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अध्याय 7 फलों का बाजार

समीर और वह नौकर दोनों हवेली से बाहर निकल आए।

क्या छोटे मालिक मैं आपके लिए घोड़ा गाड़ी निकालूं, उस नौकर ने बड़ी तहजीब के साथ पूछा।

इसकी कोई जरूरत नहीं है, हम पैदल ही इस शहर को घूमेंगे, समीर ने कहा।

फिर वह दोनों हवेली के गार्डन के दरवाजे से बाहर आ गए और सड़क के रास्ते पर चलने लगे, समीर आगे चल रहा था और वह नौकर उसके पीछे चल रहा था।

तुम्हारा नाम क्या है, समीर ने उससे पूछा।

सलमान, मालिक, नौकर ने जवाब दिया।

समीर चलते हुए रुका और नौकर की तरफ घूम गया और उससे बोला, पहले तो तुम मुझे मालिक या छोटा मालिक कहना बंद करो, तुम मुझसे उम्र में बड़े हो, मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है ।

नहीं मालिक, मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं, वरना मुनीम जी मुझसे बहुत गुस्सा होंगे, सलमान ने कहा।

समीर नौकर की समस्या को समझता था, इसलिए उसने एक पल कुछ सोचा और उससे बोला, ठीक है हवेली में या घर के नौकर या मेरे परिवार के सामने तुम मुझे मालिक बुला सकते हो।

लेकिन तुम जब भी मेरे साथ घर के बाहर आओगे, तुम मुझे अपना दोस्त कहोगे, समीर ने कहा।

सलमान समीर की इस बात को सुनकर अपना पेट पकड़कर तेज तेज हंसना चाहता था, पर वह ऐसा कर नहीं सकता था, उसे अपने छोटे मालिक की बात किसी मजाक से कम नहीं लग रही थी, लेकिन उसने अपना संयम बनाए रखा।

छोटे मालिक आप ऐसा न कीजिए, अगर मुझ जैसे गरीबों को आप अपना दोस्त कहेंगे, तो कंचन जंगा शहर के अन्य बड़े परिवारों के सदस्य आपको नीचे निगाह से देखेंगे, और इसके लिए आपका मजाक उड़ाएंगे, सलमान ने समीर को कंचन जंगा शहर की सच्चाई से परिचय कराया।

क्या मतलब है तुम्हारा, मुझे सब कुछ खुलकर बताओ, समीर ने उससे जानकारी लेना चाहा।

सलमान ने समीर को खुलकर बताना शुरू किया, बड़े शहरों में रहने वाले अमीर और ताकतवर परिवार गरीब लोगों से नफरत करते हैं।

वह लोग उन्हें अपने पैर की जूती समझते हैं और उसी की तरह उनसे व्यवहार करते हैं, वह उनसे काम तो कराते हैं लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं देते जिसके वह हकदार हैं।

अगर आप किसी गरीब को अपना दोस्त कहेंगे, तो वह अमीर और ताकतवर परिवारों के सदस्य आपको अपने आप से दूर कर देंगे, और वह आपके साथ वही व्यवहार करेंगे।

इसीलिए मेरा कहना है कि जो चल रहा है उसे वैसे ही चलने दिया जाए आप उसे बदलने की कोशिश ना करें।

पर मुझे इस तरह से रहना पसंद नहीं है, समीर ने कहा।

अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो वह सारे अमीर और ताकतवर परिवार आपके माता-पिता को परेशान करेंगे, उनके सामने काफी समस्याएं खड़ी करेंगे, इसीलिए मैं आपसे फिर से कह रहा हूं जो हो रहा है उसे होने दो, सलमान ने फिर से कहा।

समीर को कुछ भी ना बोलता हुआ देख सलमान ने कहा, चलिए मालिक मैं आपको फलों के बाजार में ले चलता हूं।

कुछ देर बाद समीर और सलमान दोनों फलों के बाजार में पहुंच गए, समीर पहली बार किसी बाजार को देख रहा था उसने अपनी मां से सभी प्रकार के बाजारों के बारे में सुना था, उसकी मां ने उनके चित्र भी उसे दिखाए थे, लेकिन वह अपनी आंखों से पहली बार किसी बाजार को देख रहा था, यह उसकी सोची भी कल्पना से बिल्कुल अलग था।

समीर एक फल की दुकान पर पहुंचा, उस फल की दुकान पर काफी तरह के अनार रखें हुए थे।

यह अनार कितनी के दिएं हैं, समीर ने दुकानदार को अपनी उंगली के इशारे से एक ओर रखें अनार के दाम पूछे।

दुकानदार बोला, साहब, 10 अनार दो तांबे के सिक्के के बराबर में दिए हैं।

तभी समीर को याद आया कि हवेली से बाहर जाने की जल्दी में वह मां से सिक्के लेना तो भूल गया था।

समीर को इस तरह विचारों में खोया हुआ देख, सलमान जल्दी से दुकानदार से बोला, 20 अच्छे अनार निकाल दो।

समीर ने सलमान की तरफ असमंजस से देखा, सलमान ने आंखों के इशारे से समीर को सामान्य रहने के लिए कहा।

कुछ ही देर में दुकानदार ने 20 अच्छे अनार निकाल कर एक टोकरी में रखकर सलमान को दे दिए, सलमान ने दुकानदार को चार तांबे के सिक्के दे दिए।

फिर वह दोनों आगे बढ़ गए, समीर अभी सलमान से कुछ पूछने ही वाला था उससे पहले ही सलमान बोल पड़ा, मालिक आप जो चाहे वह खरीद सकते हैं, मैं सिक्के का भुगतान कर दूंगा।

बेफिक्र रहिए मालिक यह सिक्के मेरे नहीं है आप ही के हैं, दरअसल बाजार से सारा सामान हवेली में मैं ही ले जाता हूं।

अभी समीर और सलमान फलों के बाजार की दूसरी गली में ही पहुंचे थे, तभी समीर को एक लड़की की चिल्लाने की आवाज आई ।

समीर ने देखा की एक लड़की रो रही थी, उसका हाथ एक लड़के ने पकड़ रखा था, वह लड़की उससे अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, समीर को लगा की उस लड़की को मदद की जरूरत है, वह उसकी ओर तेजी से जैसे ही जाने को हुआ, सलमान ने उसे रोक दिया और सर हिला कर उसे न जाने के लिए कहा।

समीर पहले सलमान से उसे रोकने की वजह जानना चाहता था, तो सलमान ने उसे बताया, उस लड़के का नाम नादिर है, कंचन जंगा शहर में 10 सबसे ताकतवर परिवारों में उसका परिवार तीसरे नंबर पर आता है, नादिर बहुत ही छिछोरा लड़का है, लड़कियों को इस तरह भरे बाजार छेड़ना उसके लिए आम बात है, इसलिए आप इन सब से दूर रहिए, और इस शहर को समझने की कोशिश कीजिए।

समीर को सलमान की बात सही लगी, अभी उसे इस शहर के बारे में कुछ भी नहीं पता था, उसने जो कुछ भी जाना था अपनी मां से जाना था, पर किसी चीज को सुनकर समझने में और अपने सामने होता हुआ देखने में बहुत अंतर होता है, इसीलिए उसे अभी इस शहर के सारे माहौल को समझना होगा।

सलमान समीर को थोड़ा सा और करीब ले गया जिससे वह सब कुछ होता हुआ करीब से देख सके।

नादिर ने उस लड़की का हाथ पकड़ रखा था, वह लड़की रो रही थी और उसे छोड़ने के लिए कह रही थी, तभी एक बूढ़ा आदमी वहां पर भागता हुआ आया और नादिर के पैरों में गिर गया।

वह बूढ़ा आदमी रोते हुए बोला, मालिक मेरी पोती अभी बहुत छोटी है कृपया आप उसे छोड़ दीजिए, हम तो गरीब लोग हैं, हम आपकी बराबरी कहां कर पाएंगे।

नादिर उसकी बात सुनकर हंसते हुए बोला, सुन बे बुढ़े, हमें बेवकूफ बना रहा है, तुम लोग गरीब हुए तो क्या हुआ, पर तेरी पोती तो बहुत खूबसूरत है।

और मुझे खूबसूरत फूलों का रस पीने में बहुत मजा आता है, मैं पूरी तरह से इस रस में डूब जाना चाहता हूं।

नहीं मालिक नहीं ऐसा मत कीजिए, अगर आप मेरी पोती के साथ ऐसा करेंगे तो वह जीते जी मर जाएगी, मेरे परिवार की शहर में बहुत बदनामी होगी, मैं कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगा, उस बूढ़े आदमी ने दया याचना करते हुए कहा।

अब बुड्ढे मैं तेरी पोती को अपने साथ रखूंगा, वह तेरी उस झोपड़ी से बहुत अच्छी रहेगी वहां भर पेट उसे खाना मिलेगा, अच्छे-अच्छे कपड़े पहनेगी और मैं हर पल उसके शरीर का ख्याल रखूंगा, इससे शहर में तेरी इज्जत और बढ़ जाएगी, नादिर ने कहा।

यह क्या तमाशा लगा रखा है बाजार में, एक आदमी की तेज आवाज आई ।

सलमान ने समीर को बताया कि यह कंचन जंगा शहर के प्रबंधक अधिकारी हैं, सभी की निगाह प्रबंधक अधिकारी पर थी, तभी समीर की निगाह नादिर के बगल से खड़े आदमी पर पड़ी, उस आदमी ने झुक कर उस बूढ़े की जेब में कुछ डाल दिया था।

वह प्रबंधक अधिकारी नादिर के पास आकर बोला, नादिर तुम्हारी हरकतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, कहीं ऐसा ना हो मुझे शहर के मुखिया से इसकी शिकायत करनी पड़े।

अकरम जी यह सब गलत बात है यह सब मुझे बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, नादिर ने अपनी झूठी सफाई देते हुए कहा।

चलो मान लेता हूं वह सब तुम्हें बदनाम करने की साजिश है, पर जो सामने दिख रहा है उसका क्या करूं मैं, अकरम ने कहा।

नादिर ने झूठ बोलना शुरू किया, इस बुढ़े आदमी को मैंने दो सोने के सिक्के उधार दिए थे, इसने मुझे कहा था कि 20 दिन बाद लौटा दूंगा, आज उस बात को एक महीना हो चुका है।

मुझे कल खबर मिली की इसके पास सिक्के आ चुके हैं, यह मुझे दे नहीं रहा है, जब आज मैंने इसे अपने सिक्के मांगे तो यह पूरी तरह से मुकर गया, और मुझसे बोला की मैंने इससे कभी सिक्के उधार लिए ही नहीं है।

इसलिए मैं इसकी पोती को अपने साथ ले जा रहा था, जिससे यह मेरे सिक्के मुझे लौटा दे, मैं बस इसे डराना चाहता था मेरा इसकी पोती को ले जाने का कोई इरादा नहीं था।

क्या अकरम नादिर की बात को सच मान लेगा, यह जानने के लिए सुनते रहिए इस कहानी को।

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