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घबराहट

Editor: Providentia Translations

"हे भगवान, क्या मैं सही देख रही हूँ? क्या यह शख्स... किन चू है?" भीड़ में से एक लड़की ने हैरानी में पूछा।

"किन चू ... हाँ, यह हकीकत में किन चू ही है?" एक और लड़की ने उत्साह से दोहराया।

हुओ मियां पूरी तरह से हैरान थी। वह व्यक्ति जिसको उसने वर्षो से देखा नहीं था वह आज उसके सामने खड़ा था। उसका व्यक्तित्व सभी को अपनी और आकर्षित कर रहा था। वह 185 सेंटीमीटर लंबा था, और काले रंग की शर्ट पैंट पहने था। हालांकि, उसका सुंदर और सुडौल रूप सबको मोह रहा था, पर उसके बाल अलग ही चमक रहे थे। इन सजिले गालों, नुकीली नाक, पतले होंठ और गहरी आँखों को हूओ मियां ने सपने में अनगिनत बार देखा था।

अब जब वह उसके सामने खड़ा था, तो वह बस हैरान थी। उसे लगा जैसे उसका दिल उसके सीने से बाहर निकलने वाला है।

झू लिंगलिंग ने हुओ मियां के हाँथ को सहलाते हुए कहा, "मियां, मैंने कहा था न? शैतान का नाम लो और शैतान हाज़िर!"

लेकिन, हुओ मियां ने लिंगलिंग की बात को पूरी तरह से अनसुना कर दिया, क्योंकि उसका ध्यान अभी भी किन चू पर ही टिका हुआ था।

सात साल बीतने पर भी उस शख्स में कुछ नहीं बदला सिवाए उसके चेहरे पर झलकती परिपक्वता और ठहराव के, जो शायद बीतने समय का एक संकेत थे। उसने सबको एक हल्की मुस्कुराहट के साथ देखा, जो कि पुराने युवा किन चू की से बिलकुल अलग था। क्या यह किन चू ही है जो बदला है? या फिर समय बदल गया है?

किन चू ने कमरे की चारों तरफ नज़रें घुमाई, लेकिन जब उसकी नज़रें हुओ मियां की तरफ गयी तो उसने मियां को वैसे ही देखा जैसे औरों को, यह देख कर हुओ मियां थोड़ी निराश हुई।

"तुम सबको देखे बहुत समय हो गया है," किन चू ने सबको देखने के बाद कहा।

"क्या तुम सच में वापस आ गए हो? क्या मैं सपना देख रही हूँ? तुम इतने सालों से कहाँ थे?" लियू सियिंग ने उत्साह में चू की ओर आगे बढ़ते हुए पूछा।

हर कोई जानता था कि हाई स्कूल में लियू सियिंग को किन चू से कितना लगाव था। यही कारण था कि वह हाई स्कूल में कभी भी हुओ मियां से बात नहीं करती थी। उसके लिए हुओ मियां उसकी कट्टर दुश्मन थी, और सात साल बाद भी इन दोनों के संबंधों में कोई सुधार नहीं हुआ था। किन चू को देख लियू सियिंग उसकी ओर ऐसे बढ़ी जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार की ओर बढ़ता है।

बाकि लड़कियों ने भी किन चू को घेर लिया, क्योंकि किन चू हर लड़की के सपनों का राजकुमार था।

"मैं पूरे समय संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन कर रहा था," किन चू ने बड़ी सहजता से सभी की जिज्ञासाओं का जवाब दिया।

किन चू पूरे सात सालो से गायब था। कोई भी नहीं जनता था की वह कहाँ चला गया है, यहाँ तक की उसकी करीबी हुओ मियां को भी कोई जानकारी नहीं थी।

उसी समय, क्लास के अध्यक्ष, हान जू वहाँ आये और एक हल्की मुस्कान के साथ बोले, "तुम्हें यहाँ वापस देख कर बहुत अच्छा लगा। तुम्हारे आने से यह पुनर्मिलन पूरा सा लग रहा है। सुश्री याओ, आप यहाँ बैठिये। बाकि की बातें हम खाना खाते समय कर सकते हैं।"

किन चू ने सुश्री याओ को मुख्य सीट पर बैठाया, और फिर वो सुश्री याओ के दाईं ओर रखी कुर्सी पर बैठ गया। इससे पहले कि हान जू, सुश्री याओ की बाईं ओर रखी कुर्सी पर बैठ पाते, सुश्री याओ ने हुओ मियां को आवाज़ लगाई।

"जी, सुश्री याओ?" हुओ मियां ने खड़े होते हुए जवाब दिया।

"इधर आओ और मेरे पास बैठो।" सुश्री याओ ने उसे इशारे से बुलाया।

हान जू निराश हो गया, पर फिर उन्होंने सुश्री याओ की आज्ञा का पालन करते हुए हुओ मियां से मुस्कुराते हुए कहा - "यहाँ आओ, मियां। उन्हें तुमसे मिले बहुत वक़्त हो गया है, तो तुम यहाँ आकर क्यों नहीं बैठती?"

हुओ मियां का वहां बैठने का मन नहीं था पर फिर भी उसने हाँ में सिर हिलाया और करीब जाने लगी।

हर कदम के साथ उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था। हर कदम के साथ वो किन चू के और नज़दीक आती जा रही थी...

जैसे ही वो बैठने लगी उसकी घबराहट इतनी बढ़ गई की घबराहट में उसके हाथों से वाइन का ग्लास छूट गया, और फर्श पर बिखर गया।

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