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आसीमा अग्रवाल

अब आगे....

20 साल बाद....

शिमला मे .....

बड़ा सा मेन्सन.... मेंशन के अंदर बहत से नौकर चकर काम पर लगे हुए थे.. कोई साफ सफाई कर राहा था... तो कोई फर्श चमका राहा था... कोई वास मे फूल सजा रहे थे... एक औरत जिसने चमकिले मेहेंगे कपडे पहने हुए थे सीढ़ियों से महारानीयों के जैसे उतर रही थी.. उसने मोटे मोटे सोने के जेबरातो से खुद को ढका हुआ था... ओ कोई और नहीं कामिनी अग्रवाल थी... रामलाल की पत्नी... अब ओ इस मेंशन की मालकिन थी... और उसका पति रामलाल यहाँ का मालिक...

कामिनी नीचे आते हुए कहती है... हरी.. ओ... लड़की कहा गयी... हरी कामिनी के सामने हाथ जोड़ के केहता है.. मेडम कौन लड़की... कामिनी गुस्से से कहती है... वही जो मेरे घर मे मुफ्त की रोटियां खाती है.... हरी समझते हुए केहता है.. ओ.. असीमा बेटी.... कामिनी गुस्से से कहती है.. हा वही आसीमा जाओ उसे बुला के मेरे पास लाओ

हरी दौड़ता हुआ घर के पीछे वाली गार्डन मे जाता है.. जहाँ.. एक लड़की.. ने लगभग सारी गाड़िया धो लिया था.. एक लास्ट कार को धो रही थी....

हरी दूर से देखता है... लड़की पानी मे पूरा भीग चुकी थी.. हरी ने लड़की के पास जाके कहा... बेटा.. आपको.. कामिनी मेडम बुला रही है....लड़की पीछे पलट के हरी को देखती है.....ये लड़की अब 20 साल की जिसको रामलाल ने मंदिर से लाया था...उसका चेहरा हिरे के जैसे चमक राहा था... बड़ी बड़ी काली आंखे लम्बे लम्बे ऑय लाशेंस जो किसी तितली कि तरह फड फाड़ा रहे थे... पिंक क्यूट लिप्स जिनके कोने ऊपर कि ओर मुडे हुए थे.... छोटा सा फेस बहत क्यूट ओर बहत सुन्दर लग राहा था...उसकी हाइट 5 फिट 7 इंच का है...

ओ नौकर उस लड़की के लिए बहत डरा हुआ था... उसने कहा बेटी तुम जल्दी जाओ... वरना खामोखा सजा मिलेगी...लड़की ने कहा... हा काका मे जा रही हूं... ओर उसी तरह भीगे हुए ही अन्दर भाग गयी...

हरी नौकर पीछे खडा हो कर लाचारी मे अपना सर हिल्ला दिया... ओर ऊपर आसमान कि ओर देखते हुए कहा... है भगवान इतनी सी बच्ची के भाग्य मे इतने तकलीफ तूने क्यूँ दे दिए....फिर ओ अपना काम करने निकल जाता है...

आसीमा दौड़ते हुए.. अंदर गयी और अपनी माँ के सामने वैसे भीगी हुई खड़ी हो गयी.. कामिनी आसीमा को ऐसे देख के गुस्से से कहती है... ए लड़की.. तुम कया.. मेरे घर मे बाढ़ लाना चाहती है... जा पहले आपनें कपडे बदल... हुलिया तो ऐसा बनाया हुआ है जैसे घर के सारे काम यही करती है... और मेने नौकर फ़ालतू मे रखे हुए है... अभी यहाँ खड़ी क्यूँ है.. जल्दी.. जा... आसीमा को बहत बुरा लगता है अपनी माँ की जली कटी बाते सुनके... लेकिन अब तो जैसे आसीमा को इसकी आदत सी होगयी थी.. आसीमा ने जी माँ कहा और ऊपर घर के बाहर वाली स्टोर रूम की तरफ भाग गयी

आदमी कि बात सुनते ही औरत ने कहा.. हा... ये तुम्हारे लिए ही आज इतना बिगाड़ चुकी है... तुम्हारे बजह से ही इसकी इतनी हिम्मत हो ती है मेरे खिलाफ काम करने कि... औरत मुँह फुला कर गुसा हो जाती है... आदमी लड़की को देख कर केहता है... तुम अभी तक यहाँ कया कर रही हो.. जाओ जल्दी..

असीमा के जाते ही.. कामीनी गुस्से से कहने लगी.. नजाने ये लड़की किस मिट्टी की बानी है.. इतनी बाते सुनती हूँ.. फिर भी टस से मस् नहीं होती...

तभी रामलाल सीढ़ियों से नीचे आते हुए केहता है...भाग्यबान इतना गुसा क्यूँ करती हो... आज हमारे पास जो कुछ है.. ओ इसकी वजह से ही तोह है... ओर कया तुम भूल गयी हमें इसे हमेसा आपनें पास ही रखना है... अगर तुम उस पर जरुरत से ज्यादा ज्याती करोगी ओर अगर ओ मरगाई कहीं तो हमारे सारे प्रॉपर्टी भी हमारे हाथ से निकाल जाएगी...

कामिनी मुँह फुला कर कहती है.. मे कुछ नहीं भूली हूं... लेकिन अब ये ना रहे तभी हमारे पास इतने धन सम्पति है के हमारे पांच पीढ़ियां भी बैठ के खाये तो भी ख़तम नहीं होगा... तो मे इस लड़की को आपनें घर पर क्यूँ रहने दूँ..रामलाल कामिनी के पास सोफे पर बैठ ते हुए कहा...

तुम आसीमा से इतना नफरत क्यूँ करती हो.. दिन भर तो ओ तुम्हारी जुल्म सितम सहती है.. कभी मुँह खोल के शिकायत नहीं की.. तो इतना गुस्सा किस बात का.. अगर दो वक़्त की खाना तुम उसे दे दोगी तो इस मे तुम्हारा ही फायदा है...तो इतना गुस्सा क्यूँ.. कामिनी गुस्से से कहती है.. ओ इसलिए क्युकी ये मेरी बेटी से ज्यादा खूबसूरत है... और मेरी बेटी इस से नफरत करती है..

इधर आसीमा आपनें छोटे से स्टोर रूम मे चली आती है.. वहां एक छोटी सी खिड़की थी.. आसीमा उस खिड़की को खोल देती है..वहां एक पुरान खटिया पड़ी थी... ओ भी टूटी फूटी...फिर भी लड़की ने आपनें टैलेंट से उस कमरे को पेपर ओर यहाँ वहां से कलेक्ट कि हुई चीज़ों से उस स्टोर रूम को सजाया था... इसलिए ओ रूम थोड़ा ठीक ठाक दिख राहा था...

लड़की नाहा धोके आयी ओर एक बेहद पुरानी सी ड्रेस पेहेन लेती है...आसीमा के गाल गुलाबी... रंग दूध के जैसा सफ़ेद... गुलाबी गुलाबी होंठ जो कौन से मुडे हुए थे..जिनके वजह से गाल पर डिंपल आते थे.... बड़ी बड़ी काली आंखे.. बड़े बड़े ऑय लाशेंस... सुनहरे बाल कमर तक आते थे... एक दम पतली...परफेक्ट फिगर... ओ तो इस दुनिया कि लगती ही नहीं थी... ऐसी खूबसूरती थी उसकी...लेकिन ओ आपनें माँ ओर बड़ी बेहेन से डर के आपनें खूबसूरती को छिपा कर रखती थी.. अगर उसकी माँ या बेहेन के नजरों मे ओ जरा सा भी सुन्दर दिखी तो उसकी खैर नहीं... बाते सुनेगी ऊपर से मार भी पड़ेगी.. उसी डर से ओ हमेसा आपनें खूबसूरती को छिपा कर रखती थी...

ओ आपनें आप को वहां पर लगे पुराने सीसे मे देख रही थी..उस सीसे मे कुछ ठीक से दिख भी नहीं राहा था... आसीमा आपनें सर को झटका के कामीनी के पास चली जाती है .

 

 

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