1 गुहार,

साल तो बदला लेकिन हाल नही बदला ,

समय के चक्र का ख्याल नही बदला ।

संसार में कोरोना का मचा बवाल नही बदला ,

दिनभर  पास से गुजरने वाली एम्बुलेंसो की आवाजो का शोर महीनो से कानों मे नही बदला ।

न वक्त बदला ,न हालात बदले , बदला तो सिर्फ श्मशान घाट बदला ,

जिन्दा से मुर्दो मे यह हिन्दुस्तान बदला ।

चार कन्धे न नसीब हो रहे किसी को ऐसा समय का अभाव बदला ।

हाथ जोड़कर ईश्वर से अब यही आश हैं ,

न परिवार छूटे , न अब कोई दहलीज न किसी के अपनो का साथ छूटे ,

न किसी कि उम्मीद अब और न किसी का ईश्वर से विश्वास टूटे ।

                                    Auhtor /_ Prashant

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