2 2. जीवन में मोड़

राहगीर बालक से मिलने के बाद मेरे जीवन में एक परिवर्तन आया। मेरे मन में समाजसेवा करने कि प्रबल इच्छा जाग्रित हुई । परन्तु मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा था ।

मैंने स्मार्टफोन निकाला और सोशल मीडिया में व्यस्त हो गया । कुछ पल के लिए मुझे लगा मुझसे सोशल वर्क नहीं हो पायेगा ।

फिर मुझे सोशल मीडिया से ही एक संगठन का पता चला । जो भूखे लोगों को भोजन कराती है ।

मैंने अपने दो - तीन मित्रों को इसके बारे में बताया । इस संगठन को लेकर जालसाजी का भय था। इसीलिए हमने पहले तहकिकात की । उसके बाद दिन निश्चय किया गया ।

उसके बाद निश्चय हुआ संगठन से जुड़ने का ,परन्तु जिस दिन उस संगठन से जुड़ने कि बात थी उस दिन बारिश हो गई ।

फिर हम एक दिन उस संगठन से जुड़ पाते हैं ।

मैं और मेरे साथी मित्र उस संगठन से। जुड़ने के बाद , हमारे बीच में तय होता है कि हम सप्ताह में एक दिन अपनी पढ़ाई और काम से समय निकालेंगे ।

बस कुछ ही तो पलों कि बात है । क्या हम अपने जीवन का थोड़ा समय नहीं निकाल सकते । किसी भी अच्छे काम को करने के लिए ।

उस संगठन के साथ एक दिन काम करने पर जीवन कि सार्थकता कि अनुभूति हुई ।

ज्ञात हुआ मुझे कि सोशल मीडिया पर खुशी के लिए पोस्ट को देखकर लाईक और कमेंट करने से ज्यादा खुशी तो समाज सेवा करने में है ।

जीवन में वास्तविक खुशी का अनुभव तो मुझे उस संगठन से जुड़ने के बाद पता चला। जब मैं उस संगठन कि सहायता से भूखे लोगों को अपनी हाथों से भोजन कराया ।

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