कहीं मजबूरी तो कही बेहिसाब बेवफ़ाई है, #समलैंगिक इश्क़ की आखिरी मंजिल जुदाई है...
कभी अपनो से लड़ना कभी दुनिया से झगड़ना, जब तक सांस है तब तक #समलैंगिको की लड़ाई है...
मुझे पता है तुम भी मुझे चाहते तुम भी डरते हो मुझे खोने से, मगर नशीबो के आगे आशिको की कँहा चल पायी है...!
हम दोनो एक दूजे के लिए बने ये वहम भी दूर होगया हमारा, क्यूंकि हमारी तकदीरे जुदा है तभी अगले साल उसकी सगाई है...
एक-दूजे के साथ ख़्वाब सज़ा रखे थे हमने, ये न जान पाये #समलैंगिको के जीवन में बस तन्हाई है...
मेरी माँग का सिन्दूर किसी और का सपना हो जायेगा, शायद मेरी माँग ही अपनी किस्मत सूनी लिखा के लाई है...
वो भी तो मजबूर है उसके मथ्थे इल्जाम न दूँ, उसके जैसी मोहब्बत सबने कँहा निभाई है...
काश मैं एक लड़की होता शायद तेरा हो जाता, लड़का हूँ और लड़के से प्यार किया यही तो लड़ाई है...
क्यूं हमें ही नीचा दिखाया जाता हमें अलग कर दिया जाता है, ये समाज़ को हमारी हालात पर रती भर दया नही आई है...
किताना ही चाह लो एक-दूजे को तो क्या, भई #समलैंगिक हो आखिर में जुदाई है...
दोनो का हाल बूरा था दोनो की आँखे भर गई, अजनबी से लग रहे थे जब से घरवालो ने कहीं शादी की बात चलाई है...
छोड़ चुके वो संघर्ष की आखिरी लड़ाई भी, समझ चुके है #समलैंगिक इश्क़ में जुदाई है...