1 परिचय

पिता एक उम्मीद है, एक आस है

मेरी हिम्मत और विश्वास है,

बाहर से सख्त अंदर से नर्म है

उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।

पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है

परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,

सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है

इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।

पिता ज़मीर है पिता जागीर है

जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,

कहने को सब ऊपर वाला देता है

पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।

पापा, पिता, डैडी, डैड, बाबा, अब्बा और ना जाने हम अपने पापा को किन-किन नामों से पुकारते हैं। हम तो अपने पापा को सब कुछ मानते हैं। बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हमें पापा से ही तो मिलता है।

"पापा उस माली की तरह हैं जो अपने बच्चों को बचपन से अपने खून पसीने से सींचते हैं"

उनके लिए उनका परिवार ही सब कुछ होता है। आज मै आपको अपने पापा के बारे में बताऊंगी।

मेरे पापा बड़े ही सरल और संतुष्ट हैं और हमने भी उनसे हमेशा यही सीखा है की हमें अपने आप को सरल बना कर रखना चाहिए। स्थिति के अनुसार ख़ुद को ढालना चाहिए, हमें अपना स्वभाव ऐसा रखना चाहिए की हम कभी किसी पर बोझ ना बने।

मेरे पापा ने जीवन में बहुत से कष्ट देखें हैं पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। दृढ़ संकल्प और जुनून के साथ उन्होंने अपना जीवन कैसे जिया हैं उसकी एक झांकी देखें.....

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