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मेरा नाम रावण है।

सफ़ेद कवच में एक सेनिक, एक लड़की और उसकी छोटी बहन के सामने खड़ा था, उसकी तलवार ऊंची थी।

उसका तलवार धूप में चमक रहा था, और एक स्ट्रोक से उस लड़की के जीवन को समाप्त करने के लिए उसने खुद को तैयार कर लिया।

लड़की ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और अपने निचले होंठ को थोड़ा सा काट लिया। उसने कभी इसकी कामना नहीं की ‌थी। वह अपनी वर्तमान परिस्थितियों में मजबूर थी। यदि केवल उसके पास कुछ ताकत होती, तो वह उसके सामने खड़ै दुश्मन का विरोध कर सकती थी और भाग सकती थी।

हालाँकि - लड़की में वह ताकत नहीं थी।

इसीलिए, इस स्थिति का केवल एक परिणाम हो सकता है।

इस स्थान पर लड़की की मृत्यु होगी।

तलवार गिर गयी

-और अभी तक कोई दर्द नहीं हुआ था।

लड़की ने आंखें खोल लीं, जो उसने ज़ोरौ से बंद कर रका था।

पहली चीज जो उसने देखी वह गतिहीन लम्बी तलवार थी।

फिर, उसने तलवार के मालिक को देखा।

उसके सामने का दुशमन वोही खडा हुआ था, उसकी आँखें कहीं दूर लड़की के पीछे की तरफ देख रही थीं। उसकी आंखें भय को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित कर रही थी ।

और इसलिए - लड़की ने आंखें ऊपर की।

उसने जो देखा वह था अंधकार।

यह एक असीम रूप से पतली, फिर भी अथाह गहरा कालापन था। यह अधकार अंडाकार था जो जमीन से निकला हुआ लग रहा था। यह एक रहस्यमय दृश्य था जिसने इसे देखने वालों को एक शक्तिशाली भावना से भर दिया।

क्या यह एक दरवाजा[portal] था?

लड़की कुछ नहीं कर जानती थी, लेकिन उसके बाद उसने जो देखा कि उसके सामने क्या है।

ऐसा लगा जैसे उसका दिल दुखा ओर लड़की के अनुमान की पुष्टि हुई।

ऐसा लग रहा था कि उस छायादार राह से कुछ निकल रहा है।

और एक पल में ही उसने अपनी आँखों में हल कर लिया-

"हायइइइइइइइ!"

-एक चीख लड़की के मुंह से नीकली।

यह एक ऐसा प्रतिद्वंद्वी था जिसे मानवता हरा नहीं सकती थी।

एक लाल पोशाक में एक व्यक्ति उस अंधकार से बाहर निकला उसकी आंखों उबलते लावे की तरह चमक रही थी, ऐसा लग रहा था मानो वह अपनी क्रोधाग्नि से सामने वालो को जला के भस्म कर देगा । लावे के उन दो आंखों ने लड़की और उपस्थित अन्य लोगों को बर्फ़ की तरह जमा कर रख दिया। ओर वह उन्हें ऐसे देख रहा था जैसे एक शिकारी अपने शिकार को नाप रहा हो। अपने हाथों में उसने एक जादुई छड़ी को पकड़ लिया जो प्रकृति में दिव्य लग रहा था, ओर दिखने में सुंदर भी। यह दुनिया की सभी सुंदरता के समान था।

इसने एक विस्तृत रूप से जटिल लाल पोशाक पहना था, और यह इतना अधिक लाल था की जैसे वह मनुष्यो के खून से लथपथ हो... यह साक्षात मृत्यु का अवतार था ।

एक पल में, हवा जमने लगी थी और सब कुछ शांत हो गया।

लड़की सांस लेना भूल गई, मानो दृश्य ने उसकी आत्मा को चुरा लिया हो।

फिर, इस शांत मौके पर लड़की हवा के लिए हांफने लगी।

मृत्यु के इस अवतार ने उसे मृतकों की भूमि का मार्गदर्शन करने के लिए प्रकट हुआ होगा। ऐसा सोचना स्वाभाविक ही था। लेकिन फिर, इस तरह से सोचने वाली लड़की को अचानक एहसास हुआ कि कुछ गलत हो रहा है। ऐसा इसलिए था क्योंकि जो व्यक्ति पीछे से उसे मारने की योजना बना रहा था वह भी पूरी तरह से डरा हुआ था।

गयाह..."

एक रोना जो एक विलाप की तरह उसके कानों में चुभी ।

किसी के मुंह से वह आवाज आई थी? ऐसा लगा जैसे यह उसकी, या उसकी छोटी बहन से आ सकता है, जो डर से कांप रही थी, या उस व्यक्ति के मुंह से जो उसे मारने की योजना बना रहा था ।

एक हाथ धीरे से ही आगे बढ़ा-जैसे उंगलिया कुछ पकड़ने के लिए में फैल रही हो, और वे लड़की के पिछे खडे सैनिक की ओर जाता है ।

वह इससे दूर देखना चाहती थी, लेकिन डर से उसने वहीं टकटकी लगाए रखा । उसे लग रहा था कि अगर वह अपनी आंखों को एक पल के लिए भी हटाया तो वह इससे कहीं अधिक भयानक नजारा देखेगी ।

"「हृदयाघात」."

मौत के अवतार ने अपनी मुट्ठी को दबाया और लड़की ने उसके पीछे से लोहे के टुटने की आवाज सुनी ।

हालांकि वह अपनी आंखों को मौत के सौदागर से दूर ले जाने से डरती थी, लेकिन जिज्ञासा उसके डर पर भारी पड़ गई और लड़की ने उसकी आंखों को दूर कर दिया, ओर सीपाही के शरीर को देखा । वह जमीन पर स्थिर फैला हुआ था, एक कठपुतली की तरह जिसके तार काट दिए गए थे ।

वह मर चुका था।

इसमें कोई शक नहीं था कि वह मर चुका है ।

खतरा, जो कि लड़की के सर पर मंडरा रहा था अब नहीं था । लेकिन यह जशन मनाने का समय नहीं था । जिस मौत ने उसका पीछा किया, उसने केवल अधिक ठोस आकार ले लिया था ।

वह मौत उस लड़की के करीब आ गई, जिसने इसे घबराई हुई आंखों से देखा ।

उसकी आंखों के सामने अंधेरा और अधिक छा गया ।

यह मुझे निगल जाएगा।

जैसा ही लड़की ने यह सोचा, उसने अपनी बहन को कसकर खुदसे पकड़ लिया ।

भागने की सोच अब लड़की के सिर के भीतर मौजूद नहीं थी।

अगर उसके प्रतिद्वंद्वी मानव होते, तो वह कुछ आशा से उसके जीवन के लिए सख्त संघर्ष कर सकती थी । लेकिन उसके सामने जो था उसने उसे आशा टूट गयी थी ।

कृपया, कम से कम मृत्यु बिना दर्द के हो ।

बस लड़की यही आशा कर सकती था ।

उसकी कंपकंपी बहन ने उसे कसकर गले लगा लिया । वह बस कमजोर होने के लिए माफी मांग सकती थी, की वो अपनी बहन के जीवन की रक्षा करने में असमर्थ रही । उसने प्रार्थना की कि उसकी बहन अकेली नहीं होगी क्योंकि वे मत्यु के बाद वे परलोक की एक साथ यात्रा करेंगे ।

मृत्यु उसकी ओर धीरे धीरे बढ़ रही थी, और उसके सामने खड़ी हो गई।

"मेरा नाम है राम...वन है... ...रावण है मेरा नाम।

एक आवाज सुनाई दी और फिर....