1 मुझे कुछ चाहिए

एक दिन एक गाँव के दो किसान आपसी झगड़े सुलझाने लिये बीरबल के पास गये। उन दिनों भी दिल्ली बहुत बड़ी नगरी थी। छोटे से गाँव में रहनेवाले वे बेचारे किसान बीरबल का मकान कहाँ है, जानते न थे। दोपहर का समय था। दिल्ली के आसपास उन्होंने गली में खेलते हुए एक बालक से कहा- " भैया, हमें जरा बीरबल मंत्री का घर बतला दो।" लडका बड़ा रुखा था। सख्ती से बोला- "देखते नहीं, मैं अभी खेल रहा हूँ। मेरे पास व्यर्थ का समय नहीं हैं।" एक किसान ने और नम्रता से कहा- "अरे भैया, चले चलो न। हम भी तुम्हें कुछ दे ही देंगे। जरा बीरबल का मकान तो बतला दो न।"लड़के ने मन में सोचा- " ये गँवार हैं। इन्हें कुछ मजा चखाना है। इन्होंने अभी कहा है कि तुम्हें 'कुछ' देंगे। मैं भी आज इनसे 'कुछ' लेकर छोडूंगा, नहीं तो अच्छा नाच नचाऊँगा।" वह मन ही मन अपनी चालाकी पर बहुत खुश हुआ और उनसे कहा, "अच्छी बात है, चलो। परन्तु मुझे 'कुछ' तो जरूर ही देना पड़ेगा।" दूसरे किसान ने कहा, "पहले बीरबल का मकान तो बतला दो। फिर कुछ न कुछ जरूर ले लेना।" " अच्छा चलो" कहकर लड़का आगे आगे चलने लगा। वे दोनों किसान उसके पीछे-पीछे चले। वे कई सड़कों और चौराहों को पार कर कुछ दूर आये। वह लड़का एक विशाल सुन्दर महल के सामने जाकर ठहर गया। फिर किसानों की ओर मुड़कर बोला, "लीजिए, यही बीरबल का घर है। लाइए, अब मुझे 'कुछ' दीजिए।" किसान ने अपनी जेब से दुअन्नी निकालकर लड़के के सामने की और बोला- "लो, यह दुअन्नी।" लड़का मुँह फुलाकर सिर हिलाता हुआ बोला- "ॐ हूँ।" फिर किसान ने उसकी ओर चवन्नी बढ़ाई, परन्तु इस बार भी उसने कहा "ऊँ हूँ, मैं यह नहीं लेता।" किसान बेचारा क्रमशः पाँच, छ, आठ, दस और बारह आने तक उसे देता रहा। परन्तु लड़का मचल मचल कर हर बार 'ऊँ हूँ' करता जा रहा था। अंत में किसान एक रुपया देने को तैयार हो गया। परन्तु लड़के नेइस बार भी यही जवाब दिया, "मैं तो रुपया-पैसा नहीं लेता। आपने मुझसे पहले कहा था कि तुम्हें 'कुछ' दे दूँगा। तो लाइये मुझे 'कुछ' दीजिए। मैं तो 'कुछ' ही लूँगा।" दोनों किसान असमंजस में पड़ गये। लड़के को 'कुछ' क्या दें ? बहुत देर सोचने पर भी कुछ तय न कर सके। बीरबल ऊपरी मंजिल से उतर कर आये। किसानों ने अपनी सारी कहानी सुनाई। बीरबल बहुत ही बुद्धिमान थे। उन्होंने लड़के का सारा पैंतरा समझ लिया कि व्यर्थ ही इन्हें तंग करना चाहता है। ये किसान दाँव-पेंच नहीं जानते । अतः उन्होंने लड़के को अन्दर बुलाकर कहा "लो, यह एक रुपया और जाकर मिठाई खा लो।" लड़के ने कहा, "नहीं, मैं तो 'कुछ' ही लूँगा।' तब बीरबल ने कहा, 'अच्छा बैठो, तुम्हारे लिये अभी 'कुछ' लाते हैं।" इतना कहकर वे भीतर गये और एक दूध की कटोरी हाथ में लेकर लौटे। उस दूध में कोयले के टुकड़े, तिनके, फूस इत्यादि मिले हुए थे ।कटोरी को लड़के के हाथ में देकर बीरबल ने कहा- 'लो पहले तुम थोड़ा-सा दूध पी लो। इतने में तुम्हारे लिये 'कुछ' आ जाता है।" लड़के ने दूध को देखा तो यह निश्चित न कर सका कि उसमें क्या मिला हुआ है। अतः वह बोल उठा- ''इसमें कुछ गिरा हुआ है। इसे मैं नहीं पी सकता।" बीरबल ने फौरन कहा- ''अच्छा तुम इसमें से 'कुछ' चुन कर ले लो और दूध हमें लौटा दो।" लड़का यह सुनकर बहुत ही लज्जित हुआ। किसान बीरबल की बुद्धिमानी देखकर चकित रह गये।

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