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टेलीपैथी

Editor: Providentia Translations

युन शीशी ने उसके कान में फुसफुसाया,"मुझे माफ़ कर दो...यूयू..."

यूयू ने कुछ बोलने के लिए अपना छोटा सा मुंह खोला,लेकिन हिचकिचा गया। वो सही में अपनी माँ से पूछना चाहता था: क्या उसके डैडी उसे पसंद नहीं करते थे- या उसे चाहते नहीं थे- इसलिए उन्होंने उसे दूर कर दिया और अब उन्हें उसकी कोई फ़िक्र भी नहीं है?

क्या वो सच में वही था जो वो दोनों उसे कह रही थीं? 'एक पिता द्वारा पैदा किया गया, लेकिन किसी के द्वारा अपनाया नहीं गया?'

ये सवाल उसके होंठों पर आये, लेकिन उसने जबरदस्ती उन्हें वापस निगल लिया।

यूयू ने अपने हाथ से युन शीशी की नाजुक उंगलियों को पकड़ लिया। उसने अपने छोटे से चेहरे को उठाया और रात के आसमान की तरफ देखते हुए धीरे से बोला,"मम्मी, भले ही यूयू के डैडी यूयू को नहीं चाहते, लेकिन यूयू के पास अभी भी मम्मी हैं ! यूयू मम्मी को सबसे ज्यादा प्यार करता है, इसलिए दुखी मत होइए! मम्मी डैडी की वजह से उदास है ना! जब यूयू बड़ा हो जायेगा,तो मम्मी की रक्षा करेगा!"

युन शीशी ने अपनी आँखें उठाईं, और उसी तरफ देखा जहाँ वो देख रहा था, और वो भी बाहर देखने लगी। उसने आखिरकार एक लंबी सांस ली और यूयू को कसकर पकड़ लिया।

"यूयू एक बहुत अच्छा बच्चा है..."

मयू निवास।

लिविंग रूम में,मयू यिचेन, जो सोफे पर बैठा हुआ था, अचानक उसे अपने दिल में एक अजीब सा दर्द महसूस हुआ। वह दर्द असहनीय था।

थोड़ी तनी हुई भौहों के साथ,उसने धीरे से अपनी छाती पर उस जगह हाथ फेरा, जिस जगह उसका दिल था। उसने महसूस किया कि उसके दिल की धड़कनें तेज हो रही हैं।

उसके दिल में दर्द हो रहा था,और उसका दम लगभग घुट रहा था।

एक नौकरानी,जो उसके खिलौनों को समेट रही थी, उसने मयू यिचेन को अपने सीने पर हाथ रखते हुए देखा,उसका चेहरा दर्द से पीला पड़ रहा था। वो उसके सामने घुटने टेक कर बैठ गयी।"यंग मास्टर, क्या हुआ?"

"हार्ट ...दर्द..." म्यू यिचेन को ठंडे पसीने आ रहे थे।उसने कहा,"मुझे ऐसा लग रहा है....जैसे कोई मुझे सुई से चुभा रहा है...।"

"जैसा पहले होता था वही दर्द?" दासी ने पूछा।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।

यंग मास्टर को पहले भी दिल में ऐसा दर्द होता रहता था। उसका दिल अचानक तेजी से धड़कने लगता और तेज़ दर्द होने लगता था। हालांकि, हर बार उसे अस्पताल ले जाया जाता था, लेकिन दर्द का कोई कारण नहीं पता चला था। वो बिलकुल स्वस्थ था।

यहां तक कि सबसे अच्छे डॉक्टर भी यह नहीं बता सकते थे कि,उसे क्या बीमारी थी।

म्यू यिचेन अपने पैर पेट के पास रखकर सोफे पर लेट गया,और ठंडी हवा में गहरी सांस लेने लगा।

"क्या बात है?"

म्यू शेंग धीरे-धीरे अपनी छड़ी के सहारे सीढ़ियों से नीचे उतरे। उस बुजुर्ग आदमी ने साफ़-सुथरे पारंपरिक चीनी कपड़े पहने हुए थे,जिनपर एक भी सल नहीं था। इतने बूढ़े होने के बावजूद, वो अभी भी ऊर्जावान दिखते थे। उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि,वो अपनी जवानी के दिनों में बहुत आकर्षक और शिष्ट लगते होंगे।

"बड़े दादाजी..."म्यू यिचेन ने उनकी तरफ देखा और नम्रतापूर्वक कहा।

म्यू परिवार में म्यू शेंग की जगह कोई भी नहीं ले सकता था। उनका अपने पूरे जीवन में इतनी शक्तिशाली हस्तियों के साथ सामना हुआ था कि,उनका हर शब्द और हावभाव लोगों में भय पैदा कर देता था।

इसलिए,मयू यिचेन जैसे अमीर आदमी का बेटा भी,अपने बड़े दादा से डरता था।

लेकिन म्यू शेंग,इस बच्चे को अपने दिलों जान से चाहते थे।

मयू याज़हे उनका सबसे प्यारा पोता था,और मयू यिचेन उसका खून था, इसलिए स्वाभाविक रूप से वो यिचेन को भी बहुत प्यार करते थे।

अपने प्यारे पड़पोते को तड़पते हुए देखकर उनके चेहरे का भाव बदल गया। उन्होंने जल्दी से पूछा, "क्या तुम्हें फिरसे ठीक नहीं लग रहा है? क्या तुम्हारे दिल में फिर से दर्द हो रहा है?"

उसके परदादा को उसकी चिंता हो रही थी, लेकिन म्यू यिचेन उनसे झेंप रहा था। वो उनसे बहुत डरता था। वो म्यू शेंग के शांत और सख्त चेहरे से डरता था। इसलिए,उसे कभी भी उनके करीब रहना पसंद नहीं था।"कुछ भी तो नहीं!" मयू यिचेन ने जवाब दिया।

"गलत ! ज़रा अपने आप को तो देखो! तुम इतने दर्द में हो कि तुम्हें ठंडे पसीने आ रहे हैं!" मयू शेंग बहुत चिंतित थे।

"बड़े दादाजी,मैं - मैं किताबें पढ़ने के लिए ऊपर जा रहा हूँ!" म्यू यिचेन सोफे से नीचे कूद गया और सीढ़ियों पर भाग गया।

म्यू शेंग ने अपने पड़पोते को पीछे से देखा और गहरी सांस ली।

आधी रात को।

सड़क पर, एक काली बुगाटी वेरॉन गाड़ी हवा के साथ दौड़ लगा रही थी। कार के ऊपर चमकीली रोशनी पड़ रही थी,और कभी वो गाड़ी अँधेरे से तो कभी उजाले से निकल रही थी।

मयू याज़हे, जो गाड़ी चला रहा था, उसकी गहरी आँखों में गुस्सा भरा हुआ था। चांदनी में उसका सुन्दर चेहरा चमक रहा था।

उसने अपने पैर से एक्सेलरेटर को और तेज़ दबाया। इंजन से इतनी तेज़ आवाज़ आयी कि,उसके शोर से बाहर की सारी आवाज़ें दब गयीं।

उस रात,ना जाने क्यों, उसकी भावनाएँ उसके नियंत्रण में नहीं थीं।

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