भी जानने की कोशिश नहीं की।

अक्षय जी लखनव गए है, अपने सारे बिजनेस कों यहाँ सिफ्ट करने के लिए और अपने माता पिता कों मना कर हमेशा के लिए हमारे साथ लाने।

फिर कृतिका कहती है, लेकिन आप ये क्यों. पूछ रही है शुभ जीजी!!

उस पर दीक्षा कहती है, " लावण्या अक्षय के बच्चे की माँ बनने वाली है !!" ये सुनकर कृतिका कों तगड़ा झटका लगता है और वो अपनी थोड़ी तेज आवाज़ मे कहती है, " क्या!!"

ये सुनकर दीक्षा कहती है, " हाँ ये सच है और जितना लावण्या ने उसे बताया था वो. सब उसे बता देती है। फिर कहती है, ये सबसे छोटी होने के कारण और अपनी नासमझी मे, ये अक्षय के प्यार कों समझ नहीं पायी। उसने इसे कोर्ट मेरेज के लिए भी कहा, लेकिन ये नहीं मानी। जितना लावण्या ने हमे बताया उससे इतना हमें यकीन है की वो इसके साथ कोई दगेबाजी नहीं कर रहा है। वो तो इसे रोज फोन भी करता था। लेकिन ये उसका फोन नहीं उठाती थी और साथ साथ उसका नंबर भी ब्लॉक् कर दिया इसने।

अब बात ये है की ना तो इसे और ना हमें मालूम है की अक्षय कब तक आएगा और ये ढाई महीने प्रेग्नेंट है।

कृतिका कहती है, आप फ़िक्र मत कीजिये दीदी !! ये आज से हमारी छोटी बहन है। हम अक्षय से खुद बात करेंगे। कृतिका की बातें सुनकर शुभ कहती है, नहीं कृति !! आप इसमें नहीं पड़ेगी। ये मसला लावण्या कों खुद सुलझाना होगा। उनको महसूस होने दीजिये की अक्षय की मोहब्बत कों। आप सिर्फ इन्हें आज से अपने घर पड़ रखियेगा, हमारी और अक्षय की अमानत समझ कर।

कृतिका कहती है, आप शर्मिंदा कर रही है दीदी !! हम हमारी लावण्या और उनके बच्चे का पूरा ध्यान रखेंगे।

फिर शुभ लावण्या की तरफ मुड़ जाती है और कहती है, आप ये मत समझियेगा की हमने आपको पराया कर दिया या अकेला छोड़ दिया।

उसके बाद दीक्षा कहती है, " हम आपको कभी अकेला नहीं छोड़ सकते है, आप हमारे लिए अनामिका, सौम्या और अंकिता की तरह है। और भरोसा रखिये, हमने आपको काफ़ी जिम्मेदार हाथों मे सौंपा है। हमारा आपको यहाँ लाने का मकसद सिर्फ इतना है की जब आप अक्षय की कमरे मे रहेगी तो उनको महसूस करेंगे और उनके प्यार कों समझेगी। और जिस दिन आप ये समझ लेगी हमें यकीन है की आप खुद अक्षय से बात करके उन्हें अपने पास बुला लेगी।

रही बात घर की, घर के सदस्यों की और लक्षिता बुआ की, तो उनकी फ़िक्र आप मत कीजियेगा। हम सब कुछ संभाल लेगे। लावण्या उसके गले लग कर कहती है, हमें माफ कर दीजियेगा भाभी सा !! हमने आप सभी का बहुत दिल दुखया है।

ये सुनकर सभी एक साथ कहती है, " रोने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमें हमारा घर का दूसरा बच्चा रोतोलु नहीं चाहिए। इसलिये मुस्कराते रहो और खुश रहो। "लावण्या सबकी बात सुनकर मुस्कुरा देती है।

दीक्षा कृतिका से कहती है," आप ओमकार जी से बात कर लेना।क्योंकि हम नहीं चाहते की हमारी लावण्या कों कोई तकलीफ हो। रही बात अक्षय की तो ये मसला अभी इनदोनो के बीच रहने दीजिये। ये दोनों खुद सुलझा लेगे। वैसे हमे आप पर पूरा भरोसा है लेकिन फिर भी अपनी तस्सली के लिए आपको कहते है की आप लावण्या का ध्यान रखियेगा। राज्यभिषेक के बाद हम इनकी प्रेगनेंसी के बारे मे परिवार वालों. कों बताएंगे। तब तक ये आपकी जिम्मेदारी है।

ये सुनकर कृतिका कहती है, आप क्यों परेशान हो रही है, दी !! मुझे पर भरोसा रखिये, मैं लावण्या का पूरा ध्यान रखूँगी और कोशिश रहेगी की इनको किसी भी बात की परेशानी ना आये।

कृतिका की बात सुनकर सभी मुस्कुरा देती है। फिर कनक और रितिका लावण्या के पास आती है और कहती है, कोशिश कीजिये की अपनी अहम कों खुद से अलग करके फिर अक्षय जी के बारे मे सोचियेगा। फिर उनसे बात कीजिये। उन्दोनो की बातें सुनकर दीक्षा और शुभ कहती है, " हाँ !! हम ये बात इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि आप उनके बच्चे की माँ बनने वाली है !! नहीं ऐसा आप बिल्कुल नहीं समझियेगा। क्योंकि आप आज की औरत है जिसे बच्चा संभालने के लिए किसी मर्द की जरूरत नहीं परती। आज के समय मे बच्चे कों पिता से ज्यादा माँ के नाम से जाना जाता है। इसलिये हम ये बिल्कुल नहीं कहेंगे की आप इस वजह से अक्षय कों समझिये। नहीं !! बिल्कुल नहीं !! आप अक्षय कों खुद के लिए समझियेगा। जितना हम. सभी. ने आपकी बातों से जाना और समझा है। उससे ये तो हमे अंदाजा है की अक्षय आपको बहुत पसंद करते है और आप से बेहद प्यार करते है। और बच्चे !! किस्मत वालों कों मोहब्बत करने वाला जीवन साथी मिलता है।आप ख़ुशक़िस्मत है की आपके जीवन मे भी एक ऐसा इंसान है जो आपसे बेहद प्यार करता है।

लावण्या सबकी बात सुनकर कहती है, " आप फ़िक्र मत कीजिये भाभी सा !! मैं आप सबकी बातों पर जरूर सोचूंगी। "

सब मुस्कुराते हुए कृतिका और लावण्या से मिलती है और फिर निकल जाती है।

सब गाड़ी मे बैठ जाती है। शुभ कहती है, अब क्या करना है!! दीक्षा अपने पर्स से डायरी निकलाती है और कहती है मंदिर चलते है। सभी मंदिर की तरफ रवाना हो जाती है।

इधर दक्ष कों उसके गार्ड बताते है की दीक्षा सबके साथ ओमकार के घर गयी थी। दक्ष ये सोचते हुए की आखिरी वो ओमकार के घर क्यों गयी थी। फिर वो दीक्षा कों फोन लगा देता है। दीक्षा जब देखती है की दक्ष का फोन आ रहा है। वो फोन उठा लेती है और कहती है, "कहिये दक्ष क्या बात है!!"

दक्ष कहता है, उह्ह्ह!!कुछ नहीं, ये बताईये आप है कहाँ ? दीक्षा कहती है, हम सबके साथ मंदिर जा रहे है। ठीक फिर आप मंदिर जाईये।

कुछ देर बाद सब मंदिर पहुंच जाती है। मंदिर परिसर के अंदर आती है और सभी. देवी कों हाथ जोड़ कर प्रणाम करती है। पंडित जी सभी कों देख कर आशीर्वाद देते है और कहते है, "आज मंदिर मे रानी सा !! कोई जरूरी काम तो नहीं। पंडित जी की बात सुनकर दीक्षा कहती है, ऐसा कुछ नहीं है, हम बस दर्शन करने आये थे कुछ देर यहाँ रुक कर चले जायेगे। पंडित जी कहते जैसी आपकी इक्छा रानी सा!! सभी उनको भी प्रणाम करती है ।फिर सब मंदिर के पिछले वाले हिस्से की तरफ जाती है, जहाँ से मंदिर का बगीचा शुरू होता है। जहाँ पर हर तरह के फूल, फल के पेड़ -पौधे लगाये होते है।

किसी एक जगह शांत वातावरण कों. ढूढ़ कर सभी बैठ गयी। अब सब इंतजार मे थी की दीक्षा वो डायरी पढ़े।

इधर बहुत तेजी से शुभम दक्ष के ऑफिस पहुंचा क्योंकि अंकित, आकाश, हार्दिक और देवांश कुछ दिनों के लिए मुंबई वाले ऑफिस गए थे। शुभम हाफ़्ते हुए दक्ष के केबिन  मे पहुंचा। जहाँ दक्ष अभी अभी गुरु जी के आश्रम से आया था और वहाँ क्या बातें हुई ये सभी कों बताने अपने केबिन मे बुलाया था।

अचानक यू शुभम के आने से, पृथ्वी, अनीश, अतुल और रौनक सभी दक्ष के साथ साथ शुभम कों देखते है। दक्ष, शुभम की इतनी परेशानी भरी हालत देख अपनी आँखे छोटी कर के कहता है," शुभम "!!

फिर पृथ्वी कहता है, ऐसे क्यों भागे आं रहे हो, ऐसी क्या बात हो गयी है !! अनिश कहता है, हाँ !! जैसे तुम्हारे पीछे कोई सांड पड़ा है।सभी अनीश की तरफ घूरते है। अनीश कहता है, अरे मैंने ऐसा क्या कह दिया।

दक्ष कहता है, चलो आओ और बैठो। लेकिन शुभम तेजी मे कहता है,"वो.... वो.... भाई सा !! आप सब मे से किसी ने मेरी डायरी लीं है।" ये सुनकर सभी एक साथ कहते है, डायरी !! शुभम कहता है, हाँ डायरी !!

दक्ष उसका हाथ पकड़ कर बिठा देता है। फिर उसे पानी का ग्लास देते हुए कहता है, पहले पानी पी लो फिर हमेशा बताओं की बात क्या है। शुभम पानी पीते हुए कहता है, वो डायरी हमे लखीपुर मे मिली थी। जो नागेंद्र काका की थी।

अब ये सुनकर दक्ष कहता है, लेकिन तुमने तो हमे कुछ नहीं बताया था।शुभम कहता है, वो भाई सा !! बस याद नहीं रहा। ये सब छोड़िये आप सब ये बताईये की क्या आप सबके पास वो डायरी है। सभी एक साथ कहते है.... नहीं,!!

फिर अतुल कहता है, क्या तुम अपनी सभी भाभियों से पूछा हो सकता है, उन मे से किसी के पास हो ये सुन कर शुभम अचानक से खड़ा हो जाता है.... नहीं नहीं !! भाई सा !!वो डायरी अभी किसी के हाथ नहीं लगनी चाहिए थी।

तभी वो जल्दी से अंकिता का नंबर पर फोन करता है। अभी दीक्षा डायरी के पन्ने खोल ही रही थी की अंकिता का फोन बजा। अंकिता शुभम का नंबर देख, सभी कों कहती है, आप सब शुरू कीजिये। मैं आती हूँ।

अंकिता शुभम का फोन उठा लेती है। तभी शुभम गुस्से मे कहता है, " झूठ मत बोलना अंकिता !! जो पूछ रहा हूँ उसका जबाब दो! क्या तुमने डायरी लीं है। हाँ या ना !!

शुभम कों इतने गुस्से मे महसूस कर, अंकिता उससे झूठ नहीं बोल पायी और कहती है, हाँ मैंने वो डायरी लीं है।

क्या.... जोर से चीखते हुए शुभम कहता है। फिर घबराते हुए कहता है, " क्या... क्या किया तुमने उस डायरी के साथ ! क्या तुमने डायरी पढ़ी !! क्या किया बोलो डेमेड !!

अंकिता डरती हुई कहती है, नहीं मैंने नहीं पढ़ी। अभी भाभी सा सबके साथ वो पढ़ रही है।

शुभम चीखते हुए कहता है, ये तुमने क्या किया अंकिता। अब अगर इसका अंजाम. मेरे परिवार कों भुगतना पड़ा तो. समझ लेना मर गया हमारा रिश्ता। अगर मैंने उसे हर किसी से छिपाया था तो. उसकी बहुत बड़ी वजह होगी। ये तुम्हें सोचना चाहिये था लेकिन तुमने तो मेरे भरोसे का ही मजाक बना दिया।

नहीं शुभ ऐसी बातें मत करो। अंकिता आगे कुछ कहती तब तक फोन कट चुका था।

शुभम खुद मे कहता हुआ.... मुझे मंदिर जाना है.... ये कहते हुए वो जाने लगता है। तब तक. दक्ष और पृथ्वी रोक लेते है उसे.....!!!!!!!

संयम बहुत समय से कोशिश कर रहा था की जानवी से अपनी दिल की बात करे। लेकिन जानवी हर बार उसे नजरअंदाज कर दिया करती थी। आज भी संयम ने उसे अपने केबिन मे फ़ाइल लेकर बुलाया तो उसने वो फ़ाइल पियोन के हाथों भिजवा दी। संयम जो इतने दिन खुद कों शांत किये हुए था, खुद कों सब्र मे बांधे रखा था। उसका सब्र टूट जाता है और वो गुस्से मे जानवी कों फोन करता है। जानवी जो फ़ाइल मे उलझी हुई थी। संयम का फोन आते ही उठा लेती है। उधर से, संयम गुस्से मे कहता है, मिस जानवी शर्मा, आप अभी इसी वक़्त मेरे केबिन आईये और खुद आईये किसी कों भेजने की जरूरत नहीं है।

जानवी एक गहरी सांस भरती हुई, संयम की केबिन की तरफ जाती है। जानवी संयम की केबिन मे आने से पहले नॉक करती है। संयम गुस्से मे कहता है, कमिंग !!

जानवी जैसे ही अंदर आती है, उसके सामने सर झुका कर कहती है, सर आपने मुझे बुलाया। ये सुनकर संयम थोड़ा तंज करते हुए कहता है, " बुलाया तो कई बार था लेकिन आयी तुम अब हो "!! उसकी ये बात सुनकर भी जानवी अपने सर नहीं उठाती है, जिसे देख कर संयम गुस्से मे भर जाता है और वो सीधे अपनी जगह से उठ कर जानवी के पास आं कर खड़ा हो जाता है। जानवी कों जब तक कुछ समझ मे आता, तब तक वो उसकी बाजु कों पकड़ कर अपने करीब खींचता है। फिर गुस्से भरे लहजे मे कहता है," क्यों कर रही हो तुम ऐसे !! जरा मुझे बताओगी!!"

उसकी बातें सुनकर जानवी की नजर संयम के ऊपर जाती है और वो. संयम से कहती है, " आप ऐसा क्यों कह रहे है? मै कुछ समझी नहीं !!" संयम उसकी बातें सुनकर हल्का टेढ़ा मुस्कुरा कर कहता है, " क्या सच मे !! लेकिन मैंने तो सुना है की तुम लड़कियों की सिक्स सेन्स बहुत कमाल की होती है, जो बहुत आसानी से समझ जाती हम लडको की अच्छी और बुरी नजर कों!!"

जानवी उसकी बात सुनकर अपनी नजरें इधर उधर करने लगती है। फिर संयम से कहती है, मेरा हाथ छोड़िये दर्द हो रहा है मुझे !!

संयम बार बार उसके नजरअंदाज करने से बिल्कुल चिढ गया था इसलिये फिर उसे गुस्से मे कहता है, तुम्हारा दर्द तुम्हारा और मेरे दर्द का क्या जरा बताओगी !!"आखिरी क्यों कर रही हो तुम ऐसे !!" फिर बेशब्र होकर उसके चेहरे कों अपने दोनों हाथों मे थाम कर कहता है, " बस बहुत हुआ !! तुम क्यों नहीं समझती की मेरे दिल तुम्हारे लिए क्या अहसास है !!" ये बात कहते हुए दोनों एक दूसरे की आखों मे देखते है।

जानवी उसकी आखों मे देखती हुई कहती है, आप क्यों नहीं समझते की आप माधवगढ़ के राजा है और मै एक मामूली लड़की,, हमारा कोई मेल नहीं है। फिर भी आप जिद्द पर खड़े है। हाँ मुझे अहसास है आपके जज्बातों की लेकिन आप ही बताईये क्या कोई राजा किसी दासी से शादी करता है। नहीं !! दासी सिर्फ उनके शौख कों पूरा करने और दिल कों बहलाने के लिए होती है। और हम इनमें से कुछ नहीं. चाहते है। अगर इस तरह आप अपनी जिद्द पर क़ायम रहे तो हम ये नौकरी छोड़ देंगे।  अब छोड़िये हमे। हमे लगता है की हमने आपको जबाब दे दिया है।

संयम गुस्से मे उसे बिना कुछ कहे उसके होठों पर अपने होठों कों रख देता है फिर उसे पेशनेटली चूमने लगता है। जानवी उसका विरोध करती रहती है लेकिन संयम उसे चूमना नहीं छोड़ता है।

कुछ देर बाद जबाब जानवी कों सांस लेने मे परेशानी आने लगती है तो संयम के सीने पर जोर जोर से मारने लगती है। संयम उसे छोड़ देता है और उसे बाहों मे भर लेता है। जानवी खुद के सांसों कों संभालती हुई उसके सीने पर अपने मुक्के बरसाने लगती है और रोती हुई कहती है, आप बहुत बुरे है। संयम अपनी बाहों मे उसे कस कर पकड़े हुए कहता है, माफ कीजिये!! लेकिन आप बहुत जिद्दी है। इसलिये हमे ये रास्ता अपनाना पड़ा। हम आपको अपनी मोहब्बत से रुबरु कैसे करवाए। जब आप कुछ भी सोचने समझने कों राजी नहीं है। इसलिये आपके साथ हमने ऐसा किया।

जानवी रोती हुई कहती है, आप क्यों मुझे और खुद कों झूठी तस्सली दे रहे है, राजा साहब !!

संयम हँसते हुए कहता है, झूठ तो हम बोलते नहीं जानवी। रही बात तस्सली की तो जिंदगी है हमारी, जिसमे तस्सली से गुजारा नहीं होता है। आपके बारे मे बात हमने हर किसी से कर लीं थी। बस राज्यभिषेक के बाद सबके सामने बात करनी थी। इसलिये हम चुप थे। लेकिन आप तो अपने मन मे इतना गुब्बार लेकर बैठी है की कुछ नहीं सुनना और समझना चाहती है।

तो बताईये हम क्या करते!! फिर हम आपसे प्यार करते है, जानवी और इसमें हमे कोई डर नहीं है तो आपको क्यों है? जानवी उसके आखों मे आँखे डाल कर कहती है, लेकिन हमारे रिश्ते का कोई महत्व नहीं है राजा साहब!! क्योंकि आप भी जानते है की हम कोई राजघराने मे नहीं आते है।

संयम कहता है, " आप राजघराने से ताल्लुक नहीं रखती है लेकिन आज का समय बदल गया है, आज कल रिश्ते खानदान से नहीं इंसान देख कर किये जाते है और आप भूल रही है की हमारी बुआ सा ने भी एक सामान्य इंसान से शादी की थी। रही बात हमारी तो आप क्यों फ़िक्र करती है, आपके बड़े भाई दक्ष के आगे किसी की नहीं चलती। फिर भी आप डर रही है।

जानवी कहती है, लेकिन आपका परिवार कैसे मानेगा!!राजा साहब !!

संयम कहता है, इसका जबाब हम तब देंगे जब आप हमारे सवालों का जबाब दीजियेगा।जानवी उसका मुँह देखने लगती है, " संयम उसका चेहरा देख कर उसे अपने साथ सोफे पर बिठा देता है और फिर उसकी तरफ देखते हुए कहता है, " सबसे पहले आप हमे ये बताईये की, आपके दिल मे हमारे लिए क्या जज्बात है !!आप हमारे लिए क्या महसूस करती है?"

जानवी उसके सवाल. कों सुनकर कहती है, लेकिन अभी ये बातें कहाँ से आं गयी ? संयम कहता है, सबसे ज्यादा जरूरी तो यही बात है, जानवी क्योंकि आपको ये मालूम है की हमारे दिल मे आपके लिए क्या है  और हम आपके लिए क्या सोचते है। अभी अभी हमने अपनी मोहब्बत का भी इकरार कर लिया आपके सामने। फिर आगे की बात तो तब मायने रखती है, ज़ब आप के दिल मे क्या है वो हम जान ले!!

जानवी अपनी नजर झुका कर कहती है, क्या हर सवाल का जबाब देना जरूरी है। क्या आप मेरी ख़ामोशी नहीं समझ सकते है।

नहीं !! हर सवाल का जबाब देना जरूरी नहीं है,और हाँ हम आपकी ख़ामोशी कों पढ़ सकते है लेकिन ये तब जरूरी था, जब आपके मन मे इतने सवाल नहीं होते है। ज़ब आपके मन मे इतने सवाल है, जिसका जबाब आप हमसे चाहती है तो बताईये उससे पहले हमारा भी हक है की हम भी जान ले की आपके मन मे क्या है? अब चलिए जबाब दीजिये।

जानवी कहती है, हमारे दिल मे वही अहसास है जो आपके दिल मे है राजा साहब !! हाँ हमने खुद कों रोका है आपके सपने नहीं देखने के लिए क्योंकि हमे भी मालूम है की जमीन पर रह कर आसमां ख्वाब नहीं देखें जाते है। हम भी बस खुद कों जमीन पर रखना चाहते थे। हमारा दिल हमे बार बार मजबूर करता रहा आपके करीब आने के लिए लेकिन हमने हमेशा अपनी दिमाग़ की सुनी। हमसे दिल टूटने का दर्द नहीं बर्दास्त हो पाता इसलिये हमने खुद कों आपसे दूर रखा।

लेकिन ज़ब आपने ये सवाल पूछा तो हम आपसे कहना चाहते है की हमारे दिल के अहसास आपसे कुछ अलग नहीं है। जानवी की बातें सुनकर संयम मुस्कुरा कर उसे अपनी सीने से लगा लेता है और कहता है, बहुत तड़पाया है आपने हमे। इसका बदला तो हम आपसे जरूर लेगे, लेकिन शादी के बाद।

ये कह संयम एक बार फिर जानवी के होठों पर अपने होठों कों रख देता है। इस बार जानवी उसे रोकती नहीं बल्कि वो भी उसे चूमने लगती है। दस मिनट की किश के बाद दोनों एक दूसरे कों छोड़ते है। संयम उससे अपने सर कों जोड़ते हुए कहता है, आप फ़िक्र मत कीजिये, " संयम प्रताप की दुल्हन जानवी संयम प्रताप ही बनेंगी। बस राज्यभिषेक तक रुक जाईये। जानवी सर हिला कर अपनी सहमती देती है।दोनों मुस्कुराते हुए एक दूसरे से गले मिल जाते है।