webnovel

खोज :अच्छी या बुरी ?

Action
Ongoing · 1.8K Views
  • 3 Chs
    Content
  • ratings
  • N/A
    SUPPORT
Synopsis

" ये कहानी एक रोमांच भरे सफर की हैं । जिसका रहस्य को जानने की आकांक्षा मैं सूजन,मनोज और बिजली कितनी कठिनाइयों को पार करते हैं । और उनके साथ घटी हुईं घटनाएं के बारे मैं आपको जानने को ...

Chapter 1नीला पत्थर।

"नीला पत्थर ।

"ये कहानी एक खजाने की खोज पर हैं । जिसका रहस्य को जानने की आकांक्षा मैं सूजन,मनोज और बिजली कितनी कठिनाइयों को पार करते हैं । और उनके साथ घटी हुईं घटनाएं के बारे मैं आपको जानने को मिलेगा ।

"कहानी काल्पनिक हैं । इसलिए इसे सिर्फ मनोरंजन के लिए पढ़े । इसके सारे पात्र काल्पनिक हैं ।"ये कहानी "खोज अच्छी या बुरी ?" इस चैप्टर की पहली कहानी हैं। जिसका नाम" नीला पत्थर "हैं। "कहानी का हर एक कड़ी किसी और कड़ी से जुडा हुआ हैं इसलिए कहानी को ध्यान से पढ़े ।

।। धन्यवाद ।।

भाग १

"अरे तुम परेशान मत हो ।यही तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा। कल सुबह तक मैं वहां पहुंच जाऊंगा। "अच्छा मैं अभी गाड़ी मैं तुम्हे बाद मैं कॉल करूंगा अभी रखता हु ।अपना खयाल रखना । ऐसा कहते ही मनोज ने फोन काट दिया और जल्दी जल्दी घर पहुंचा।

(मनोज पुरातत्व विभाग मैं काम करता था । जिसमें वह बहुत खुश था । लेकिन इस काम के सिलसिले मैं उसे हमेशा बाहर रहना पड़ता था ।)

   "इस वजह से एक कॉल आया था जिसकी वजह से मनोज को जम्मू जाना पड़ रहा था । घर पहुंचते ही उसने अपनी पैकिंग करनी शुरू कर दी ।

" अरे सुरेखा मेरा बटवा तुम कहा रखा हैं ?  " आई बाबा  ला रही हु ( सुरेखा ने आवाज देते हुए कहा )

    " सुरेखा ने बटवा देते हुए उसे जल्दी घर आने को कहां । मनोज अपनी बैग को लेते हुए घर से बाहर निकला और अपनी कार मैं बैठ कर अपना खयाल रखना बताते हुए जाने लगा , कार की लगी हुए साइड आईना से वो अपनी बीवी हाथ हिलाते हुवे देखा और वह से निकल गया ।

"कुछ देर बाद फिरसे उसी आदमी का फोन आता हैं । " सर जल्दी यह पहुंचाे मैं ज्यादा समय तक इसे संभाल नहीं सकता । दुश्मन मुझे ढूंढ रहे हैं । मनोज उसे शांत करते हुए शांति से उसे कहता हैं तुम परेश मत हो मैं पहुंचता हु । अभी मैं निकल गया हु कल सुबह तक आ जाऊंगा। ( ऐसा कहते हुए मनोज ने कॉल रख दिया )

    " ठंड  का मौसम होने की की वजह से मनोज जल्द से जल्द  वहां पहुंचना चाहता था । हालांकि कुछ समय बाद रात के लगभग २ बज चुके थे ठंड के मारे मनोज की हालत खराब हो रही थी ।

"इसी वजह से मनोज जम्मू मैं आते ही रात गुजरने के लिए होटल ढूंढना शुरू कर दी । रास्ते पे कुछ ही दूरी पे उसे एक होटल दिखी आज की रात इसी होटल मैं रुकेंगे ऐसा सोच हुए मनोज ने होटल की तरफ गाड़ी बढ़ा दी । 

    "होटल मैं जाने के बाद होटल मैं लगा हीटर की गर्मी से मनोज को थोड़ी राहत मिली । मैनेजर से चाबी लेके मनोज अपने रूम मैं आ गया । " कमरे को अच्छी से देखने के बाद वहीं बेड पे उसने पहुुड़ लिया । कुछ ही देर मैं मनोज को नींद आ गई ।

  ( जम्मू मैं उस वक्त आतंकियों का आतंक काफी था । हालांकि आर्मी वह सक्रिय थी लेकिन आतंकी साधारण कपड़ों मैं रहने की वजह से उन्हें पहचान पाना मुश्किल होता था । )

  " कुछ समय बाद मनोज की अचानक आंख खुली । और उसने अपना फोन निकाला जिसमें उस आदमी ने कुछ मिस्ड कॉल किए हुए थे । इसी वजह से मनोज ने उसे कॉल किया । कॉल मैं बात करते हुए मनोज ने बताया कि वो होटल मैं रुका हुआ हैं और कल ७ से ८ बजे तक वो पहुंच जाएगा।  " और मनोज ने उसकी खातिरदारी लेके फोन को रख दिया । इसी बीच मनोज की फिरसे आंख लग गई । 

"कुछ समय बीत जाने के बात अचानक दरवाजे को कोई जोर जोर से खटकाने  लगा । मनोज नींद से उठते हुए दरवाजा सावधानी से खोला । सामने मैनेजर अपने एक साथी के साथ खड़ा हुआ था । जो टॉवेल देने आया था ।  मैनेजर : गुड़ मॉर्निंग सर आपको कोई नाश्ता और कुछ चाहिए तो बता दीजिए । मनोज: बस एक चाय ले आना ।  ऐसा कहकर टॉवेल लेलिया । मैनेजर अपने आदमी को चाय ऑर्डर बताते हुए वह से चला गया । मनोज ने अपनी हाथ मैं बंधी घड़ी मैं देखा तो वो चिंतित हो गया सुबह के ६ बज चुके थे ।  "मनोज हड़बड़ी मैं दरवाजा बंद करके  नहाने चला गया । नहाने के बाद बाहर आके अपनी तैयारी करने लगा इसी बीच उसकी नजर बाजू मैं टेबल पर पड़ी जहां चाय रखी हुई थी ।

"चाय ठंडी न हो जाए इसलिए मनोज वही पे  बैठकर चाय पीने लगा । सुबह के ६ बज चुके थे बाहर उजाला होना शुरू हो गया था ।

  " चाय खत्म करके मनोज तैयारी करके बाहर निकलने वाला था तभी फिरसे उस आदमी का फोन आया मनोज ने फोन उठाके उसे बताने लगा । मैं अब निकल चुका ही जल्द ही पहुंच जाऊंगा  साथ ही मैं मनोज ने उससे उसका नाम पूछा । आदमी ने अपना नाम सूजन बताते हुए अपना पता मनोज को बताया । मनोज ने उसे अपनी डायरी मैं लिख लिया । और वह वहा  से निकलने लगा ।

  " कुछ ही देर मैं सूजन के घर के सामने मनोज पहुंच गया । सूजन एक लकड़ी से बना हुआ प्यारा सा घर था । सूजन ने कॉल करके उसे अपनी कार को घर के पीछे लाकर पार्क काने को कहा और पीछे के दरवाजे से आने के लिए कहा , "मनोज चुपचाप कार पार्क करके घर के अंदर आ गया । उसकी मुलाकात एक २५ से २६ साल के लड़के से हुई । जहां पे उस लड़के ने (सूजन ) ने उसे चाय दी और वही पड़े सोफे पे बिठाया ।

  मनोज : कहा हे वो पत्ता ? ( मनोज की आवाज ठंड के वजह से थोड़ी जोर से निकल आई )

( सूजन ने अपने मुंह पे उंगली रखते हुए उसे अपने पीछे आने के लिए इशारा किया  )

मनोज सूजन के पीछे पीछे बेसमेंट मैं आया जहां एक गुप्त कमरा था । जहां सूजन उसे ले आया । कमरे मैं कुछ लकड़ी के बॉक्स पड़े हुए थे  साथ ही मैं कुछ हथियार भी थे ।उसी एक बॉक्स (पेटी) को सूजन ने उठाया जिसके नीचे लकड़ी की पेटी मैं से घास को बाजू करके वहां  कई सारे सेब थे उसी सेब के ऊपर एक चमकीला  सुनहरा पत्ता जो काफी चमक रहा था वो दिखाई दिया  ।

"सूजन ने उस पत्ते को मनोज के हाथ मैं देते हुए कहा इसी लिए मैं तुम्हे यह बुलाया हैं ।

मनोज: क्या है ये ?

सूजन: इसी सवाल के लिए तो मैं तुम्हे बुलाया हैं। इसे सोना कहने की भूल मत करना ये कुछ गर्मी भी बर्दाश्त नहीं करता । सूरज के रोशनी से ही जल जाता हैं ।

मनोज: ये तुम्हे कहा से मिला ? ( जिसकी जवाब मैं सूजन ने उसे कहा ) ये मुझे हमारे गांव के पुराने किले की सुरंग मैं मिला ।

मनोज : अगर ये सोने का पत्ता नहीं हैं तो मुझे भी ये क्या हैं पता नहीं हैं । क्या और भी हैं ?

सूजन : शायद हा ।

मनोज: तुम वह कैसे पहुंचे ? ( मनोज उसे उस पत्ते मैं रुचि दिखाते हुए कहा )

सूजन : ये बहुत लंबी कहानी हैं ।( ऐसा कहते हुए सूजन उसे बताने लगा )

(क्रमशः)....

... पार्ट २ ....

You May Also Like

MY CHAOTIC GIRLFRIEND

यश जो की अपनी सारी यादस्त को चुका है, उसे नही पता वो कहां है और वहां क्या कर रहा हैं उसे अपने नाम के अलावा कुछ भी याद नहीं होता। निधी जो की काफी सुन्दर, आकर्षक, हॉट और प्यारी लड़की है, उसे यश जंगल में बेहोश हालत में मिलता है जिसे एक जंगली सुअर मारने ही वाला होता है के वो उसे बचा लेती है। थोड़ी देर बाद यश होश में आता है लेकिन वो निधी को देखकर दर जाता है लेकिन थोड़ा समय बीतने के बाद वो दोस्त तो नही लेकिन एक दूसरे से बात करने लगते है। इन दोनो की खट्टी मीठी केमिस्ट्री की करेगी। एक काफी ज्यादा खडूस टाइप है आज दूसरी लड़ाकू जो किसी से नहीं डरती और थोड़ी सी शरारती भी।

LAXMAN_RAJPUT · Action
Not enough ratings
13 Chs
Table of Contents
Volume 1 :सुनहरा पत्ता ।
Volume 2 :VOL .2
Volume 3 :vol 3