उनके हाथ में एक गिफ्ट था और दूसरा बैग गुलाब की पंखुड़ियों से भरा था। मुझे मन ही मन हंसी आ रही थी और आनंद के भंवर उठ रहे थे, और वो दर्द का एहसास भी। उन्होंने बरामदे में राजपूती जूते उतारे और बड़ासा झूला था उसपे आराम से बैठके मुझे तांकने लगे। उन्होंने घूंघट उठाने से मना कर दिया। फिर मुझे पानी लाने के लिए कहा। मैं अंदर हॉल से होते हुवे किचन में गई और पानी एवं बीयर की बॉटल्स ग्लास के साथ ट्रे लेकर एकदम दुल्हन की तरह मचलते हुवे उनके पास पोहोंची। वो मुझे हर पल तांक रहे थे और बोहोत मुस्कुरा रहे थे। उनका राजपूती ड्रेसअप उनके शरीर पर एकदम फिट बैठ रहा था। उनके हावभाव में कहीं पर भी अश्लीलता या असभ्यता नजर नहीं आ रही थी। ग्लास में पानी भरते वक्त हमारी बातें शुरू हो गई। वो : आपने आने के बाद कुछ नाश्ता,पानी पीया के नही? मैं : हां।
वो : अच्छा, मैं सिर्फ ये एक बार ही अपने हाथ से पानी पी रहा हूं। अगली बार से आप खुद पानी पिलाएंगे मुझे, ठीक है?
मैं : हां जी, बिलकुल, अगर आपको चाहिए तो अभी बीयर की ग्लास भरके देती हूं। आप जैसा बोले वैसा मैं करूंगी। मुझे आप गुलाम समझिए।
वो : अरे अरे, हम तो आपको दुल्हन बनाए हैं, आप गुलाम कहांसे हो गई?
आओ, मेरे साथ इस झूले पर बैठिए। मैं : जी जरूर। आप जैसा कहें।
झूले पर उनके बाजू में मैं बैठ गई, तब भी मैं घूंघट में थी और वो मुझे अब घूर रहे थे। फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और मुझे पूछा "अब इसके आगे जो हम आपको प्यार करेंगे वो सब आपको मंजूर है ना?".. मैंने दुल्हन की तरह गर्दन हिलाई, तो मेरी नथनी, कान के झुमके भी हिल रहे थे, और फिर उन्होंने मेरा घूंघट खोला। मुझे और मेरे ड्रेसअप एवं मेकअप को देख कर उन्होंने कहा "आप मेरे लिए एक स्त्री हैं और मेरी दुल्हन हैं, तो बाकी सब मुझ पे छोड़ दीजिएगा। और आप जब अपना चेहरा हिलती है या कहीं चलते हुवे जाती हैं, तो आपकी नथनी हिलते हुवे सामने वाले को घायल कर देती हैं, और आपकी पायल और चूड़ियां मस्त बजती रहती हैं। जब हमारा मिलन हो रहा होगा तो इनकी आवाज का नजारा क्या होगा, ये सोचके ही मेरा लन्ड बोहोत तड़प रहा है।" मैं उनको नहीं देख रही थी मगर मेरे अंदर भी मिलन की ख्वाइश तड़प रही थी, और धीरे धीरे मेरा इंतजार खत्म हो रहा था।