1 1. राहगीर बालक

मैं रोज की तरह ही उस दिन भी कालेज से घर लौटने कि जल्दी में था। तभी राह के किनारे से एक बालक ( बच्चा ) मेरी ओर आया। उसने मेरी हाथों को स्पर्श किया और मुझसे कुछ खाने के लिए मांगा । मैं उस बालक को देखकर कुछ क्षण स्तब्ध सा खड़ा रहा । उसके बाद अपनी जेब को टटोला और जेब से कुछ रुपए निकाल कर उस बालक को दे दिया और वहां से घर चला गया ।

वह देखने में कुछ खास तो नहीं था , पर मेरे जीवन में एक अहम हिस्सा रखता था । घुंघराले बाल, रुखे हुए , सांवला रंग , फटा हुआ हाफ पैंट और नंगा तन तथा चेहरे पर एक उम्मीद की चमक थी । उस एक पल ने मेरी मनोस्थिति बिगार दी । मैं घर आकर सोचने लगा उस बालक की स्थिति के बारे में ।

वह महज़ नौ - दस साल का होगा । स्कूल में पढ़ने वाली उम्र है । लेकिन वह सड़क पर भिख मांगता है। ऐसे न जाने हम हर रोज सड़क पर चलते - चलते कितनों को अनदेखा कर दिया करते हैं ,पर वह मेरी स्मृति में रह गया

उसके बाद मुझे अपनी स्थिति का ज्ञात हुआ। मैं गरीब हूं पर मेरी स्थिति उस बालक से बेहतर है ।

मुझे भर पेट भोजन हर रोज़ मिल जाता है । पहनने के लिए अच्छे कपड़े हर रोज़ मिल जाती है। लेकिन मैं और मेरे जैसे कई लोग ऐसे हैं जो छोटी छोटी बातों पर गुस्सा हो जाते हैं , कई उपभोग की वस्तुओं के न मिलने पर दुखी रहते हैं ।

पर उस भिखारी के पास कुछ नहीं होता है ।

लेकिन कभी कभी उस भिखारी के बच्चे की चेहरे कि हंसी के आगे दुनिया की सभी चीजों का रंग फिकी पर जाती है।

मैं तो यही गुजारिश करूंगा कि कभी इनकी अनदेखी न किया करें । आप से जितना हो सके आप उनकी उतनी ही सहायता करें ।

किसी भी गरीब का मज़ाक उड़ा कर कुछ उच्च कोटि के लोग अपने व्यक्तिगत मनोभाव का परिचय देते हैं।

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