1 मैं क्या हूँ ?

मैं ख़ामोश हूँ ये मेरी परवरिश ,अदब का तकाजा है ,

वरना आग समेटे बैठा हूँ , शायद तुम्हे अंदाजा है |

मर्जी तुम्हारी जब दिल किया आये और फिर चले गए ,

मेरी जान दिल है मेरा , न की तेरे घर का दरवाज़ा है |

वो क़समे ,वो वादे , वो रिश्तो केे बंधन सब याद हैं मुझे

मेरा वो इश्क़ अब भी है तुझसे , और बेतहासा है |

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