मुझे एहसास नहीं हो पाता है जब मैं अपना कविता लिखने के लिए बैठता हूं । उस वक्त में स्वयं को भी नहीं जान पाता कि मैं कौन हूं ? जिस विषय–वस्तु पर में लिखता हूं उसके ज जिवनी गाठ निचोड़कर मेरी कलम उस कविता को लिखता हैं। लिखने की उत्सुकता मुझे 2013 में हुई जब मैं अपनी पहली कविता " चिड़ियां आसमान में " लिखा था तब मुझको मेरा मन ने मुझे झग्झोरा दिया कि मैं आगे और अच्छी कविताएं लिख सकता हूं। कहा जाता हैं – जहां न जाए रवि,वहां जाए कवि ; ठीक उसी प्रकार मेरा दिल और दिमाग दोनों कविताओं में घुल गया। अर्थात्–"लिखने की आकांक्षा" में सारी कविताएं बिना राग लाग लपेटी रागनी है। ऐसा कोई पंक्ति नहीं है जो आपको मध्यवर्त न हो। मै इसे अब आपको समर्पित करता हूं सविनय "लिखने के आकांक्षा" अब आपके हाथ। चित्तरंजन(पश्चिम बंगाल) 2020 –अगम मुरारी