1 लोकतंत्र

आज चोर भी इकट्ठा होकर चोर से ही बगावत कर रहे हैं,

और आज कोई झूठा किसी झुटे को सच्चाई का लॉलीपॉप दिखा रहा हैं,

आज कुछ अतरंगी बंदर मिलके मदारी से ही खेल रहे हैं,

आज रोटी के लिए बिल्ली नही झगड़ रही आज उनको बंदर जो बनना हैं,

आज सारी पहेलियां उल्टी होती जा रही हैं,

आज का युवा भी पढ़ा लिखा वही गधा हैं जो आने वाले युवा के परेशानी को और ढ़ो रहा हैं बस फर्क हैं वह गधा मासूमियत के लिए जाना जाता हैं

पर ये गधा आने वाली परेशानी को अपनी मूर्खता के लिए जाना जाएगा,

समाज का भी कुछ यही हाल हैं,

समाज आज दो भाग में बाँटा हैं

अमीरी गरीबी में नही वो तोह अब समाज की हिस्सा हैं ही नही,

बेदखल जो होगया इतने वर्ष बाद जवान होकर,

अब समाज दो जगह बांटा हैं सत्तापक्ष और विपक्ष

और समाज वही समाज जाए सीमापार ,

आज देश नही राजनीति दल की होड़ मची हैं,

बस फर्क इतना हैं आज बच्चे ही लगते हैं लोकतंत्र का असली चेहरा हैं।

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