प्रकृति बहुत ही खुबसुरत है आप प्रकृति कीखुबसुरती में अपने आप को इस कदर खो दो कि आप भी उसी में जीने लगे।
यह बात सन् 2017 की है। जब मैं माध्यमिक विद्यालय ढोरली में थी। मै कक्षा सातवी की एक होनहार छात्रा के रूप में जानी जाती थी। उस समय हम तीन करीबी दोस्त थे। शीतल, खिलेश्वरी और मैं टीचर्स के खास छात्राए थे। हम लोग एक साथ कही घूमने जाना चाहते थे ।इसलिए हम लोग प्रधानाध्यापक सर जी को कही घूमाने ले जाने के लिए मनाएं। हम लोग पूरे बच्चे जाना चाहते थे लेकिन सर बोले "बेटा बच्चे बहुत शैतान है इधर उधर जाते हैं उसे संभालने में समस्या हो सकती है और उन्हें संभालने के लिए टीचर भी तो नहीं है ।मैं और चुलेश कितने को देखेंगे। "यह सुनकर हमें भी सही लगा ।लेकिन सर बोले "अगर तुम लोग बोलो तो मैं तुम लोगों को घुमाने ले जा सकता हूं। लेकिन सभी बच्चे नहीं जा सकते बेटा।"
हम भी मान गये। सर बोले पहले अपने माता पिता से अनुमति ले लो फिर बताना।
"वे जाने की अनुमति दे देंगे सर।" (सभी एक साथ बोलकर चहक उठे)
फिर हम सभी को एक अनुमति पत्र दिया गया। जिसमे हमें साइन करा कर लाना था।
अगले दिन हम सब अपने अपने माता-पिता से साइन कराकर लाये और सर ले जाने के लिए तैयार हो गए ।हम लोग प्राचीन मंदिर भोरमदेव जाने का सोचे क्योंकि भोरमदेव ही ऐसा दर्शनीय स्थल है जो पास में है। हमें रात होने से पहले घूमकर आना था इसलिए भोरमदेव जाना ही उचित लगा।
रविवार के दिन जाना तय हो गया क्योंकि उस दिन हमारी छुट्टी रहती है। रविवार के दिन इसलिए कि सावन मास में सोमवार के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत रहती है और पाँव रखने तक का भी जगह नहीं रहता जिसके कारण दर्शन अच्छे से नहीं हो पाती और ना ही कहीं अच्छे से घूम पाते हैं ।इसलिए रविवार को जाना हमें अच्छा लगा। साथ ही हमारा स्कूल भी नहीं छूटा ।हम सभी बहुत खुश थे ।उत्सुक थे जाने के लिए ,खासकर मैं क्योंकि मैं एक बार भी नहीं गई थी ।स्कूल से छुट्टी हुई और पापा के साथ नया कपड़ा खरीदवाने के लिए खम्हरिया गई ।क्योंकि मेरे पास पहनने के लिए अच्छी वाली ड्रेस नहीं थी। मैंने अपने लिए एक पिंक कलर का कपड़ा खरीदा ।मैं बहुत खुश नजर आ रही थी।उत्सुकता के कारण रात में अच्छे से नींद भी नहीं आई।