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यह वही थी...

Editor: Providentia Translations

युन शीशी ने अपना चेहरा उठाया और सीधे उस आदमी की ओर अपनी नम आँखों से देखा। म्यू याज़हे की फीकी सी मुस्कान अचानक से जम गई। उसकी आँखों की पुतलियां एक ही जगह ठहर गयीं,और वो उसे एक टक घूरता रहा।

म्यू याज़हे,जो थोड़ी देर पहले अपने आप को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहा था,उसे देखकर चौंक गया। उसका मन थोड़ी देर के लिए भटक गया।

युन शीशी ने म्यू याज़हे की तरफ देखा भी नहीं। उसने गंदे तरीके से अपने हाथ की पिछली तरफ से आंसुओं को पोछा, और कहा,"मिस्टर, मुझे पता है कि यह मेरी गलती थी कि मैं बिना ध्यान दिए सड़क पार कर रही थी, लेकिन आपको मेरे ऊपर 'दया' दिखाने की ज़रूरत नहीं है। मुझे आपकी इस दया की आवश्यकता नहीं है!"

इन शब्दों को कहने के बाद,उसने म्यू याज़हे की तरफ ध्यान भी नहीं दिया,और जमीन पर झुककर दस्तावेजों को उठाने लगी। वो जल्दी ही वहां से जाने के लिए पलटी, और एक बार भी म्यू याज़हे की तरफ नहीं देखा।

म्यू याज़हे उसे जाते हुए देखने लगा। वो अभी तक अचंभे में था,और उस पर से अपनी आँखें लंबे समय तक हटा नहीं पा रहा था।

उस लड़की को इतनी देर तक देखते-देखते अचानक म्यू याज़हे का दिमाग कहीं दूर चला गया!

उन लम्हों को फिर से याद करते हुए, उसे उस रात की याद आ गयी,जो उसने उस लड़की के साथ बितायी थी,जिसकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी- और वो म्यू याज़हे का सब कुछ झेलने के लिए मजबूर थी।

म्यू याज़हे को अब भी याद था कि,कैसे उसने उस लड़की के नाजुक शरीर को जकड़ लिया था,जिससे उसका दम लगभग घुट रहा था।

उसने जान बूझकर उस लड़की को अपने बस में किया। अपने नीचे उस लड़की को दबा हुआ देखकर,उसे खुशी हो रही थी, और उसका दयनीय,रोता हुआ चेहरा- देखकर म्यू याज़हे को बहुत अच्छा लगा था।

वो लड़की एक बुलबुले की तरह नाजुक थी;जो एक बार छूने से ही फट जाए।

हालांकि,म्यू याज़हे के सामने,उसने एक बहादुर चेहरा दिखाया और अपने अभिमान की रक्षा की…।

इस तरह की लड़कियां,वास्तव में पुरुषों का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं। इसलिए,एक आदमी के रूप में भले ही वो कितना भी कठोर था,लेकिन उसमें थोड़ी कोमलता जाग्रत हो गई थी।

भले ही वो घमंडी और बेपरवाह था,लेकिन फिर भी उसके अंदर सामान्य लोगों की तरह एक दिल था।

बाकी महिलाओं की तरह,वो पहले कभी किसी पुरुष के नज़दीक नहीं आयी थी। वो जवान और कोमल थी। वो एक कच्चे फल की तरह थी,जो अभी भी बेहद खट्टा था।

हालांकि,उस नाजुक लड़की ने म्यू याज़हे के भीतर,लम्बे समय से दबी हुई इच्छाओं को जाग्रत कर दिया था।

उसे उस लड़की की ज़रूरत थी। अपनी शरीर की प्यास बुझाने के लिए,अब उसे उस लड़की की इतनी तीव्रता से ज़रूरत थी कि,उसपर किसी भी चीज़ का कोई असर नहीं हो रहा था। वो चाहता था कि वो लड़की पूरी तरह से उसकी हो जाए- और उसके जीवन के अंतिम क्षण तक- उसके साथ जबरदस्ती बंधी रहे।

लेकिन ऐसा सोचना असामान्य था। कोई भी लड़की म्यू याज़हे को उस हद तक आकर्षित करने में सक्षम नहीं थी कि,उसके साथ म्यू याज़हे अपने विचारों पर नियंत्रण खो दे,और वो लड़की उसे अपने बस में कर ले?

बहरहाल, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि,वो एक ऐसा आदमी था जो हमेशा खुद को नियंत्रण में रखता था,लेकिन युन शीशी के पास आते ही उसका खुद पर से कण्ट्रोल ख़तम हो जाता था।

उस दिन के बाद, उसने तय किया कि अब वो उस लड़की से फिर कभी नहीं मिलेगा,क्योंकि उसे समझ आ गया था कि,उस लड़की के पास होने से,वो अपने बस में नहीं रहता था।

उसकी रगों में सम्राटों और अधिपतियों का नेक खून बहता था। और हवा की तरह ही,वो किसी भी चीज़ से मुक्त था। वो केवल अत्याचारी और तानाशाही हो सकता है। वो किसी भी चीज़ से बंध कर नहीं रह सकता है।

वो महिलाओं या किसी और चीज के कारण नियंत्रण से बाहर होना पसंद नहीं करता था।

यहाँ तक कि उसने इन बंधनों के कारण खुद को दबा लिया था।

लेकिन... उसके शरीर को तो इन सब संवेदनाओं का एहसास होता था।

उसके मुँह के कोने मुड़ गए। उसने पलट कर देखा कि जमीन पर एक चीज़ पड़ी हुई है। वो धीरे से झुका और उसे उठा लिया। एक्सीडेंट की वजह से युन शीशी गलती से अपना पहचान पत्र वहीँ भूल गयी थी।

जल्दी में,अपना सामन उठाते समय,उसका ध्यान जमीन पर पड़े पहचान पत्र पर नहीं गया।

उसे देखकर म्यू याज़हे के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गयी। उसने अपना फोन निकाला।

"आरोन,मुझे किसी का पता लगाने में तुम्हारी मदद चाहिए।"

"जी,डायरेक्टर। उसका नाम है...।"

पहचान पत्र पर लड़की का सुन्दर और मुस्कुराता हुआ चेहरा दिख रहा था। उसके आँखों के गोले झिलमिलाते हुए और चमकदार थे; ऐसा लगता था मानो वे सूरज की रोशनी से भरे हुए हैं।

उसकी आँखों की चमक किसी भी समय के लोगो को चौंका देने वाली प्रतीत होती थी | 

उसने एकदम से कहा,"युन शीशी।"

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