11 गौरव - अध्याय 11

छह महीने बीत चुके हैं और सपना दो दिनों के बाद पेरिस के लिए उड़ान भर रही है। मां और मैंने उसे वहां व्यवस्थित करने के लिए उसके साथ जाने का फैसला किया है। मां ने फैसला किया है कि उन्हें छुट्टी की जरूरत है और इसलिए, वह कुछ महीनों के लिए सपना के साथ हमारे पेरिस के फ्लैट में रहने वाली है।

किरण मौसी ने मां को समझाने की कोशिश की कि यह अनावश्यक है। उन्होंने यहां तक कहा कि वह हमारी यात्रा का खर्चा उठाएंगी लेकिन मां ने उन्हें दृढ़ता से कहा कि सपना उनकी भी बेटी है और किरण मौसी को मां और बेटी के बीच नहीं आना चाहिए। मुझे किरण मौसी की आँखों में राहत साफ दिख रही है। वह वास्तव में सपना के बारे में चिंतित थी।

सपना पूरे घर में उछल-कूद कर रही है। मैं विश्वास नहीं कर सकता कि यह वही बच्चा है जिसने मुझे गंभीर चेहरा करके बोला था कि वह अब बच्ची नहीं है। मेरी बहादुर छोटी बहन। उसे अपनी पैकिंग की भी चिंता नहीं है।

मां और किरण मौसी ने पूरा घरउलट कर रख दिया है और लगभग हर सामान को आवश्यक बता दिया है। मैंने उनसे कहा है कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं और केवल सपना के कपड़े और पेंटिंग सेट जाएंगे। बाकी सब मैं यहीं छोड़ के जाने वाला हूं। मैंने उन्हें यह भी बताया है कि हमारा फ्लैट पूरी तरह से सुसज्जित है और घर की देखभाल करने वाली महिला ने आवश्यक वस्तुओं से रसोई को भर दिया है। मैंने उन्हें यह भी बताया है कि हम आवश्यकता के अनुसार और अधिक गर्म कपड़े पेरिस में ही खरीद लेंगे। छे सालों के ढोने की जरूरत नहीं है। सपना केवल 12 वर्ष की है और निश्चित रूप से कुछ समय में उसके सब कपड़े छोटे हो जाएंगे। इसलिए, हम 6 साल के कपड़े पैक नहीं कर सकते बावजूद इसके कि सपना को पेरिस में छे वर्ष रहना है क्यूंकि उसका पाठ्यक्रम छे वर्ष का है।

अंत में वोह दिन आ गया है जब हम पेरिस जाने के लिए हवाई अड्डे की तरफ निकल पड़े हैं। सपना रुंआसी हो गई है और किरण मौसी भी चिंतित हैं। मां ने उन्हें रोज वीडियो कॉल करने का वादा किया है।

हमारी छोटी सी सपना अपने बड़े से सपनों के आकाश में पंख फैला के उड़ने की तैयार है और हम सब उसके पंखों के नीचे की हवा हैं जो उसे कभी नीचे नही गिरने देंगे।

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