7 दीपाली - अध्याय 7

हर गुजरते दिन के साथ सपना और ज्यादा दुखी दिख़ने लगी है। मैंने उस उसकी भारी हुई आंखें भी देखीं। क्या सिर्फ वह किरण को याद कर रही है या कुछ और हो रहा हो, जो मुझे पता नहीं है।

"सपना, बच्चे उठो, आपको कॉलेज के लिए देर हो जाएगी।"

" मुझे सिरदर्द है। मैं आज कॉलेज नहीं जाना चाहती। " सपना बोली

"सपना, मुझसे बात करो बेटा, क्या कॉलेज में कोई समस्या है?"

"नहीं मौसी, सब ठीक है" सपना ने कहा लेकिन मैं साफ देख सकती हूं कि वह झूठ बोल रही है। क्या हुआ है।

मुझे राम और गौरव से बात करने की जरूरत है।

"राम, सपना को विद्यालय छोड़ते या वहां से लेते वक़्त तुमने कुछ भी असामान्य देखा है?"

"मैम, वह पहले हफ्ते में बहुत खुश थी और मुझे लगातार विद्यालय के बारे में बताती थी कि क्या हुआ और उसने क्या सीखा। हालाँकि मुझे कुछ भी समझ में नहीं आता था लेकिन मैं बता सकता था कि बच्ची खुश है। लेकिन पिछले तीन सप्ताह से वह उदास है, ज्यादा बात नहीं करती है और एक दिन मैंने उसे रोते हुए भी देखा है। मैं आपसे बात करना चाहता था, लेकिन मैं अपनी सीमा भी नहीं लांगना चाहता था "राम ने कहा।

"मुझे भी यही लग रहा था। ये सब बताने के लिए धन्यवाद राम। क्या आप गौरव को मेरे पास भेज सकते हैं? "

"जी, मैडम"।

"आपने बुलाया मां। आप चिंतित लग रही हैं। क्या बात है सब ठीक है ना?" गौरव ने कहा।

"नहीं गौरव मैं वास्तव में चिंतित हूं। मुझे लगता है कि सपना को कॉलेज में कोई तंग कर रहा है। वह इसके बारे में कुछ बता नहीं रही है पर मैंने उसे उदास और रोते हुए देखा है। पहले तो मुझे लगा कि वह किरण और मनाली को याद कर रही है लेकिन अब मुझे लगता है कि कुछ गड़बड़ जरूर है। उसने आज कॉलेज जाने से मना कर दिया। कला उसका जीवन है। सपना विद्यालय नहीं जाना चाहती ये बात मुझे ठीक नहीं लग रही है। हमारी सपना बहाने बनाने और मेहनत से जी चुराने वालों में से नहीं है और अभी राम ने भी बताया की उसने भी सपना को उदास और रोते हुए देखा है। "

"तो क्या मैं उससे बात करूं या मुझे कॉलेज के प्रिंसिपल से बात करूं?" गौरव बोला

"सपना कुछ भी नहीं कह रही है। और ऐसे में, हम सीधे प्रिंसिपल से भिड़ भी नहीं सकते। और ऐसा करना कहीं सपना के लिए अगले 5 महीने और मुश्किल ना बना दे। साथ ही, बाद में उसे फ्रांस में अकेले ही रहना होगा। वहां उसकी लड़ाई कौन लड़ेगा? हमें कोई भी कदम बहुत सोच समझ के उठाना होगा। "

"आप सही हैं माँ लेकिन वह सिर्फ 12 साल की है। हम इसे ऐसे ही जाने नहीं दे सकते। मुझे उसकी मनोस्थिति की चिंता हो रही है।" बहुत चिंतित गौरव ने कहा।

"मुझे पता है, लेकिन मैं चाहती हूं कि सपना सीखे कि इस तरह की स्थिति को खुद कैसे निपटना चाहिए। "

"लेकिन कैसे" गौरव ने पूछा।

"मुझे अभी तक पता नहीं है। हमें कुछ योजना बनानी होगी जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे। दो दिमाग एक से बेहतर हैं। इसलिए, मैं चाहती हूं कि तुम भी इसके बारे में सोचो। मैं अगले कुछ दिनों तक सपना को कॉलेज नहीं भेजूंगी "

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