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chapter - 2

वह यानी सिया जा रही थी अदविक उसे देख रहा था। आख़िर कौन थी ये लड़की ? जिसने ज़िन्दगी का पाठ इतनी खूबसूरती से पढ़ा दिया और साथ ही दिल में घंटी बजा दी।  ब्रेक अप होने पर बुरा तो लगा था पर इतना नहीं जितना इसके जाने पर हो रहा है।

"अदविक उसके पीछे जाता है पर तब तक वह जा चुकी थी"

"कहां चली गई अदविक चारो ओर देखता है लगता है निकल गई हां याद आया सीक्लो कैफे! वहीं मिल सकती है। अदविक जल्दी अपनी कार के पास जाता है लेकिन उसकी चाबी खो जाती हैं" चाबी ?  ये कहां गई ? शिट! अब टायर पंचर!

"तुम जो भी हो नाम तो मुझे नहीं पता पर मै तुम्हे जरूर ढूंढ़ लूंगा" मिस यैलो!

"सिया" चेन्नई शहर की एक जानी मानी न्यूरोलॉजिस्ट है जो हर दिन किसी ना किसी को नया जीवनदान देती है और लोगो को जीने के लिए प्रोत्साहित किया करती है |

"अदविक ? जिसका रोजाना छह बजे से अलार्म बजना शुरू होकर आठ बजे बंद होता था। लेकिन अब सिया उसकी नींद उड़ा चुकी थी वो हर पल उसी के बारे में सोच रहा था।

"अदविक की छोटी बहन जो उसे सुबह - सुबह उठा रही थी"।  

भैया ? भैया ? अब उठ भी जाओ टाइम देखा है आपने साढ़े आठ बज रहे हैं। तभी अदविक अंगड़ाई लेता हुआ कहता है हाय! कितना अच्छा सपना देख रहा था मै तुने सब खराब कर दिया!

"अच्छा" अब नीचे सब आपका इंतज़ार कर रहे हैं | प्लीज जल्दी आइए!

"ठीक है" आ रहा हूं मेरी छोटी अम्मा! तभी आरुषि यानी अदविक की छोटी बहन जो नीचे चली जाती है।

"अदवीक नाश्ते के लिए तैयार होकर नीचे आता है" सब बैठकर नाश्ता कर रहे थे!

"गुड मॉर्निंग मां" गुड मॉर्निंग बेटा !!

"हाय डेड" गुड मॉर्निंग बेटा! और मै? तुझे तो रूम में ही बोल दिया था |

डेड ,  "मै जा रही हूं अभी - अभी ऑफिस से फोन आया था क्लाइंट मेरा वेट कर रहे है"

"आज मिस्टर ली  सोंग के साथ मीटिंग है"  अगर उन्हें हमारा प्रोजेक्ट पसंद आ गया तो अगले दो दिन बाद मुझे साउथ कोरिया जाना होगा उनका प्रोजेक्ट देखने। 

"पर बेटा प्रिशा , नाश्ता को कर ले" नहीं मोम मै ऑफिस में कर लूंगी। बाय डेड बाय मोम! क्या करे इस लड़की का हमेशा जल्दी में रहती हैं!

"डोंट वरी मां दीदी इज द बेस्ट" तभी तो हमारी कंपनी नंबर वन पर हैं। हे ना डेड ? ऑफ़ कोर्स!

"अदविक अपने घर में इकलौता बेटा है और सबका लाडला भी" प्रिशा उसकी बड़ी बहन है जो हमेशा ऑफिस के कामो में बिजी रहती है"और अपने पापा के सबसे करीब भी एक छोटी बहन जो बहुत चुलबुली है उसका नाम आरुषि है |

प्रिशा , "ऑफिस के लिए निकल जाती है और सभी नाश्ता कर रहे थे"

तभी नमन का कॉल आता है !

हैलो , अदविक ? "हां नमन बोल यार मुझे तेरी हेल्प चाहिए। हां बोलना क्या बात है पैसे चाहिए तो बोल...."

"नहीं यार तुझे शाम को मेरे साथ एलियोट्स बीच चलना है" क्या ? हां रेडी रहना शाम को मिलते है।

"नमन कॉल कट कर देता है" फोन काट दिया अदविक सोचता है मै बीच पर जाकर क्या करूंगा !! ये कहकर वो गार्डन में टहलने चला जाता है। और सिया के बारे में सोचने लगता है।

"मिस यैलो" , पता नहीं तुमसे दुबारा मुलाकात कब होगी!!

"दिन का सूरज ढल जाता है और शाम होते - होते मौसम सुहाना सा होने लगता है" तभी बाहर से आवाज़ आती है अदविक ? चल जल्दी कर लेट हो रहा है!

"हां" बस आ रहा हूं बेटा कौन हैं ?

"मां नमन है" मै उसके साथ एलियट्स बीच जा रहा हूं। आने में थोड़ी देर ह जाएगी बाय मां !!

"ये लड़का भी ना हमेशा अपनी बहन की तरह जल्दी में रहता है" पता नहीं क्या होगा इन दोनों का!

"है ईश्वर अब तूही ध्यान रखना इनका"

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