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आशी ने पण्डित जी को बताया सच....

विभा जी नाश्ता तैयार करके आशि कों उठाने जाती हैं वो आशि का ब्लैंकेट उठाकर आशि के सिर पर हाथ रखकर उसे उठाने वाली होती है....

तभी देखती है कि आशी का शरीर बिल्कुल आग की तरह गर्म था उसे बहुत तेज बुखार हो रखा था...

और आशी बिल्कुल बेसुुुध सी पड़ी हुइ थी उसकी हालत वो दौड़कर अभय जी को बुला कर लाती हैं...

अभय जी तुरंत डॉक्टर को कॉल करते हैं  डॉक्टर थोड़ी देर में डॉक्टर आकर आशी को चेक करते हैं....

इतना तेज बुखार इन्हे अचानक से कैसे हुआ मिस्टर अभय...? Doctor अभय जी की तरफ देखते हुए पूछते हैं..

पता नहीं कल तक तो बिल्कुल ठीक थी हो सकता है ऑफिस में काम के प्रेशर के कारण ऐसा हुआ हो...

 लेकीन इतना तेज बुखार अचानक से नहीं हो सकता खैर जो भी हों... मैंने दवाइयां दे दी हैं कुछ देर में आशि की हालत में सुधार आ जाएगा.. ये बोलकर डॉक्टर वहां से चले जाते हैं

थोड़ी देर में रमा जी आती है और आशि की हालत देखकर पहले तो अभय जी पर भड़क कर बोलती हैं देख लिया ना लड़की को छूट देने का नतीजा मैंने कल ही तुम्हें कहा था कि लड़की का लगन निकल चुका है...

अब ईसे घर से बाहर मत निकलने दो अब इसकी हालत देखो भगवान ना करें अगर तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो....फिर क्या होगा..?

शुभ शुभ बोलिए भाभी आप ये कैसी बात कर रही हैं अभय जी बोलते हैं मुझे तो यह कुछ ऊपरी बाधा का मामला लगता है...

तुम क्या कहती हो..... रामा जी विभा जी से पूछते हैं....

पता नहीं जीजी जो भी हो बस मेरी बच्ची ठीक हो जाए जल्दी से वैसे डॉक्टर ने तो दवा दे दि है और दो-तीन घंटे आराम करने को कहा है...

रमा जी बोलती हैं ठीक है दो-तीन घंटे देख लेते हैं अगर आशि कों आराम हो गया तो ठीक वरना मैं पंडित जी से बात करूंगी..

ठीक है जीजी जैसा आप  ठीक समझें विभा जी बोलती हैं... थोड़ी देर में आशि कों होश आने लगता है   बड़बड़ा रही लेकिन वो अभी भी मदहोशी में बड़बड़ा रही होती है...

वो औरत..औरत..पापा..पापा... वो.... औरत अभय जी उसके सिर में हाथ रखते हुए बोलते हैं कोई नहीं है बेटा कोई नहीं है तुम आराम करो और वो वहीं पर बैठ जाते हैं

विभा जी और रमा जी नीचे हॉल में आकर बातें करने लगती हैं विभा जी बोलती हैं जीजी आपको पता है राजगढ़ की नदी के पास फिर एक मौत हुई है...रमा जी बोलती है क्या.. तुम्हें कैसे पता.. दरअसल जिस लड़के की मौत हुई वो आशि का दोस्त था..

रामा जी थोड़ी परेशान होते हुए बोलती हैं पता नहीं वह नदी कितने लोगों को अपने आगोश में लेगी...

विभाजी फिर बोलती है जीजी मुझे तो बड़ा डर लग रहा है पता नहीं आशी वहां राजगढ़ में कैसे रहेगी मेरा तो मन ही नहीं मान रहा है

मैं तो शादी के बाद शिवांश से हाथ जोड़कर विनती करूंगी कि वह लोग आकर यहां शहर में बस जाएं...

तू कैसी बात कर रही है विभा तुझे पता है ना ठाकुर दिग्विजय सिंह अपने पुश्तैनी हवेली से कितना प्यार करते हैं और उन लोगों को तो हम शुरू से जानते हैं...

याद है जब हम लोग गांव छोड़कर शहर आ रहे थे और तेरे भैय्यया ने उनसे भी शहर में रहने को कहा था तो दिग्विजय जी ने क्या जवाब दिया था...

मैं अपने जीते जी अपनी पुश्तैनी हवेली छोड़कर कही नहीं जाऊंगा....तुम लोगों को जाना है तो जाओ

ये उनका उस हवेली से प्यारी ही तो है जो उनको वहां बांधे रखा है वरना तू  खुद सोच... उनके तो इतने सारे बंगले यहां शहर में खाली पड़े हुए क्या वह यहां आकर रह नहीं सकते है...

तुझे क्या लगता है विभा वो अपने जीते जी अपने दोनों बेटों में से किसी को भी हवेली छोड़कर यहां शहर में बसने देंगे... कभी नहीं वरना उनके दोनों बेटे विदेश से पढ़ाई करके लौटे हैं चाहते तो क्या वो यहां शहर में आकार नहीं रह सकते थे...

लेकिन वो रोज राजगढ़ से यहां शहर आते हैं अपना कामकाज देखने के लिए और वापस वही जाते हैं

हां जी जी बात तो आप सही बोल रही हैं वो लोग नहीं मानेंगे मुझे भी पता है पर क्या करूं अपनी बेटी के कारण मैं ही मैं थोड़ी स्वार्थी बन रही हूं....

वैसे भी बात तू चिंता मत कर आशी कौन सा उस नदी के आसपास जाने वाली है वो तो हवेली में आराम से रहेगी और हवेली तो गांव के बीचो-बीच है हवेली के चारों तरफ घनी आबादि हाई लोगों का जमावड़ा लगा रहता है हर समय..

तो तुझे चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है उधर आशी के कमरे में अभय जी आशी के पास ही बैठे थे तभी अचानक आशी उठ कर बैठ जाती है और डरते हुए अपने पापा से बोलती है पापा वह औरत बहुत डरावनी है उसकी शक्ल बहुत ही खौफनाक है पापा...

अभय जी बोलते हैं कौन औरत बेटा यहां कोई भी औरत नहीं है वैसे अब तुम्हारी तबीयत कैसी है आशी बोलती है मैं ठीक हूं....

अच्छा चलो अगर तुम्हें थोड़ा ठीक लग रहा है तो नीचे चल कर बैठते हैं रूम में पड़े पड़े तुम्हें ऐसे अजीबोगरीब ख्याल आते ही रहेंगे...

फिर वो आशि को सहारा देकर हॉल में ले आते हैं जहां विभा और रमा जी पहले से बैठी हुई थी...आशि कों देखकर विभा जी जल्दी से उसके पास आकर पूछती हैं कैसा लग रहा है अब बेटा तुझे....

मैं ठीक हूं मम्मी रामा जी बोलती है अभय मेरी मानो तो हम एक बार पंडित जी को बुला ही लेते हैं.... लेकीन भाभी डाक्टर ने कहा है कि थोड  देर में विभा ठीक हो जाएगी वो सब मैं कुछ नहीं जानती....

एक बार मन की तसल्ली के लिए मुझे पंडित जी को बुलाने दो विभाजी भी रमा जी के हां में हां मिलाते हैं...

तो अभय जी बोलते हैं ठीक है अगर आप लोगों की यही इच्छा है तो फिर बुला लीजिए रमा जी तुरंत पंडित जी को कॉल करके शॉर्टकट में सारी बातें बताती है...

और उन्हें तुरंत वहां आने को कहते हैं करीब 1 घंटे बाद पंडित जी आशी के घर पहुंचते हैं रमाजी उन्हें आदर पूर्वक अंदर बुलाते हैं

और सारी बात डिटेल में बताती हैं पंडित जी आसन लगाकर जमीन पर बैठ जाते हैं और पूजा की कुछ सामग्रियां निकालकर जमीन में रखकर कुछ मंत्रोचार करने लगता है

फिर वो आशि कों सामने बैठने को कहते हैं आशी पंडित जी के सामने बैठ जाती है फिर पंडित जी आशि का हाथ पकड़ कर अपनी आंखें बंद करते हैं...

और कुछ मंत्र पढ़ने लगते हैं फिर आंखें खोलने के बाद वो बोलते हैं मामला जैसा दिख रहा है उससे कई गुना ज्यादा खतरनाक है

उनकी बात सुनकर रमा जी और विभा जी डर जाती हैं और बोलती हैं पंडित जी कुछ भी करिए हमारी बच्ची को ठीक कर दीजिए इसकी ये हालत हमसे देखी नहीं जा रही है

और वैसे भी कुछ दिन बाद इसकी शादी है अगर ऐसे ही रहा तो शादी कैसे होगी.... पंडित जी बोलते हैं मुझे आशी से अकेले में कुछ बातें करनी है...

क्या आप लोग कुछ देर मुझे और आशी को अकेला छोड़ सकते हैं पंडित जी की बात सुनकर सारे लोग हॉल से बाहर चले जाते हैं.....फिर पंडित जी आशी से पूछते हैं..

आशी तुमने भले ही अपने घरवालों को नहीं बताया है लेकिन मुझे पता है कि कल तुम किसी ऐसी जगह गई थी जहां पर प्रेतों क बसेरा था...

और तुम उस जगह पर जाकर उनकी कोई चीज अपने साथ यहां घर तक ले आई हो और उस चीज के माध्यम से कोई बुरा साया भी तुम्हारे साथ इस घर तक हाथ आ चुका है...

अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे घर वालों को कुछ ना बताओ तो तुम मुझे सब कुछ सच-सच बता दो... आशी पंडित जी की बात सुनकर बोलती है...जी पंडित जी मैं आपको बताती हूं फिर वो पिछले दिन की सारी घटना पंडित जी को एक सांस में बता देती है... पंडित जी बोलते हैं वो कपड़े का टुकड़ा मुझे दो लाकर...

आशी अपने कमरे में जाती है और बैग से वो कपड़े का टुकड़ा निकालकर ला के पंडित जी को दे देती है...

पंडित जी बोलते हैं देखो बेटा इस दुनिया में जहां भगवान है वहां भूत प्रेत भी है अगर हम भगवान को मानते हैं तो हमें भूत प्रेतों को भी मारना पड़ेगा...

इसलिए कभी भी ऐसी जगह पर मत जाया करो जहां पर कुछ अनहोनी घटना हुई हो भले तुम आजकल के बच्चे इन सब चीजों में विश्वास नहीं करते...

लेकिन तुम खुद अपनी हालत देखो डॉक्टर तुम्हें सुबह से दवा दे कर जा चुके हैं लेकिन क्या तुम्हें अभी तक आराम हुआ...नहीं ना

और जब तक ये कपड़ा तुम्हारे पास रहेता तब तक तुम्हें आराम होता भी नहीं...मैं इस चीज की गारंटी देता हूं

जी पंडित जी मुझसे गलती हो गई....कोई बात नहीं बेटा अब मैं  यह रक्षा कवच तुम्हारे गले में बांध रहा हूं इसे अपने से कभी भी दूर मत करना जब तक ये तुम्हारे पास रहेगा तुम्हें कोई भी बुरा साया छू भी नहीं सकता...

पंडित जी आशी के गले में रक्षा कवच पहना देते हैं और फिर सभी घर वालों को वहां पर बुलाकर कहते हैं मैंने आशि कों बिल्कुल ठीक कर दिया है अब इसका बुखार भी कुछ ही देर में उतर जाएगा और ये फिर से पहले जैसी स्वस्थ हो जाएगी

आप लोग चिंता ना करें लेकिन याद रखिए मैंने जो आशि  के गली में ये रक्षा कवच पहनाया इसे कभी भी आशि की गले से निकलने मत दीजिएगा...

रमा जी बोलती हैं बहुत-बहुत धन्यवाद पंडित जी आज अगर आप नहीं होते तो पता नहीं हमारा क्या होता.... कोई बात नहीं मैं आपके परिवार को पिछले 40 सालों से जानता हूं

और वैसे भी हमारा आपका संबंध तो कई पीढ़ियों का है हमारा परिवार तो आप के दादा परदादा के घर से जजमानी करते आ रहे हैं ....

तो आपके परिवार के लिए इतना फर्ज तो मेरा बनता है ठीक है अब मैं चलता हूं यह बोलकर पंडित जी वहां से चले जाते हैं थोड़ी देर में आशि की हालत में सुधार होने लगता है और उसका बुखार भी एकदम से उतर जाता है

रामा जी और विभा जी आशि की हालत में सुधार आता देख चैन की सांस लेते हैं और भगवान का धन्यवाद करती हैं...

To be continued...

Dosto chapter padhkar kesa laga please mujhe comments kar k बताएगा🙏🙏🙏🙏