2 अध्याय 2 - सपना

"सपना, उठो बेटा , देर हो रही है।" किरण ने कहा।

मेरा सपना एक अद्भुत बच्ची है। 12 साल की छोटी उम्र में ही कुछ प्रसिद्ध आलोचक उसके चित्रों का मूल्यांकन कर चुके है। लेकिन मेरा दिल समझना ही नहीं चाहता है कि उसके पंखों को फैलने से और उसकी प्रतिभा को पनपने से हमारा छोटा शहर रोक रहा है।

वह मेरे बचपन की दोस्त के परिवार के साथ रहने वाली है इससे बड़ी ढाढस मेरे दिल को नहीं मिल सकती है।

मुझे नहीं पता कि जब वो अपनी कला के प्रशिक्षण के लिए विदेश जाएगी तब मैं कैसे रह पाऊंगी। लेकिन मैंने उस बारे में अभी नहीं सोचने का फैसला किया है। तब तक मेरा एकमात्र उद्देश्य पर्याप्त धन अर्जित करना है ताकि उसके सपनों की उड़ान धन की कमी से कभी ना रुके।

"सपना, उठो, 10 बजे गए है।" किरण इस बार रसोई से चिल्लाई।

"मां, मैं उठ गई हूं और तैयार भी हो गई हूं" सपना ने कहा।

30 मिनट के बाद, सपना नाश्ते की मेज पर बैठी थी और किरण फिर से उसे दीपाली के बारे में बता रही थी।

"बेटा, दीपाली मेरी बचपन की दोस्त है जब हम दोनों 10 वीं कक्षा में थे तब से। उसने ग्रेजुएशन के बाद सतीश से शादी कर ली, जबकि मैंने अपनी पढ़ाई और फिर करियर जारी रखा। " किरण ने कहा।

"मुझे पता है मां की उनका एक बेटा गौरव है, जो 28 साल का है और पहले से ही एक सफल व्यवसायी है। मुझे उसे और मौसाजी को परेशान नहीं करना है क्योंकि वे ज्यादातर व्यस्त रहते हैं। मुझे आपको कॉलेज से आने के बाद रोज फोन करना है। मुझे किसी को साथ लिए बिना कहीं नहीं जाना है और दीपाली मौसी को हर समय में कहां हूं ये पता होना चाहिए। आप मुझे यह लगभग 100 बार बता चुकी हैं। चिंता मत करिए, मैं ठीक रहूंगी। " सपना बोली।

"ठीक है, मैं इसे फिर से नहीं दोहराऊंगी" किरण ने बहुत चिंतित आँखों से मुस्कुराते हुए कहा।

किरण सपना के लिए पैक किए गए सभी बैग और अन्य सामान को फिर से जमाने में व्यस्त हो गई और जब उसने समय देखा तो 3.30 बज चुके थे।

"सपना, तुम कहाँ हो? तैयार हो जाओ, हमें हवाई अड्डे के लिए निकालना है। " किरण चिल्लाई।

"मैं पहले से ही तैयार हूं मां। मुझे पता है कि हम 3 घंटे पहले निकाल जाएंगे, हालांकि हमें केवल 1 घंटे पहले हवाई अड्डे पर पहुंचने की आवश्यकता है। " सपना ने मुस्कुराते हुए कहा।

"कृपया मेरी बेटी को ध्यान से ले जायिएगा और उसे तब तक अकेला मत छोड़िए जब तक कि गौरव उसे लेने न आ जाए। इस दस्तावेज में उसकी तस्वीर, अधिकार पत्र की फोटोकॉपी और फोन नंबर सभी हैं। " किरण ने एयरपोर्ट पर अटेंडेंट से विनती की।

"मैम, आप चिंता मत करिए, ये हमारा रोज़ का काम हैं।" परिचारक ने धैर्य से कहा।

"बाय माँ, चिंता मत करो" सपना ने अपनी बहुत चिंतित माँ को गले लगाते हुए कहा। वह जानती थी कि जब तक उसकी मां गौरव से बात नहीं करेगी तब तक वह लगातार चिंतित रहेगी।

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