अपनी तय की गई मंज़िल पर पहुंच कर डेनियल और मार्विन अपने लिए रुकने की उचित जगह को ढूंढते हैं , बहुत ढूंढने के बाद उन्हें नदी के किनारे एक घर दिखता है, वह किसी और का नहीं बल्कि कुबड़े ओलिवर का था जिससे पूरा गांव दूर रहने में ही अपनी भलाई समझता था,
"मार्विन मुझे ये घर अपने काम के लिए उचित लग रहा है, देखो ये बाकी घरों से काफ़ी दूर है," डेनियल ने मार्विन को घर की तरफ इशारा करके दिखाते हुए कहा।
"हाँ, बात तो तुम सही कह रहे हो... ये घर बाकी घरों से काफ़ी दूर है और जंगल भी बगल में है, हम अपना लूटा हुआ माल यहाँ छुपा भी सकते हैं और सही समय पर निकाल कर उसे बेच भी सकते हैं, किसी को कानो कान ख़बर नहीं लगेगी कि ये कांड किसने किया था, अब बस उस घर में चलकर देखते हैं कि कितने लोग रह रहे हैं, रास्ते में आते समय मारे हुए बटुओं से हम मालिक को रुकने के लिए कुछ पैसे दे देंगे एडवांस के तौर पर जिससे उसे हम पर शक़ भी नहीं होगा, हम उसे झाँसा दे देंगे कि हम पास के गांव में होने वाले समारोह को देखने आए हैं लेकिन हमें कहीं रुकने की जगह नहीं मिली इसलिए आपके यहाँ पूछने चले आए ", मार्विन ने डेनियल से सहमत होते हुए उसे सारी योजना समझाते हुए कहा।
" बात तो पते की कह रहे हो... बस घर में ज़्यादा लोग न हों और मालिक तैयार हो जाए हमें रोकने के लिए ", डेनियल ने मार्विन की योजना से सहमत होते हुए कहा।
" तो चलकर पूछ ही लेते हैं ", मार्विन ने डेनियल से कहा और दोनों छोटी पहाड़ी से नीचे नदी के किनारे उस घर के नज़दीक पहुँचे, दोनों रास्ते भर हर जगह को अच्छी तरह से देखते हुए ओलिवर के घर पर पहुँचे थे। घर के करीब पहुंचकर मार्विन ने उसके दरवाजे को खटखटाया। कुछ देर बाद दरवाज़ा खुला और ओलिवर को देखते ही दोनों पहले तो चौंक गए, फिर थोड़ा संभलते हुए उसे सारी बातें बताने का निर्णय किया।
"हम मुसाफिर हैं और पास के इलाके में होने वाले समारोह को देखने आए हैं, हम रुकने की जगह ढूँढ रहे थे मगर कहीं कोई कमरा खाली नहीं मिला, निराश होकर लौट ही रहे थे इतने में आप का मकान देखा तो बड़ी उम्मीदों के साथ आपसे पूछने चले आए... आप जितना किराया मांगेंगे हम देने को तैयार हैं और कुछ अडवांस भी देने को तैयार हैं ", मार्विन ने बड़ी होशियारी से अपनी बात ओलिवर को समझाई।
" कहाँ से आ रहे हैं आप लोग ", ओलिवर ने उन दोनों से सवाल किया और अपने मन ही मन सोचने लगा कि उसके पास अच्छा मौका है कुछ पैसे कमाने और लिया हुआ कर्ज़ चुकाने का।
" लंदन से... वहाँ हमारा छोटा सा व्यापार है, बहुत सुना है पास के इलाके में होने वाले समारोह के बारे में तो सोचा इस बार चलकर देख ही लेते हैं अगर पसंद आया और देखा कि व्यापार का अच्छा ज़रिया है तो अगले साल अपना भी माल वहाँ बेचेंगे", डेनियल ने मार्विन का साथ देते हुए कुबड़े ओलिवर को चकमा देते हुए कहा।
" ठीक है... मैं तैयार हूँ तुम दोनों को रहने के लिए जगह देने को, पास का समारोह तो दस दिन चलने वाला है और आज पहला दिन है, उस हिसाब से मैं पूरे दस दिनों का किराया लूँगा, मंज़ूर हो तो बोलो... निकालो पचास पाउंड एडवांस और खाना पास के गांव में ही खाना पड़ेगा, अगर बना सको तो रसोई में सारा सामान मौजूद है क्यूँकि मैं घर में बहुत कम खाता हूँ इसलिए बनाने का झंझट नहीं लेता ", कुबड़े ओलिवर ने उनसे कहा और दस दिनों का किराया भी तय कर लिया। मार्विन और डेनियल उसकी सारी शर्तो को मान गए।
" इस बार सालाना समारोह में ज़्यादा भीड़ है...क्यूँ एडवर्ड तुम्हारा क्या कहना है ", एडवर्ड के स्टाल पर उसके एक पहचान वाले ने कहा।
" ठीक कह रहे हो जैकब, इस बार पिछले साल से ज्यादा लोग आए हैं, हर साल भीड़ बढ़ती ही जा रही है, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों में इस समारोह की चर्चा होती आयी है और इसलिए लगातार भीड़ बढ़ती ही जा रही है, इस बार कई नए व्यापारियों ने अपना व्यापार बढ़ाने के लिए यहां स्टॉल बुक किए हैं, इससे लोगों के बीच ज़्यादा उत्तेजना फैलती है", एडवर्ड ने जैकब की बातों से सहमत होते हुए कहा।
" इस साल तुम्हें भी खिलौने बेचने के लिए दो नौजवानो को किराए पर रखना पड़ा, देखो तुम्हारे स्टॉल पर भी कितने बच्चों की भीड़ जमा है ", जैकब ने एडवर्ड से कहा, दोनों मित्र स्टॉल के तम्बू में कुर्सियों पर बैठे हुए थे और किराए पर रखे दोनों लड़कों के काम को देख रहे थे, उन दोनों नौजवानो का इंतज़ाम भी जैकब ने करवाया था जो एडवर्ड का अच्छा मित्र भी था और एडवर्ड को दस दिनों के लिए उसी के यहाँ रुकना था, अपना सारा माल बेचने के लिए, उसके बाद ही वह अपने घर जा सकता था जो पास के शहर में था।
शाम होते ही रात के खाने का इंतजाम करने दोनों मित्र डेनियल और मार्विन निकले,
"सारे इलाके को अच्छे से देख लेना, हमें उस घर में लूट डालने में ज़्यादा आसानी होगी जिनके मालिक मौजूद नहीं हैं, इलाके के चौराहे से हम दोनों अलग अलग दिशा में निकलेंगे और फिर बाद में सब कुछ पता करने के बाद इसी रास्ते पर मिलेंगे, जितने लोगों से बात करना उनसे होशियारी से सारी बातें उगलवा लेना, पर ख़ुद पर शक़ मत होने देना और किसी को ये पता नहीं चलना चाहिए हम दोनों एक दूसरे को जानते हैं ", मार्विन ने आगे की योजना डेनियल को समझाते हुए कहा। दोनों ने होशियारी से उस पूरे इलाके की अच्छी तरह से पड़ताल की और अपने खाने पीने का इंतजाम करके सीधा नदी के किनारे ओलिवर के घर की ओर बढ़ने लगे। किसी को उनपर शक़ नहीं हुआ और होता भी कैसे वे दोनों थे ही इतने शातिर मुजरिम जिनके अंदर ज़रा भी दया नहीं थी।
"क्या हुआ डेनियल... कुछ काम की खबर हाथ लगी है क्या, तुम्हें इस इलाके में किसी ने पहचान तो नहीं लिया जो तुम इतनी गहरी सोच में डूबे हो", मार्विन ने कुबड़े ओलिवर के घर पर शराब पीते हुए अपने साथी डेनियल से पूछा।
"नहीं पहचाना तो किसी ने नहीं, आज खाने का इंतजाम करते समय मैंने एक फूलझड़ी को बाज़ार में सामान खरीदते हुए देखा... उसकी नज़रों ने दिल पर वार कर दिया, बहुत दिन हो गए किसी महिला के साथ मस्ती किए हुए, सोच रहा था कि क्यूँ न इस लूट में उसपर भी हाँथ साफ़ कर लूँ", डेनियल ने अपने बुरे इरादे अपने दोस्त मार्विन के समक्ष रखा।
" ओहो... चोरी ऊपर से सीना जोरी, मुझे तुम्हारी योजना पसंद आई और क्या पता चला उस हसीना के बारे में ", मार्विन ने डेनियल से सहमत होकर उस हसीना के बारे में पूछा।
" ज़्यादा कुछ नहीं, बस उस दुकानदार से उसका नाम पता चला, वह उसे एलिजाबेथ बुला रहा था, फिर मैंने उसका पीछा किया और उसका घर देख लिया, वह इस इलाके में रइसों की गिनती में आती है, पहनावे से भी अच्छे परिवार की दिखती है... उसके घर लूट डालने पर हम लोगों को काफ़ी माल मिलने की उम्मीद है ", डेनियल ने आज की घटना विस्तार से मार्विन को समझाई।
" बहुत अच्छे मेरे मिट्टी के शेर... कल ही से उसकी जानकारी निकालने के काम पर लग जाओ, मौका मिलते ही घर के सारे माल के साथ मालिक की बेटी पर भी हाथ साफ़ कर लिया जाएगा, उसके घर में कितने सदस्यों की संख्या है ये भी पता कर लेना ताकि बाद में कोई मुश्किल खड़ी न हो", मार्विन ने डेनियल की तारीफ़ करते हुए उसे आगे की योजना के बारे में समझाया।
" बिलकुल ऐसा मौका भला हाथ से कैसे जाने दे सकता हूँ, कल ही उसकी और उसके परिवार का इतिहास तुम्हारे सामने होगा ", डेनियल ने विश्वास दिलाते हुए मार्विन से कहा और शराब पीने लगा। वह दोनों मित्र बैठकर खा पी रहे थे कि तभी अचानक ओलिवर अपने घर में दाखिल होता है। ओलिवर उन्हें पीता हुआ देखता है तो उसके भी मुँह में पानी आने लगता है पर फिर भी वह खुद में थोड़ा संयम रखता है, अब कैसे न रखता आखिर था तो घर का मालिक, उसे अपने किराएदारों के सामने अपनी इज़्ज़त बना के रखनी थी। चतुर मार्विन उसे देख सब कुछ समझ जाता है और डेनियल की ओर इशारा करते हुए कहता है "अरे, हम लोग अकेले ही बैठे हैं, अपने मकान मालिक को तो हमने पूछा ही नहीं...अरे भाई साहब आप भी हमारा साथ दीजिए, आइए और बढ़िया टर्की खाइए, साथ ही इस बढ़िया वाइन का भी मज़ा लीजिए", डेनियल भी गर्दन हिला कर हाँ में इशारा करता है।
"अरे नहीं भाई, आप लोग खाइए पीजिए ", ओलिवर ने अपना मन मारते हुए उन दोनों से कहा।
" अरे आइए न, हम सभी रात का खाना साथ ही खाते हैं ", डेनियल ने भी मार्विन का साथ देते हुए ओलिवर की ओर इशारा करते हुए कहा।
" चलिए आप लोग जब इतना प्यार जता के कह रहे हैं तो, मैं भी साथ देने को तैयार हूँ ", ओलिवर ने उन दोनों से कहा और उनके सामने बैठ गया।
"ये हुई न बात मेरे भाई... खाने पीने में शर्माना नहीं चाहिए, अब तो हम सब एक ही छत के नीचे इस थैंक्स गिविंग टेबल पर बैठे हैं, एक भाई की तरह तो फिर कैसा शर्माना ", मार्विन ने ओलिवर की ओर देखते हुए कहा।
" क्यूँ नहीं हम सब भाई ही हुए और आप ने तो हमारी इतनी सहायता भी की है, रुकने के लिए जगह दी है... आपका तो हम पर एहसान है ", डेनियल ने भी मार्विन का साथ देते हुए ओलिवर से कहा।
" अरे भाई अब इंसान ही तो इन्सान के काम आता है और मैंने कोई एहसान नहीं किया, एक अच्छे इंसान होने का फर्ज़ निभाया है ", ओलिवर ने शर्माते हुए शराब का ग्लास उठा उन दोनों से कहा।
" ये बात आपने सही कही कि इंसान ही इंसान के काम आता है, इसमे भी कोई शक़ नहीं की आप एक भले इंसान हैं जिसका एक बड़ा दिल भी है ", मार्विन ने भी चापलूसी दिखाते हुए कहा।
" धन्यवाद, आप लोगों का की आप लोगों ने मुझे खाने के लिए आमंत्रित किया, इसमें कोई शक नहीं कि आप दोनों का भी दिल बड़ा है, वर्ना आज कल कोई मुफ़्त में दारू नहीं पिलाता है ", ओलिवर ने भी आभार प्रकट करते हुए उन दोनों की ओर देखकर कहा।
"अरे धन्यवाद कैसा... आप हमारे बड़े भाई की तरह हैं, आपके घर में हम लोग रह रहे हैं, बड़े भाई अगर इन छोटे भाईयों से कोई गलती हो जाए तो माफ़ करना ", मार्विन ने ओलिवर की ओर देखते हुए कहा।
" अरे नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है, आप लोग आराम से यहाँ रहें और यूँ ही खाते पीते मस्त रहें... बस किराया कम नहीं होगा क्यूँकि मेरी अपनी भी कुछ मजबूरियाँ हैं ", ओलिवर ने उन दोनों की ओर देखते हुए कहा।
"अरे नहीं बड़े भाई ऐसा बिलकुल नहीं होगा, हम लोग अपनी ज़ुबान के पक्के हैं, जो कह दिया सो कह दिया, आपका किराया कम नहीं होगा... हमारे पास इतने पैसे हैं कि किराया देते हुए रोज़ खा पी सकते हैं, आखिर इज़्ज़तदार नागरिक हैं", मार्विन ने अपनी सफाई देते हुए ओलिवर से कहा।
" तब तो हमारा भाईचारे का रिश्ता बर्करार रह सकता है, लीजिए एक पेग और बनाइए, इस बात पर ", ओलिवर भी कम न था उसने भी चतुराई दिखाते हुए उन दोनों से कहा। सबके बीच बातचीत का दौर यूँही चलता रहता है, उन तीनों की महफिल काफ़ी देर तक चलती रहती है। खाना पीना ख़त्म होने के बाद सभी अपने कमरे में चले जाते हैं। रात थोड़ी और बीतती है, घर के पीछे की ओर जंगल से भेड़ियों की रोने की आवाज़ सुनाई पड़ने लगती है।
अचानक ही मार्विन का नशा चीटकते ही उसकी नींद टूटती है, वह उन जंगली भेड़ियों की आवाज़ को साफ़ सुन सकता था और लेटे हुए दुबारा नींद आने का इंतजार करता है कि तभी उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है। वह खुद को रोक नहीं पाता है और बिस्तर से उठकर दरवाज़े की ओर बढ़ता है।
To be continued...
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