1 वक्त का आईना

इस कहानी का मुख्य पात्रक राहुल है जिसकी उम्र 25 साल है वो कफी अच्छा दिखता है लुक वाईस और राहुल के पिता जो काफी बुजुर्ग है राहुल उनका इकलौता बेटा है।

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सुबहा के 8 बजे अलार्म बजना शुरू हो जाती है अब राहुल उसकी अवाज से उठ जाता है और दिनचर्या के हिसाब से अपने सारे काम करता और अब वो किचन की तरफ बढता है वहां वो अपने और अपने पिताजी के लिऐ नाश्ता तैयार करता है।

पिताजी टेबल पर बैठे हुऐ है अब राहुल उनके लिऐ नाश्ता करता और अपने लिऐ भी लेकर सामने बैठ जाता है।

वो सुबह के 9:45 तक ऑफिस के लिए निकल जाता है इसलिए अब अपना नाश्ता जल्दी जल्दी करने लगता है यह देख कर उसके पिताजी उससे कहने लगते हैं ये क्या जल्दी क्यों खा रहा है आराम से खा, राहुल अपने पिता कि तरफ गुस्से में देखते हुऐ जवाब दे रहा होता है कि डैड मै हमेशा आपकी वजह से लेट हो जाता हूँ अब जादा कुछ कहना मत।

राहुल का जवाब सुनते ही उसके पिता कहते है मेने सिर्फ आराम से खाने के लिऐ बोला और इतना ही देरी हो जाती है तो जल्दी उठा करो।

इतने में राहुल अपने पिता के शब्दों को सुनकर गुस्से में खाना छोड़ दिया और उठकर ऑफिस के लिये निकलने लगता है

तभी उसके पिता आवाज लगाते हैं और कहते हैं बेटा अब तो मेरा चश्मा ठीक करा ला मुझे बहुत प्रोब्लम होती मै तुझसे कई दिनों से कह रहा।

यह सुनकर राहुल भढक जाता है और कहता है डैड मुझे ऑफिस जाते वक्त पीछे से टोका मत करो और आपका चश्मा ठीक करवा दुंगा क्यों परेशान कर रहे हो। अभी मुझे देर हो रही है यह कहकर गुस्से से दरवाजा बंद करते हुऐ निकल जाता है।

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ऑफिस से छुट्टी होने के बाद राहुल घर के लिए निकलता है और जब वो रास्ते में जा ही रहा था तब अचानक ही वर्षा होने लगी और राहुल भीग न जाऐ इसके लिए पास ही में एक चाय की दुकान दिखाई देती है और वो वहां चला जाता है।

जहाँ वो बुजुर्ग को देखता है और उनसे कहता है बाबा एक चाय बना देना और उस चाय के दुकान वाले बाबा ने राहुल की तरफ देखा और बेटा अंदर की तरफ आजाओ और फिर राहुल अंदर की तरफ आजाता है ।

बाबा कुछ ढूंढ रहे होते हैं तभी राहुल उन्हें देखकर पूछता है बाबा आप क्या ढूंढ रहे हो और बाबा जवाब देते हैं बेटा में चश्मा ढूंढ रहा हूँ तभी राहुल की नजर सामने रखे चश्मे पर जाती है और उठाकर बाबा से कहता है ये बाबा चश्मा सामने रखा हुआ था । बाबा राहुल को धन्यवाद कहते हैं और कहते हैं हम जब बुजुर्ग हो जाते है तो चश्मा और लाठी सहारा देते हैं और वो बुजुर्ग किस्मत वाला होता जिनकी जिंदगी में तुम्हारे जैसे बेटे का सहारा हो।

बाबा की यह बात सुनकर पहले अपने पिता की छवी नजर आती है जिसमे वो राहुल से चश्मे के लिऐ बोलते हैं और राहुल उनको डांट देता है और बाबा उससे कहते हैं बेटा कहा खो ये हो लो चाय ।

राहुल चाय लेने के बाद वो बाबा की चाय की दुकान के अंदर का ऐरिया देखता जहाँ तक उसकी नजर पढती है और उसे एक विकलांग लोगों की कुर्सी दिखाई देती है जो खाली होती है और वो बाबा को देखता है वो आराम से चल फिर लेते हैं तो वो कुर्सी किसकी है।

राहुल पर रहा नहीं जाता वो बाबा से पूछता है ये विकलांग कुर्सी किसकी है।

बाबा राहुल की बात सुनकर कहते हैं ये कुर्सी मेरी पत्नी की है ।

राहुल ने उनसे पूछा क्या वो विकलांग थी तो बाबा कहने लगे की वो विकलांग नही थी बल्कि बस घर में ही उपर सीढियों से गिर गई और उनका पैर फेक्चर हो गया तभी ये कुर्सी उनके लिऐ ली।

राहुल कहता है अब वो कहाँ है और बाबा भावुक होकर कहते हैं में पत्नी को बहुत प्यार करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी लेकिन जब जिन्दगी में बच्चे हो जाते हैं तो सारा प्यार बट जाता है लेकिन मेरी पत्नी मुझे और अपने बच्चों एक जैसा प्यार देती थी ।

वो चाहती थी कि वो और मै एक साथ हमेशा रहें लेकिन एक दिन मेरे बच्चों ने हमें अलग करने की सोची क्योंकि मै ये चाय की दुकान नहीं छोड़ना चाहता था और मेने अपनी पत्नी से कहा तू बच्चों के साथ चली जा अब वो काबिल हो चुके यह जगह उनके लायक नही है और मै तो यहां मरते दम तक रहुंगा क्योंकि इनको जितना कुछ दिया है वो सब इसी की वजहा से है।

और मेरी पत्नी नही मानी और मेरे साथ रूकने का फेसला लेलेती है। मुझे तो अच्छा लगा की बच्चे अपनी अपनी जगह सेट हो चुके हैं बस मै इतना चाहता था की वो यहां कभी मिलने आ जाया करे लेकिन वो उस दिन आखिरी बार ही मिलने आये थे और पत्नी को झूठा दिलासा दिया के वो आऐंगे और एक नम्बर दिया जोकी रोंग नम्बर था।

राहुल को उसी समय का द्रश्य सामने आता है कि जब वो अपने पिता से कहता है डैड ये फ्लैट छोड़ दो मेने जो नया फ्लैट लिया है उसमें रहते है हमें कुछ ही दिन में वहां जाना हैं पर राहुल के पिता मना कर देते हैं और राहुल से कहते हैं बेटा मेने यहां सब कुछ पाया है यहां मै उम्र भर तक रहना चाहता हूँ और तुम जाना चाहते हो तो जा सकते हो और राहुल गुस्से में कहता है तो ठीक है आप यहीं रहना और अगले सप्ताह में मै अपने फ्लैट में सेटल हो जाऊंगा तुम रहना अकेले उम्र भर।

राहुल यह याद करने के बाद भावुक हो कर बाबा से पूछता है फिर क्या हुआ।

बाबा कहते हैं मेरे बच्चे चले जाते हैं और सालों बीत जाते हैं और न वो आते और न उनका कोई कॉल और मेरी पत्नी उसी नम्बर को लगवाने के लिऐ कहती जो की रोंग होता है और मै उस्से कहता रहता हूँ की कॉल मेरे फोन से नहीं लग पाता और वो निराश होजाती है और एक दिन मेरे फोन पर कॉल आ रहा था वो ऊपर की तरफ थी और मुझसे कहती है सुनो मेरे बच्चों का कॉल आ रहा है और मेरा चश्मा नहीं मिल रहा था और उसे रहा नहीं गया रात की वजहा से अंधेरा था वहां और वो नीचे सीढियों से आते समय गिर गई ।

बाबा कहते हैं उसके बाद वो बीमार होती रही और बादमें मेरा साथ छोड़ कर चली गई ।

राहुल ये सोचकर चश्मा न होने की वजहा से मेरे डैड को कोई प्रोब्लम न हो जाऐ उसे डर बैठ जाता है उसे ये द्रश्य नजर आता है कि उसके पिता नीचे फर्स पर गिर जाते हैं और राहुल घबराह जाता है और वो तुरंत अपने घर निकलता है।

जैसे ही वो घर पहूंचता है तो देखा कि उसके पिता फर्श पर गिरे हुऐ होते हैं वो उनको सम्भालता है और कहता है कि आपको कुछ नहीं होगा डैड मै आपके पास ही रहुंगा।

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अगली सुबह वो वही जाता है जहां वो कल बारिश की वजह से रूका था और वहीं उसे अपनी जिंदगी का आईना दिखाई दिया जिसकी वजह से उसने अपनी होने वाली गलती को सुधार लिया।

जब वो उसी जगह पर गया तो जगहा तो वही थी लेकिन वो हैरान इस बात से हो जाता कि वहां कोई भी चाय की दुकान नहीं थी।

वो आसपास के लोगों से पूछता है उस दुकान के बारे में पर कोई नहीं जानता था लेकिन एक बुजुर्ग की आवाज आती है वो कहता है कि चाय की दुकान ढूंढ रहे हो।

राहुल उसकी तरफ देख कर कहता है हा और वो बुजुर्ग कहता है तो तुम्हें भी वो दुकान दिखी राहुल कहता है मतलब

बुजुर्ग कहता है जिनके माँ बाप अपने बेटे की वजह से परेशान हों तो उनके बेटे को अक्सर वो दुकान दिखती है ताकि उनको आईना दिखा सके ।

और तुम उनमें से एक हो जो बदल जाता है वो यहां दुबारा देखने आता है।

राहुल कहता फिर उन बाबा का हुआ क्या फिर बुजुर्ग बताता है चश्मा न मिलने की वजहा से उन्होंने ध्यान नहीं दिया गैस को खुला छोड़ दिया और घर में उजाला करने के लिए जैसे ही वो मोमबत्ती जलाते हैं घर में आग लग जाती है।

राहुल कहता है उनके बच्चे नहीं आये वो बुजुर्ग कहता है वो लोग उनके जीते जी नहीं आऐ तो मरने के बाद क्या आते।

बुजुर्ग कहता अक्सर वो लोग अपने माँ बाप को मरने के बाद याद रखते हैं  या तो उनके माँ बाप सम्पत्ति छोड़ कर जाऐ या फिर उनको दिल से प्यार करते हों।

राहुल को समज आगया कि हमारी जिंदगी में माँ बाप उतने ही इम्पोर्टेन्ट होते जितने की माँ बाप के लिऐ हम वरना किसी किसी को गलतियां सुधारने का मोका आईने के रूप में पहले मिल जाता है या फिर गलती होने के बाद सबक मिलजाता है।

-------------------------------------------------------- ललित राज

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